मध्य प्रदेश

उमरियापान के चौरसिया परिवार पान उत्पादन पर आश्रित दम तोड़ रहा पान का कारोबार

रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान । बंग्ला पान के उत्पादन के लिए प्रदेश के साथ ही देश के अन्य प्रांतों में मशहूर हो चुके उमरियापान का पान कारोबार अब दम तोड़ने लगा है । प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हर साल लाखों का नुकसान झेलने वाले पान उत्पादक परिवार धीरे-धीरे अपने पुस्तैनी कारोबार से मुंह मोड़ने लगे है। जिसकी वजह पान की नाजुक फसल में होने वाले नुकसान के बावजूद उत्पादकों को मदद के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा जैसी सहायता मिलना है । उत्पादकों का कहना है कि पूरा परिवार कई महीनों तक दिन रात मेहनत कर पान की फसल तैयार करता है । लेकिन कभी आंधी, तूफान तो कभी ओलों की मार से फसल तबाह हो रही है । रही सही उम्मीदों पर अग्निकांड पानी फेर देते है । उमरियापान के लगभग 250 चौरसिया परिवार पान कारोबार से जुड़े हुए हैं । जिसमें अधिकांश उत्पादक केवल पान बरेजा पर ही आश्रित है। इससे उनकी रोज़ी रोटी चलती है ।
पान उत्पादको ने अनुदान योजना से मुंह मोडा
पान उत्पादक परिवारों के द्वारा लगाए जाने वाले पान बरेजा में नेट, सिंचाई उपकरण के साथ अन्य सुविधाओं के लिए शासन के द्वारा के उधानिकी विभाग की योजना के माध्यम से वर्ष 2013 में गिने चुने उत्पादकों को उक्त सामग्री उपलब्ध कराई गई थी । इसके बाद से पान उत्पादकों को योजना का लाभ नहीं मिल सका । बताया जाता है अनुदान योजना में बदलाव कर पहले पैसा जमा करने की शर्तें जोड़ देने से पान उत्पादको ने इस योजना से पूरी तरह से मुँह मोड लिया है । ऐसी स्थिति के बीच यह योजना महज औपचारिक बनकर रह गई है । ऐसे में लगातार आर्थिक तंगी झेलते परिवार पान के कारोबार से दूर होते जा रहे है। खास तौर पर युवाओं में पान की खेती करने को लेकर कोई नहीं रूचि नहीं है । हालांकि पुराने लोग अब भी पुस्तैनी पान कारोबार में पूरी शिद्दत से जुटे हुए है। वहीं अरसे से पान उत्पादकों के द्वारा पान को उद्यानिकी विभाग से अलग कर कृषि का दर्जा दिए जाने की मांग की जा रही है। लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ।

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