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29 सितम्बर 2023: इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू, तर्पण का महत्व महत्व और इसके लाभ

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
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🔮 29 सितम्बर 2023: इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है जबकि पितृ पक्ष 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष कहा जाता है। इस तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह समय काफी उपयुक्त माना जाता है। पितृ पक्ष में 16 दिनों तक श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। इस दिन पितरों को संतुष्ट करने के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है। बताया कि परिवार के एक सदस्य की मौत हो गयी है. मृत्यु के बाद, वे सूक्ष्म जगत में तब तक निवास करते हैं जब तक उन्हें नया जीवन नहीं मिल जाता।
🫴🏼 तर्पण का महत्व महत्व और इसके लाभ
🌏 हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हमारी पिछली तीन पीढ़ियों की आत्माएं ‘पितृ लोक’ में रहती हैं, जिसे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का क्षेत्र कहा जाता है। इस क्षेत्र का नेतृत्व मृत्यु के देवता यम करते हैं। ऐसा तब माना जाता है जब अगली पीढ़ी में से किसी की मृत्यु हो जाती है, तो पहली पीढ़ी को स्वर्ग ले जाया जाता है, जिससे वे भगवान के करीब आ जाते हैं। पितृ लोक में केवल पिछली तीन पीढ़ियों को ही श्राद्ध कर्म दिया जाता है।
पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों को तर्पण नहीं देते, उन्हें पितृदोष लगता है। पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को संतुष्टि और शांति मिलती है। वे अपने वंशजों से प्रसन्न होकर पूरे परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। आपको बता दें कि पितृ पक्ष के दौरान हर साल लोग गया जाकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं।
✍🏼 16 दिन के ही क्यों होते हैं पितृपक्ष ?
शास्त्रों के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु इन सोलह तिथियों के अलावा अन्य किसी भी तिथि पर नहीं होती है। अर्थात जब भी पितरों का श्राद्ध किया जाए तो उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार ही किया जाना चाहिए। इसलिए पितृ पक्ष सर्फ सोलह दिनों तक चलता है। हालांकि, जब तिथि क्षय होता है तो श्राद्ध के दिनों की संख्या बढ़कर 15 हो जाती है, लेकिन कभी बढ़ती नहीं है।
🧾 पितृ पक्ष में तिथि का महत्व
जब पितृ पक्ष प्रारंभ होता है तो प्रत्येक दिन की एक तिथि होती है। तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का नियम है। उदाहरण के लिए, इस वर्ष द्वितीया श्राद्ध 30 सितंबर को है यानी पितृ पक्ष में श्राद्ध की द्वितीया तिथि है। जिन लोगों के पूर्वजों की मृत्यु किसी भी महीने की द्वितीया तिथि को होती है, वे पितृ पक्ष के दूसरे दिन अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं।
💧 पितृ पक्ष में तर्पण विधि
☝🏼 पितृ पक्ष के समय प्रतिदिन पितरों को तर्पण देना चाहिए।
☝🏼 तर्पण में अक्षत, कुश, जौ और काले तिल का प्रयोग करना चाहिए।
☝🏼 तर्पण करने के बाद पितरों का तर्पण कर क्षमा प्रार्थना करें।
☝🏼 पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने वाले लोगों को ये सावधानियां बरतनी चाहिए
☝🏼 पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए जो भी श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
☝🏼 पितृ पक्ष के दौरान बाल नहीं कटवाने चाहिए।
☝🏼 पितृ पक्ष के दौरान घर में सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए।
☝🏼 तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।
💁🏻‍♀️ पितृ पक्ष के दौरान करें ये उपाय
👉🏽 शास्त्रों में ज्ञात है कि पितृ पक्ष में स्नान, दान और तर्पण आदि का विशेष महत्व होता है।
👉🏽 इस दौरान श्राद्ध कर्म या पिंडदान आदि किसी जानकार व्यक्ति से ही कराना चाहिए।
🪶 साथ ही किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन, धन या वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
👉🏽 पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म या पिंडदान किया जाता है।
👉🏽 यदि किसी व्यक्ति को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो वह आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन यह अनुष्ठान कर सकता है। ऐसा करने से भी पूर्ण फल प्राप्त होता है।
🤷🏻‍♀️ पितरों के श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो क्या करें?
अगर आपको अपने पूर्वजों की मृत्यु की तारीख नहीं पता है तो आप अपने सभी पूर्वजों की मृत्यु की तारीख उनके नाम से श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन सभी के नाम से श्राद्ध किया जाता है। कहा जाता है कि सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करते ही सभी पितर पितृलोक से बाहर आ जाते हैं। वे अपने वंशजों के पास जाते हैं। वे भूखे-प्यासे हैं और अपने वंशजों से भोजन और पानी पाने की आशा रखते हैं। निराश हो जाते हैं तो श्राप देकर वापस चले जाते हैं।
👴🏼 पितृ पक्ष 2023 की महत्वपूर्ण तिथियां
🪶 पूर्णिमा श्राद्ध- 29 सितंबर 2023
🪶 प्रतिपदा का श्राद्ध – 29 सितंबर 2023
🪶 द्वितीया श्राद्ध तिथि- 30 सितंबर 2023
🪶 तृतीया तिथि का श्राद्ध- 1 अक्टूबर 2023
🪶 चतुर्थी तिथि श्राद्ध- 2 अक्टूबर 2023
🪶 पंचमी तिथि श्राद्ध- 3 अक्टूबर 2023
🪶 षष्ठी तिथि का श्राद्ध- 4 अक्टूबर 2023
🪶 सप्तमी तिथि का श्राद्ध- 5 अक्टूबर 2023
🪶 अष्टमी तिथि का श्राद्ध- 6 अक्टूबर 2023
🪶 नवमी तिथि का श्राद्ध- 7 अक्टूबर 2023
🪶 दशमी तिथि का श्राद्ध- 8 अक्टूबर 2023
🪶 एकादशी तिथि का श्राद्ध- 9 अक्टूबर 2023
🪶 माघ तिथि का श्राद्ध- 10 अक्टूबर 2023
🪶 द्वादशी तिथि का श्राद्ध- 11 अक्टूबर 2023
🪶 त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध- 12 अक्टूबर 2023
🪶 चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध- 13 अक्टूबर 2023
🪶 सर्वपितृ मोक्ष श्राद्ध तिथि- 14 अक्टूबर 2023

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