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लंग्स फाइब्रोसिस भी बन रहा मौत का कारण, विशेषज्ञ बोले – इस रोग से फेफड़े पूरी तरह से हो जाते हैं डैमेज जिले में ब्लैक फंगस से हो चुकी हैं मौतें

रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन।
जिले में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ठीक हुए मरीजों के लिए म्यूकारमोईसिस (ब्लैक फंगस) के साथ साथ लंग्स फाइब्रोैसिस जैसी बीमारियां लोगों के लिए जान का खतरा बन रही हैं। कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान स्टेरॉयड एवं अन्य दवाओं के अलावा अधिक समय तक इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती रहने वाले मरीजों के सामने यह समस्या सामने आ रही है। ब्लैक फंगस में मरीज की मौत हो जाने का खतरा तब ज्यादा होता है जब इंफेक्शन दिमाग पर पहुंच जाता है।
लेकिन ब्लैक फंगस में इंफेक्शन दिमाग तक न पहुँचने के बाद भी कुछ मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह कोविड के चक्कर में फेफड़े कमजोर होना बताया जा रहा है। जिन्हें लंग्स फाइब्रोसिस कहा जा रहा है।इससे पीड़ित मरीजों को लगातार ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। ऐसे में ब्लैक फंगस के ऑपरेशन एवं इलाज में रिस्क होने के साथ ही कई दिक्कतें सामने आती हैं। जिला अस्पताल में भर्ती हुए कई कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ ही उन्हें अब कई समस्याएं सामने आ रही हैं। उन्होंने मीडिया कर्मियों को चर्चा के दौरान अपनी जुबानी बताया।
क्या है लंग्स फाइब्रोसिस……
विशेषज्ञों के अनुसार कोविड के मरीजों में रिकबरी के बाद लंग्स फाइब्रोसिस बीमारी जिंदगी भर परेशानी का कारण बन सकती है। इसमें फेफड़ों की दीवारों को मोटापन कर लचीलापन खत्म कर देती हैं। जिससे फेफड़ों की क्षमता कम होकर सांस फूलने की समस्या जिंदगी भर बनी रहती है। यह बीमारी उन मरीजों को हो रही है जो हाल ही में कोरोना महामारी से जंग लड़कर सकुशल घर लौटे हैं।
फेफड़ों पर पड़ता है गंभीर असर
जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ यशपाल सिंह बाल्यान, डॉ एमएल अहिरवार का कहना है कि ब्लैक फंगस के कुछ मामलों में कोविड के बाद मरीजों के फेफड़ों पर गंभीर असर देखने को मिल रहा है। जिसके चलते उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। फाइब्रोसिस से पीड़ित गंभीर मरीजों की स्थिति जरा सी लापरवाही बरतना उनकी जान पर बन आती है।
ब्लैक फंगस से अब तक पांच की मौत, 3 एक्टिव केस आए सामने
ब्लैक फंगस से अब तक रायसेन जिले में 5 ब्लैक फंगस पीड़ित मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं हाल ही में तीन नए एक्टिव केस ब्लैक फंगस के मरीज जांच के बाद सामने आए हैं। एक गंभीर महिला मरीज को इलाज के लिए भोपाल रैफर किया गया था। यह बीमारी शुगर पेशेंट मरीजों में ज्यादा हो रही है।
आंखों ने मूवमेंट बंद किया
कोविड से परेशान लोगों को अब ब्लैक फंगस ने परेशान करके रख दिया है। बरेली की एक महिला मरीज ब्लैक फंगस संक्रमण से बेहद परेशान है। फिलहाल उसकी दोनों आंखों ने मूवमेंट बंद कर दिया तो उसे भोपाल के एम्स हॉस्पिटल रैफर कर दिया गया था। बाकी मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। बरेली निवासी धनवंती पटेल को 15 अप्रैल 2021 कोरोना पॉजिटिव हुई थी। उसे पहले इलाज के लिए पिपरिया के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।वहां पूरा इलाज हो जाने के बाद कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके पश्चात वे अपने घर वापस आ गईं। उन्हें पहले कभी शुगर की परेशानी नहीं आई। लेकिन कोरोना संक्रमण के उपचार के दौरान उनकी शुगर बढ़ गई। इसके बाद उनकी आंखों, दांतों होना शुरू हो गया। परिजनों ने धनवती पटेल को जिला अस्पताल में दाखिल कराया।जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने जो इंजेक्शन लिखे उन्हें इंदौर से लेकर आना पड़े। उसके बेटे ब्रजेन्द्र पटेल ने बताया कि मां की आंख और चेहरे पर कालापन जैसे दाग धब्बे हो गए हैं। यहां इलाज में जब कोई फायदा नजर नहीं आया तो एम्स अस्पताल भोपाल में भर्ती कराना पड़ा है।
सहकारी बैंक के कर्मचारी गजराज शाक्या की भी ऑक्सीजन सैचुरेशन घट कर 76 पर आ गई थी। कोरोना संक्रमण की जब जांच कराई तो जांच रिपार्ट निगेटिव आई थी। जिला अस्पताल में उनके परिजनों ने इलाज के लिए जब दाखिल कराया और ऑक्सीजन लगाकर इलाज शुरू किया। ऑक्सीजन हटाने के बाद शुगर 700 से ज्यादा हो गई। इसको लेकर डॉक्टरों ने फिर इन्शुलन देना शुरू किया। उनकी शुगर अब कंट्रोल है पर आंखों में पीलापन अभी भी बरकरार है।

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