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जिले को बाल कुपोषण से मुक्त करने चलाया जा रहा है कुपोषण उन्मूलन बाल संवर्धन अभियान

चार सप्ताह में ही सेम श्रेणी से सामान्य श्रेणी में आया गया बालक प्रियांश
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। जिले को बाल कुपोषण से मुक्त करने हेतु कलेक्टर अरविन्द कुमार दुबे के निर्देशानुसार महिला बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषण उन्मूलन बाल संवर्धन अभियान के तहत विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कुपोषित बच्चों के श्रेणी सुधार के लिए काम किया जा रहा है। जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। सिलवानी तहसील के ग्राम बैरखेड़ी निवासी बालक प्रियांश चार सप्ताह में सेम श्रेणी से बाहर सामान्य श्रेणी में आ गया।
महिला बाल विकास विभाग की परियोजना सिलवानी के सेक्टर बीकलपुर के आंगनबाड़ी केन्द्र बैरखेड़ी में कार्यकर्ता राधा बाई द्वारा कोविड 19 निर्देशों के अनुसार नियमित रूप से जीरो से पॉच वर्ष तक के बच्चों के घर-घर जाकर उनका मासिक वजन, लम्बाई और ऊंचाई का माप लिया जाता है। इसी दौरान बैरखेड़ी निवासी मुन्नी बाई और सिब्बूलाल का बालक प्रियांश वजन से सेम श्रेणी में पाया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा तत्काल बच्चे का चिन्हांकन कर विभागीय सम्पर्क एप्लीकेशन में दर्ज किया गया और प्रियांश के पोषण स्थिति की गंभीरता की जानकारी उसके माता-पिता को दी गई। कुपोषण के कारण की जॉच कर आरबीएसके बकी टीम द्वारा त्वरित रूप से बच्चे के स्वास्थ्य की जॉच कराकर दवाएं भी प्रदान की गई।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राधा बाई ने बताया कि उसने नियमित रूप से बच्चे के घर गृहभेट की तथा बच्चे के माता-पिता को पोषण का महत्व समझाया। साथ ही बच्चे के घर पर, पोषण वाटिका में उगी सब्जी गिल्की, लौकी, मुन्गा, मीठी नीम, पपीता व उचित मूल्य दुकान से प्राप्त ज्वार व मोटा अनाज का उपयोग कर विभिन्न व्यंजनों की जानकारी दी गई। इसके अलावा बच्चे के घर पर ही मुन्गे की पत्ती, वेसन और आलू के पकोड़े, उपमा आदि बनाकर दिखाएं व बच्चे को खिलाए, जिसे उसने बड़े चॉब से खाया। इनके अलावा मिश्रित पोष्टिक खिचड़ी जैसे गिल्की, लौकी, आलू, फलीदाने, सोयाबड़ी, मिश्रित दालें, नारियल का तेल लगाकर बनाई जिनको दिन में तीन से चार बार बच्चे को खिलाया गया। राधा बाई ने बताया कि शुरू में परेशानी आई लेकिन नियमित गृहभेंट और समझाईश से बच्चे के परिजनों को पोषण का महत्व समझ आया गया। बच्चे के साथ ही परिवार के सदस्यों ने भी पोषक व्यंजन खाएं। साथ में डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाईयों की नियमित खुराक भी दी गई।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सप्ताह में दो बार नियमित वजन लिया गया। धीरे-धीरे बच्चे के वनज में सुधार होने लगा। पोषण मित्र अनीता व शिक्षक महेश बरकरे द्वारा लगातार पोषण खाद्य सामग्री बच्चे को प्रदान की गई। साथ ही आयुष विभाग द्वारा बच्चे को महामास तेल व सुपुष्टि चूर्ण दिया गया जिससे बच्चे को महामास तेल से मालिश कराई जा रही है। इन अथक प्रयासों के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए और बच्चा प्रियांश चार सप्ताह में सेम श्रेणी से बाहर सामान्य श्रेणी में आ गया है। प्रियांश के माता-पिता इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राधा बाई और महिला बाल विकास विभाग को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि अब वह बच्चे के पोषण आहार का अच्छे से ध्यान रखेंगे और दूसरे लोगों को भी पोषण आहार का महत्व बताएंगे।

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