जननायक विरसा मुंडा की जयंती मनाई गई
सिलवानी। आजादी का अमृत महोत्सव एवं जनजाति गौरव सप्ताह के उपलक्ष्य में विद्याभारती जनजाति शिक्षा प्रकल्प प्रतापगढ़ में जननायक विरसा मुंडा जयंती मनाई गई। जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता चुन्नीलाल राठौर (उपाध्यक्ष प्रीति शिक्षा समिति सियरमऊ), मुख्य अतिथि द्वारका प्रसाद राठौर (समिति सदस्य) मुख्य वक्ता कमलेश उइके (उपसमिति सदस्य), वीरेंद्र सिंह यादव (प्रधानाचार्य सरस्वती शिशु मंदिर प्रतापगढ़) एवं आचार्य परिवार, भैया बहिनों की उपस्तिथि में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ विरसा मुंडा के छाया चित्र पर कुमकुम, पुष्प, तिलक लगाकर हुआ। अतिथि परिचय विद्यालय के प्रधानाचार्य वीरेन्द्र सिंह द्वारा किया गया। अतिथि स्वागत विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य अरविंद, ब्रजेश राय द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय की दीदी रजनी राय द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कमलेश उइके ने अपने उद्बोधन में भगवान विरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनका जन्म मुंडा जनजाति के गरीब परिवार में हुआ। इनके पिता श्री सुगना मुंडा एवं माता का नाम कर्मी मुंडा था। इनका जन्म 15 नबम्बर 1875 को झारखंड के खुटी जिले के उलिहातू ग्राम में हुआ। सालगा ग्राम में प्रारंभिक पढ़ाई हुई। उस समय हमारा देश अंग्रेजों के गुलाम था। मुंडा समुदाय को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने हेतु आपने नेतृत्व प्रदान किया। उस समय महामारी फेल गई थी उसी समय आपने लोगों की सेवा पूर्ण मनोयोग से की।
आपने मुंडा विद्रोह का नेतृत्व किया। 1अक्टूबर 1894 को नोजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्रित कर अंग्रेजों से लगान माफी के लिए आंदोलन किया। 1885 में गिरफ्तार कर आपको दो वर्ष का कारावास हुआ। लेकिन आपने अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी आबाज को और बुलंद किया जिससे लोग आपकी पूजा भगवान के रूप में करने लगे। आपकी मृत्यु 9 जून 1900 को रांची के कारागार में हुई।
अतः हमें ऐसे महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को देशहित, समाजहित में लगाना चाहिए। आभार विद्यालय की दीदी बबली ककोडिया द्वारा किया गया। उसके पश्चात शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।