नगरीय निकायों में संविदा आधार पर होगी नियुक्तियां
भोपाल । स्थायी खर्च कम करने के लिए प्रदेश सरकार अब नगरीय निकायों में तीन से पांच साल तक के लिए संविदा आधार पर नियुक्तियां करेगी। इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। यह नियम एक जून से ही लागू हो गया है। नए नियम के हिसाब से ही अब संविदा भर्ती, पारिश्रमिक, सेवा शर्तों को लागू किया जाएगा।
अब विशेषज्ञ पदों की निकायवार अधिकतम संख्या से अधिक व्यक्तियों को नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। ज्यादा आवश्यकता होने पर नगरीय प्रशासन आयुक्त से अनुमति लेना होगी। ऐसे पदों पर ही नियुक्ति तभी होगी, जब ये पद छह महीने से खाली हों। नियुक्ति 65 प्रतिशत स्थापना व्यय सीमा के अंदर करना होगी। इसमें प्रदेश सरकार या सार्वजनिक उपक्रम के सेवानिवृत्त अधिकारियों, कर्मचारियों को भी रखा जा सकेगा।
इन पदों पर होगी संविदा नियुक्ति
चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), अकाउंट एक्सपर्ट, फाइनेंशियल एनालिस्ट, अर्बन प्लानिंग एक्सपर्ट। ये नियुक्तियां न्यूनतम 30 हजार और अधिकतम 60 हजार रूपए प्रति माह के वेतन पर होंगी। इनमें अनुभव 3-3 साल का जरूरी है। इसके अलावा एन्वायर्नमेंटल स्पेशलिस्ट, सामुदायिक प्रबंधक, ई-गवर्नेंस चेंज मैनेजर, सिस्टम प्रोग्रामर, कम्प्यूटर ऑपरेटर, कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट एक्सपर्ट, जूनियर इंजीनियर, लाइब्रेरियन, फायर एक्सपर्ट, फायर ब्रिगेड मैनेजर, विधि सलाहकार, एनर्जी एक्सपर्ट, हॉर्टीकल्चर एक्सपर्ट भी शामिल हैं। इससे नीचे की कैटेगरी में केमिस्ट, इलेक्ट्रीशियन, वाहन चालक, ऑफिस असिस्टेंट, वॉल्व मैन, प्लंबर, फिटर, वेल्डर, सुरक्षा गार्ड, लाइनमैन, मजूदर, हेल्पर, गोताखोर, स्वच्छता सहायक भी नियुक्त होंगे।
निगम को कराना होगा प्रशासक से अनुमोदन
नए नियम की कॉपी नगरीय निकायों में भेजी जा चुकी है। कई जगह अभी तक प्रशासक से मंजूरी नहीं मिली है। सूत्रों का कहना है नए नियमों के आधार पर कई पूर्व अधिकारी दोबारा निगम में आने की तैयारी में हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की बात करें तो अभी निगम में मस्टर परम्परा थी।
इन नियमों का करना होगा पालन
नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अनुसार ऐसे ही अधिकारी की नियुक्ति नए नियमों में हो पाएगी। जिसकी 5 साल की गोपनीय चरित्रावली बहुत अच्छी श्रेणी की हो। नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति पर किसी तरह का केस, जांच लंबित न हो। आयु सीमा 21 से 65 साल तक की हो। नियुक्ति पहली बार एक साल से ज्यादा समय के लिए नहीं की जा सकेगी। इसे अधिकतम तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकेगा। किसी भी व्यक्ति को पांच साल से ज्यादा नहीं रखा जा सकेगा। नए नियम तीन कैटेगरी में हैं। पहला 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले निकाय, दूसरा 10 लाख से कम के नगर पालिका और तीसरा नगर परिषद के हिसाब से मान्य होंगे।