धार्मिक

निराली है भगदेई वाली माँ भगदेवी की महिमा, श्रीविष्णु पुराण में वर्णित है मां भगदेवी की महिमा

असम की कामाख्या देवी के समान है प्राचीन देवीमठ
माँ की कृपा से पुजारी का कटा हुआ शीश जुड़ जाता था
तांत्रिक प्रतीकों से सुसज्जित है मठ, गांव पटेल लगाते हैं पोंछा

रिपोर्टर : कमल याज्ञवल्क्य
बरेली । मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के बरेली अनुविभाग के भगदेई गांव की मां भगदेवी की महिमा निराली है. विभिन्न तांत्रिक प्रतीकों से सुसज्जित प्राचीन मठ की अधिष्ठात्री मां चमत्कारों के लिए विख्यात हैं. तंत्र क्षेत्र के साधकों के लिए यह स्थान आसाम के प्रसिद्ध मां कामाख्या देवी धाम जैसा है. इतिहास और पुरातत्व के विद्वानों के अनुसार कभी यह क्षेत्र बड़े तीर्थ के रूप में जाना जाता रहा है. माँ की महिमा अपरंपार है. मां भगवती की चमत्कारी कथाओं से धर्म ग्रन्थ भरे हैं. मान्यता और किवदंतियों को लेकर भी कथाएं प्रचलित हैं।
मां के चरणों में शीश चढ़ाते थे पुजारी
विंध्याचल की तलहटी में तालाब किनारे स्थित अत्यंत प्राचीन देवी माँ का तांत्रिक मठ है. विभिन्न तांत्रिक प्रतीकों से सुसज्जित इस मठ में प्रवेश करते ही अद्भुत अतीन्द्रिय अनुभव होने लगते हैं. दशकों से यहां पूजा कर रहे पुजारी पंडित महेंद्र शर्मा बताते हैं कि एक किवदंती के अनुसार इस मठ में सैकड़ों वर्ष पहले ऐसे पुजारी साधना किया करते थे जो मां की पूजा के पश्चात अपना शीश मां के चरणों में अर्पित कर दिया करते थे, देवी माँ की कृपा से वे पुनः जीवित हो जाते थे. किवदंती के अनुसार एक बार देवी माँ ने पुजारी से कहा कि अब उन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है.देवी माँ का यह हटी भक्त नहीं माना और उसने कहा कि मां तुम्हें कष्ट होता है तो मुझे भी अब जीवन की आवश्यकता नहीं है. एक दिन अनुष्ठान के उपरांत पुजारी ने पुनः वही क्रिया करते हुए स्वयं का शीश सदैव के लिए देवी माँ के चरणों में अर्पित कर दिया. बरिष्ठ विद्वान पंडित नरसीप्रसाद शर्मा बताते हैं कि मां भगवती का भगदेई स्थित यह पावन मठ सम्पूर्ण मनोकामनाओं के लिए विख्यात है। उन्होंने बताया कि श्रीमद् देवी पुराण और श्रीविष्णु पुराण में मां की दिव्य कथाओं का विस्तार से वर्णन मिलता।
गांव पटेल लगाते हैं मठ में झाड़ू – पोंछा
यह प्राचीन देवीमठ जितना चमत्कारी है इससे जुड़ी परंपरा और मान्यताएं भी उतनी ही विचित्र है. पंडित सुजय पाराशर ने बताया कि मां का यह दिव्य धाम है ही अनूठा. यहां विशेष पर्वों पर गांव के पटेल झाड़ू पोंछा लगाते हैं. पटेल शशिमोहन शर्मा ने बताया कि हमें देवीमठ में झाड़ू पोंछा लगाने का सौभाग्य मिल जाता है. पटेल शशिमोहन शर्मा कहते हैं कि जब मां की मर्जी होती है तब ही आ पाते हैं।
शंकराचार्यजी ने कहा था, भाव के अनुरूप हैं भगदेई की भवानी
एक धार्मिक समारोह में सन् 1995 में भगदेई पधारे पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्दजी सरस्वती जी महाराज ने
भगदेई के इस तांत्रिक मठ की अधिष्ठात्री देवी माँ की पूजा अर्चना के बाद भक्तों को बताया था कि मां तेजोमयी हैं. मां की यह विशेषता है कि यह भक्तों के भाव के अनुरूप हैं. किसी के लिए यह बच्चों जैसी हैं तो किसी के लिए सम्पूर्ण परिवार की मुखिया के रूप में है। इस देवीमठ की अधिष्ठात्री देवी माँ के स्वरूप और नाम को लेकर अलग अलग तंत्रमार्गी अलग अलग व्याख्याएं करते हैं. विश्व विख्यात पुरातत्वविद विद्वान एवं पुरातत्व विभाग के सेवा निवृत्त बरिष्ठ पंडित डॉक्टर नारायण व्यास सहित अनेंक विद्वान और तपस्वी संत भी मां के इस स्वयं सिद्ध धाम को अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक सिद्ध मठ मानते हैं.आज भी मां के इस मठ में पहुंचते ही भक्तों को असीम आनंद का अनुभव होने लगता है. क्षेत्र के समाजसेवी और भगदेई गाँव के किसान शिवदयाल सिमरैया तथा इतिहास प्रेमी पंडित सुनील तिवारी ने बताया कि आज भी मां की कृपा से भक्तों के मनोरथ पूरे होते हैं. बुजुर्गों ने बताया कि काफी समय पहले यहां देवी मां की सेवा करने वाले पुजारी रहे जलधारी महाराज और सिंगाजी परिवार के समर्थ संत बालूदास जी महाराज भी मां की कृपा से चमत्कारों के लिए जाने जाते रहे हैं।

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