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Astrology – ज्योतिष, Aaj Ka Rashifal : राशिफल 14 मई 2025 बुधवार : कैसा रहेगा आज का दिन

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
जय श्री हरि
🧾 आज का पंचांग 🧾
बुधवार 14 मई 2025
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
☄️ दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – उत्तरायण
☂️ ऋतु – सौर ग्रीष्म ऋतु
☀️ मास – ज्यैष्ठ मास
🌔 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – बुधवार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि 02:29 AM तक उपरांत तृतीया
✏️ तिथि स्वामी – द्वितीया तिथि के देवता हैं ब्रह्मा। इस तिथि में ब्रह्मा की पूजा करने से मनुष्य विद्याओं में पारंगत होता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र अनुराधा 11:47 AM तक उपरांत ज्येष्ठा
🪐 नक्षत्र स्वामी – अनुराधा नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है. जो राशि स्वामी मंगल का शत्रु है। शनि और मंगल एक दूसरे के शत्रु हैं.
⚜️ योग – परिघ योग 06:33 AM तक, उसके बाद शिव योग
प्रथम करण : तैतिल – 01:34 पी एम तक
द्वितीय करण : गर – 02:29 ए एम, मई 15 तक वणिज
🔥 गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 11:10 से 12:35 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:35 से 2:00 तक । राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:24:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:36:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:07 ए एम से 04:49 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 04:28 ए एम से 05:31 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
✡️ विजय मुहूर्त : 02:33 पी एम से 03:27 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:03 पी एम से 07:24 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 07:04 पी एम से 08:07 पी एम
💧 अमृत काल : 04:28 ए एम, मई 15 से 06:13 ए एम, मई 15
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:56 पी एम से 12:38 ए एम, मई 15
सर्वार्थ सिद्धि योग : 05:31 ए एम से 11:47 ए एम
💦 अमृत सिद्धि योग : 05:31 ए एम से 11:47 ए एम
🚓 यात्रा शकुन-हरे फ़ल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकले।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-किसी बटुक कांस्य पात्र भेंट करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – मूल प्रारंभ/श्री नारद जयंती/ सर्वार्थ सिद्धि योग/ अमृत सिद्धि योग/ किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत स्मृति दिवस, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अल्ला बख़्श शहीद दिवस, राष्ट्रीय शालीनता दिवस, राष्ट्रीय रिसेप्शनिस्ट दिवस, राष्ट्रीय बटरमिल्क बिस्किट दिवस, राष्ट्रीय मुर्गी जैसा नृत्य दिवस, विश्व प्रवासी पक्षी दिवस, छत्रपति संभाजी महाराज जयन्ती, हिन्दी फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान जन्म दिवस, फेसबुक के जनक मार्क एलियट ज़करबर्ग जन्म दिवस, भारतीय ऋषि, गुरु और दार्शनिक स्वामी आत्मानंदा स्मृति दिवस, अभिनेत्री लवीना टंडन जन्म दिवस, भारतीय राजनीतिज्ञ अरुण चन्द्र गुहा जन्म दिवस, संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह (12 से 16 मई)
✍🏼 तिथि विशेष – द्वितीया तिथि को कटेरी फल का तथा तृतीया तिथि को नमक का दान और भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। द्वितीया तिथि सुमंगला और कार्य सिद्धिकारी तिथि मानी जाती है। इस द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्माजी को बताया गया है। यह द्वितीया तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वितीया तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायिनी होती है।।
🗼 Vastu tips_ 🗽
क्यों दिया जाता है उपहार? उपहार मन की खुशी को प्रकट करने के लिए या किसी को सम्मानित करने के लिए भी दिए जाते हैं. इनके बदले में किसी धन की अपेक्षा नहीं की जाती है, लेकिन हमेशा किसी को वो उपहार देना चाहिए, जो उसे काम आए. ऐसे मे नीचे कौनसे उपहार देना शुभ होता है. कौनसे अशुभ जानिए.
कौनसी चीजे उपहार में देना है शुभ? अक्सर उपहार मे वह चीजे दि जाती है, जो उस व्यक्ति को काम आए. अगर आप भी किसी को उपहार देने का सोच रहे है तो वास्तु के अनुरूप देना चाहिए. इसे उपहार लेने वाले व्यक्ति के जीवन मे सदा सकारात्मकता ऊर्जा बनी रहती है. उपहार मे तुलसी का पौधा, धातु का कछुआ, ताम्बे पीतल के बर्तन के मे आप मिटी के बर्तन, भी दे सकते है ऐसी चीजे उपहार मे देना काफ़ी शुभ होती है.
🎯 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे
🔷️ तांबे का पानी पाचनतंत्र(पाचन क्रिया को सही रखने के क्या उपाय हैं?) को मजबूत करता है और बेहतर पाचन में सहायता करता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से अतिरिक्त वसा को कम करने में बेहद मदद मिलती है।गर्म पानी पीने के फायदे
🔷️ तांबे में एंटी-इन्फलेमेटरी गुण होते हैं।जो शरीर में दर्द,सूजन तथा एठन की समस्या नहीं होने देते।
🔷️ आर्थराईटीस की समस्या से निपटने में भी तांबे का पानी फायदेमंद होता है।
🔷️ तांबे के बर्तन में रखा पानी पूरी तरह शुद्ध माना जाता है। यह डायरिया,पीलिया,डीसेंट्री और अन्य प्रकार की बिमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देता है।
🔷️ अमेरिका के कैंसर सोसायटी के अनुसार-तांबा कैंसर की शुरुवात को रोकने में मदद करता है और इसमें कैंसर विरोधी तत्व मौजूद होते हैं।
🔷️ यह दिल को स्वस्थ बनाए रखकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर बैड कॉलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसके अलावा यह हार्ट अटैक के खतरे को भी कम करता है। यह वात,पित्त और कफ की समस्या को दुर करने में मदद करता है।
🩸 आरोग्य संजीवनी 💊
गिलोय को आयुर्वेद में एक शक्तिशाली औषधि माना जाता है। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है और शरीर की इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है।
आंवला में उच्च मात्रा में विटामिन C होता है, जो शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह पाचन को भी सुधारता है और शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।
नीम के पत्ते और उसकी छाल मधुमेह के इलाज में प्रभावी होते हैं। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
कड़वा लौंग : कड़वा लौंग या करेला में मधुमेह को नियंत्रित करने वाले गुण होते हैं। इसका नियमित सेवन रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है। आप इसका जूस पी सकते हैं या इसे कच्चा खा सकते हैं।
दालचीनी : दालचीनी में प्राकृतिक रूप से ऐसे गुण होते हैं जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करते हैं। रोजाना 1/2 चम्मच दालचीनी पाउडर को गर्म पानी में डालकर पीने से शुगर स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।
🎗️ गुरु भक्ति योग 🪙
हिन्दू धर्म में कलावा यानी रक्षा सूत्र का खास महत्व है. पूजा पाठ के बाद जब पंडित हमारे हाथ में यह रंग बिरंगा धागा बांधते हैं, तो हम इसे शुभ मानकर लंबे समय तक हाथ में बांधे रखते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस धागे को कब तक पहनना चाहिए? क्या इसे महीनों तक हाथ में रखना सही है? अगर नहीं, तो क्यों? दरअसल, कलावा सिर्फ एक धागा नहीं होता. इसमें बहुत सारी ऊर्जा जुड़ी होती है. इसे बांधते समय मंत्र पढ़े जाते हैं और आस्था के साथ इसे हाथ में बांधा जाता है. यही वजह है कि इसे सही तरीके से पहनना और सही समय पर उतारना बहुत ज़रूरी माना गया है.
कलावा को क्यों माना जाता है खास कलावा को भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा से जोड़ा गया है. साथ ही इसमें मां लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का भी वास माना जाता है. जब यह धागा हाथ में बांधा जाता है, तो माना जाता है कि यह व्यक्ति को बुरी नज़र से, बीमारी से और नकारात्मक सोच से बचाता है. लेकिन समय बीतने के साथ इस धागे का असर कम होने लगता है.
कब तक पहनना चाहिए कलावा? ज्योतिष आचार्य श्री गोपी राम के अनुसार, कलावा को सिर्फ 21 दिन तक ही पहनना चाहिए. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि 21 दिन के बाद अक्सर इसका रंग उड़ने लगता है या धागे टूटने लगते हैं. जब कलावा कमजोर हो जाए या उसका रंग उतर जाए, तो उसका असर भी खत्म होने लगता है. ऐसे में इसे पहनना अशुभ माना जाता है.
पुराना कलावा क्या कर दें? अगर आप 21 दिन के बाद कलावा उतार रहे हैं, तो उसे कहीं भी न फेंकें. न ही उसे मंदिर में रखें या किसी पेड़ पर लटकाएं. माना जाता है कि पुराना कलावा नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है. इसलिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसे मिट्टी में दबा दें. इससे उस धागे के साथ जुड़ी नकारात्मक ऊर्जा भी धरती में समा जाती है.
क्या होता है अगर पुराना कलावा न हटाएं? अगर कोई व्यक्ति बहुत समय तक एक ही कलावा पहनता है, तो उसे इसका उल्टा असर देखने को मिल सकता है. शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करने से ग्रहों का संतुलन बिगड़ सकता है और जीवन में रुकावटें आने लगती हैं. कई बार बिना वजह तनाव, बीमारी और घर में अशांति के कारण भी यही हो सकता है._*ll
ॐ❀ೋ═══ • ═══ೋ❀ॐ
⚜️ प्रजापति व्रत दूज को ही किया जाता है तथा किसी भी नये कार्य की शुरुआत से पहले एवं ज्ञान प्राप्ति हेतु ब्रह्माजी का पूजन अवश्य करना चाहिये। वैसे तो मुहूर्त चिंतामणि आदि ग्रन्थों के अनुसार द्वितीया तिथि अत्यन्त शुभ फलदायिनी तिथि मानी जाती है। परन्तु श्रावण और भाद्रपद मास में इस द्वितीया तिथि का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिये श्रावण और भाद्रपद मास कि द्वितीया तिथि को कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिये।।

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