मध्य प्रदेश

शिखर सहकारी समिति उमरियापान का मामला कंपनी संचालक सहित एजेंट पहुंचे सलाखों के पीछे

रिपोर्टर : सतीश चौरसिया, उमरिया पान
उमरियापान। पैसे का ज्यादा लालच और कम समय में ही करोड़पति होने का सपना देखने वाले चार आरोपियों को झिझरी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया दिया गया है जो शिखर सहकारी समिति मर्यादित के नाम से कंपनी बनाकर उमरियापान, पचपेढ़ी सहित आसपास के क्षेत्रों में लगभग 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है।
उमरियापान थाना प्रभारी गणेश विश्वकर्मा से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को पुलिस द्वारा आरोपी नरेन्द्र पौराणिक, अंशुल चौरसिया, मुकेश चौरसिया, मनीष पौराणिक को सिविल न्यायालय ढीमरखेड़ा में पेश किया गया जहां से उक्त सभी आरोपियों की जमानत खारिज करते हुये कोर्ट ने जेल भेजा है। विदित हो कि उक्त सभी आरोपियों ने शिखर सहकारी समिति मर्यादित के नाम से कंपनी बनाई और भोले भाले लोगों को अपने साझे में लिया। ग्रामीणों को ज्यादा ब्याज का लालच देकर इनके द्वारा पैसा जमा कराये गये लेकिन जैसे पैसा देने की बारी आई तो इन सभी आरोपियों ने पैसा देने से साफ इंकार कर दिया। खाताधारकों की लाख मिन्नत के बाद जब इनके द्वारा पैसा नहीं दिया तब खाताधारकों ने उमरियापान थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई जिस पर पुलिस द्वारा धारा 420, 34, 506, 409 भारतीय दंड विधान के मामला पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान विवेचक एएसआई मानसिंह मार्को ने आरोपी नरेन्द्र पौराणिक, अंशुल चौरसिया, मुकेश चौरसिया,मनीष पौराणिक से पूछताछ की गई जिसमें इन लोगों के द्वारा पुलिस को भी गुमराह करने का काम किया गया और इनके द्वारा कहा गया कि खाताधारकों के डायरी में जो हस्ताक्षर है वह हमारे नहीं है। लिहाजा पुलिस ने सभी डायरियां की जांच करवाई तो मामला साफ हो गया और इनके कारनामें सामने आ गये।
नेता भी नहीं आये काम
जब से उक्त चारों आरोपियों पर मामला दर्ज हुआ था तभी से उमरियापान के कुछ तथाकथित नेता उपरोक्त मामले को रफा-दफा करवाने में लगे हुये थे और उनके द्वारा आरोपियों को आश्वासन भी दिया जा रहा था हम कुछ नहीं होने देंगे लेकिन नेताजी शायद यह भूल गये थे कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते है और उसमें चाहे जितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो उसे अपने करतूतों की सजा भुगतनी ही पड़ती है।
किसी ने लिये प्लाट तो किसी न खरीदी जमीन!
खाताधारकों द्वारा बताया गया कि हम लोगों को ऐसी जानकारी लगी है कि उक्त कंपनी संचालक नरेन्द्र पौराणिक के द्वारा जबलपुर और दमोह में प्लाटिंग की गई है और एजेंटों ने उक्त वसूली के रूपयों से जमीन खरीदी गई तो किसी ने मकान का निर्माण करवाया गया है लेकिन कंपनी संचालक और एजेंटों ने खाताधारकों के खून पसीने की कमाई को कहां लगाया है इसकी सही जानकारी तो इन आरोपियों के पास ही होगी। खाताधारकों यह भी कह रहे है कि इनके द्वारा कुछ भी किया गया हो हमें उससे मतलब नहीं है हमें तो हमारा पैसा चाहिये।
जबलपुर में भी फर्जीवाड़ा

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त चिटफंड कंपनी संचालक पौराणिक उमरियापान तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि उसका एक गिरोह इस काम को अंजाम देता है और इसके द्वारा जो पैसा वहां से प्राप्त होता है उसका निवेश जमीनों के क्रय विक्रय में किया जाता है। इसके द्वारा जबलपुर जिले के गुप्तेश्वर और रांझी, पनागर में भी एक ऑफिस खोला गया है और यहां पर भी इसके द्वारा भोले भाले लोगों को पैसा हड़पा गया और फिर उक्त ऑफियों को बंद कर दिया गया।
वहीं उपरोक्त चारों आरोपियों को सलाखों में पहुंचाने में उमरियापान थाना प्रभारी गणेश प्रसाद विश्वकर्मा, विवेचक एएसआई मानसिंह मार्को सहित थाना स्टॉफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही जिन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन सही तरीके से किया और गरीबों का रूपया हड़प करने वाले आरोपियों को जेल पहुंचाया।

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