कृषिमध्य प्रदेश

खरीदी केंद्र कचनारी प्रभारी की मनमानी चरम पर, खुलवाया जाएं वेयर हाऊस तो हकीकत आएगी सामने

रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान l ढीमरखेड़ा तहसील की खरीदी केंद्र क्रमांक 2 कचनारी मे जब खरीदी के विषय में जानकारी ली गई तो बताया गया कि यहां व्यापारियो के द्वारा ही खरीदी चल रही है केंद्र प्रभारी जय कुमार यादव एवं विकेश साहू की ऐसी मनमानी चल रही हैं कि मौसम खराब होने के बाद भी केंद्र में कोई व्यवस्था नही की गई थी व्यापारियों का खराब माल तौलकर अपनी जेब गर्म की जा रही हैं। व्यापारियों का कमीशन देखना हैं तो केंद्र प्रभारी कचनारी से मिलिए। कचनारी में धान कम बदरा ज्यादा दिखाई दे रहा हैं ऐसा लग रहा हैं जैसे खरीदी प्रभारी उच्चाधिकारियों को चुनौती दे रहा है ।
*साहूकारों की खराब धान खरीदकर, लिया गया कमीशन*
जहां सरकार की मंशा अनुसार किसानों को समर्थन मूल्य के लिए आदेशित किया गया था लिहांजा प्रभारी विकेश साहू के द्वारा साहूकारों के माध्यम से धान की खरीदी की गई। जमकर कमीशन का खेल – खेला गया। किसान अपनी धान तुलवाने के लिए अनेकों बार चक्कर काटता रहा लेकिन धान तौली नहीं गई वरन नेताओं ने केवल एक बार फोन हिला दिया तो उनकी धान तौल दी गई। आखिर जब खरीदी प्रभारी विकेश साहू को धान खराब ही नेताओं की लेना था तो किसानों को क्यूं बुलाया गया। कमीशन साहूकारों से लेने के लिए अलग से बिचौलियां को रखा जाता हैं ताकि किसी प्रकार से फंस ना सके। बाद में बिचौलियां और खरीदी प्रभारी का कमीशन का हिसाब किया जाता हैं। जो धान विकेश साहू के द्वारा ली गई हैं एक दम उसमें कचरा ही भरा हुआ है। स्मरण रहे कि लक्ष्मी के वजन के आगे सब कुछ संभव है चाहे धान खराब हो या अच्छी। प्राप्त जानकारी के अनुसार बारदाना भी एक दम खराब था फटी बोरियों में धान को रखा गया है अगर धान ख़राब होती हैं तो सरकार को लाखों रुपएं का चूना लगेगा।
*खरीदी प्रभारी विकेश साहू के वेयरहाउस को खुलवाया जाएं*
प्रभारी विकेश साहू की धान जिस स्थान में रखी हुई हैं उस स्थान की धान को खुलवाकर आला – अधिकारियों के द्वारा चेक किया जाना चाहिए। अगर इसकी उच्च – स्तरीय जांच की जाएं तो धान एक दम खराब निकलेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जाता हैं कि प्रभारी के खुद के रजिस्ट्रेशन इतने रहते हैं जितने के खुद भूमि स्वामी नही हैं लिहाजा दूसरो से रजिस्ट्रेशन लेकर के खरीदी का क्रम आगे बढ़ाया जाता हैं। साहूकार का मायाजाल खरीदी को सजाएं रहता हैं क्यूंकि साहूकार जमकर कमीशन देते हैं। विकेश साहू जिस भी खरीदी के प्रभारी नियुक्त होते हैं वहां की खरीदी ज्यादा होती हैं क्यूंकि इनके साथ में जो बिचौलियां रहता हैं उसके संबंध ज्यादा साहूकारों से हैं। साहूकार समय उपरांत ही माल लेकर खरीदी में पहुंच जाते है जिसके कारण सबसे पहले तौल कर दी जाती हैं और साहूकार के खाते में पैसा आता हैं तो उसके चेहरे में मानो खुशी नहीं समाती है। जैसे ही पैसा खाते में आता हैं बिचौलियां खुश हों जाता हैं फिर साहूकारों को मुहरा बनाकर उनके खाते से पैसे निकालकर खरीदी के खर्चे को वहन किया जाता हैं। नियमों को ताक में रखकर खरीदी की जाती हैं जो अच्छी धान थी उसको दिखाने के लिए एक जगह पर स्थाई रखा गया था ताकि अधिकारी आएं तो माया जाल में फंस जाएं बहरहाल खरीदी प्रभारी जब कदम आगे बढ़ाता हैं तो सारे जगहों में घूमकर खरीदी के बाद मिलेंगे के इशारे कर दिए जाते हैं, लिहांजा सोचा जा सकता है कि खरीदी प्रभारी के संबंध दूर – दराज तक हैं इसलिए जांच नहीं आती बल्कि अधिकारी पीठ- थपथपाते हैं ऐसा है लक्ष्मी के वजन का कमाल।
*सर्वेयर बना मूक – दर्शक*
स्मरण रहे कि जहां सर्वेयर को खरीदी में नमी, एवं अन्य नियमों की देख- रेख की जिम्मेदारी सौंपी जाती हैं लेकिन ऐसा लगता हैं जैसे सर्वेयर तो केवल नाम के लिए रखा जाता हैं बाकि खरीदी से संबंधित कार्य बिचौलियां ही कर लेता है। आखिर नियमों को ताक में रखकर सर्वेयर के द्वारा इस तरीके की धांधली करवाई जाती हैं जिससे सरकार को नुकसान का खामियाजा भुगतना पड़ सकता हैं। वेतन के आधार पर सर्वेयर को रखा जाता हैं लेकिन सर्वेयर अपनी जिम्मेदारी ना समझते हुए चंद पैसों के कारण अपने ईमान को गिरवी रखते हुए खरीदी में खरीदी प्रभारी का साथ देता हैं। लिहाजा साथ देने के कारण ख़राब धान को भी अच्छी बताकर ले लिया गया जिसके चलते खरीदी प्रभारी का कार्य भी आसान हों गया खराब धान को भी शासन को समर्थन मूल्य में बेचा गया।

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