वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई जन्मोत्सव एवं प्रकाश पर्व के अवसर पर मातृ गोष्ठी का हुआ आयोजन
सिलवानी। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सिलवानी में स्वातंत्र्य समर की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई एवं गुरु नानक देव का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया। विद्यालय द्वारा रंगोली, निबंध, चित्रकला, स्वरूप सज्जा एवं देशभक्ति गीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता श्रीमती जयंती रूपेंद्र कुशवाहा ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं पूजन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती दुर्गा लोधी उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वीर शिवाजी शिक्षण समिति के व्यवस्थापक सुरेन्द्र रघुवंशी द्वारा की गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ने बताया कि मां ही बच्चे की प्रथम गुरु होती है। बालक के सर्वांगीण विकास के लिए जन्म से 5 वर्ष की अवस्था महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस अवस्था में बालक के मस्तिष्क का 85% विकास हो चुका होता है। बाद के वर्षों की अवस्था में बालक सीखे हुए बातों का अनुभव के आधार पर प्रदर्शन करता है। बालक के अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करना एक शिक्षक का प्रथम ध्येय होता है।
कार्यक्रम में अतिथियों एवं अभिभावक माताओं द्वारा चित्रकला, रंगोली, निबंध प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। प्रतियोगिता में भैया बहनों ने रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, महाराणा प्रताप, शिवाजी, चंद्रशेखर आजाद एवं बिरसा मुंडा की सजीव रंगोली बनाकर अतिथियों का ध्यान आकर्षित किया।
इस अवसर पर अतिथियों ने रानी लक्ष्मी बाई के स्वरूप धारित बहनों का पूजन एवं अर्चन किया। विद्यालय के भैया बहनों ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत सामूहिक गीत का सस्वर गायन किया। मां के ऊपर हुए गीत को सुनकर माताओं के अश्रु छलक आए। विद्यालय के प्राचार्य विनय कुमार शर्मा ने कार्यक्रम की भूमिका रखा। उन्होंने बताया कि विद्या भारती एवं भारत सरकार द्वारा आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव का वार्षिक कैलेंडर तैयार किया गया है। जिसमें हमारे वीर वीरांगनाओं के अछूते पहलुओं से जनमानस को परिचित कराना है ।
साथ ही मात्रृ गोष्ठी का उद्देश्य शिशु शिक्षा व उनके लालन-पालन तथा अभिभावक माताओं को विद्यालय द्वारा चलने वाली 12 आयामी शिशु वाटिका व्यवस्था से भी परिचित कराना है।
विद्यालय के प्रचार प्रसार प्रमुख शैलेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि इस कार्यक्रम में 187 माताओं एवं बहनों ने सहभागिता की। विद्यालय परिवार द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम प्रतिवर्ष मनाया जाता है।