धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शुक्रवार 25 जुलाई 2025
25 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष कि प्रतिपदा तिथि है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष अष्टम तिथि के बढ़ जाने से यह पक्ष सोलह दिनों का हो जाता है। आज से गुजराती लोगों का श्रावण मास का आरंभ माना जाता है तो आज से श्रावण मास के सभी व्रत नियम गुजराती लोगों का आरंभ हो जाएगा। श्रावणेवर्जयेच्छाकम् अर्थात सावन मास में शाक वर्जित माना गया है शाक का त्याग करना चाहिए श्रावण मास में आज से गुरु और शुक्र दोनों का एक ही राशि में आ जाएंगे और यह दुर्भिक्ष एवं दु:ख का कारण माना जाता है। यह दोष अगर श्रावण पूर्णिमा को श्रावण नक्षत्र हो और वर्षा हो जाए तो सुर्भिक्ष एवं सुख का योग बन सकता है। श्रावण शुक्ल पक्ष के पहले दिन भगवान श्रीविष्णु जी का एवं भगवान भोलेनाथ का सम्मिलित रूप से अभिषेक करना चाहिए। द्वितीय का यदि उत्तर श्रृंग की और चंद्रमा दिखाई दे तो भी सुर्भिक्ष अर्थात सुख का योग बनता है। आज से जैन लोग अपने सात परम स्थान का दर्शन और भ्रमण करते हैं। आज से आप सभी गुजराती स्नातनियों को ” श्रावण मास” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
👸🏻 शिवराज शक 352
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
⛈️ मास – श्रावण मास
🌘 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📅 तिथि – शुक्रवार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 11:23 PM तक उपरांत द्वितीया
🖍️ तिथि स्वामी – प्रतिपदा तिथि के देवता हैं अग्नि। इस तिथि में अग्निदेव की पूजा करने से धन और धान्य की प्राप्ति होती है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र पुष्य 04:00 PM तक उपरांत आश्लेषा
🪐 नक्षत्र स्वामी – पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह है, लेकिन इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देव गुरु बृहस्पति देवता को माना गया है।
⚜️ योग – वज्र योग 07:27 AM तक, उसके बाद सिद्धि योग 05:31 AM तक, उसके बाद व्यातीपात योग
प्रथम करण : किंस्तुघ्न – 11:57 ए एम तक
द्वितीय करण : बव – 11:22 पी एम तक बालव
🔥 *गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक । ⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ । 🤖 *राहुकाल -दिन – 11:13 से 12:35 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |* 🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:18:00_
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:38:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:16 ए एम से 04:57 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:36 ए एम से 05:39 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:44 पी एम से 03:38 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:16 पी एम से 07:37 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:16 पी एम से 08:19 पी एम
💧 अमृत काल : 09:48 ए एम से 11:21 ए एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 26 से 12:49 ए एम, जुलाई 26
🚓 यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
💁🏻 आज का उपाय-लक्ष्मी मंदिर में छैने से बनी मिठाई अर्पित करें।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – मूल प्रारंभ/नक्त व्रतारंभ/ विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस, राष्ट्रीय वाइन दिवस, पनीर दिवस, अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस, राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा सपथ समरोह दिवस, राष्ट्रीय अनुभवी कर्मचारी दिवस, राष्ट्रीय हॉट फ़ज संडे दिवस, विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस, वर्ल्ड एंब्रियोलॉजिस्ट डे, राष्ट्रीय सुई धागा दिवस, मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री गोविन्द नारायण सिंह जन्म दिवस, विश्व डूब रोकथाम दिवस, भारतीय राजनीतिज्ञ सोमनाथ चटर्जी जयन्ती, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल जन्म दिवस, विश्व डूबने से बचाव दिवस, अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक कल्याण दिवस, विश्व टेस्ट ट्यूब निषेचन दिवस, आचार्य परशुराम चतुर्वेदी जन्म दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – प्रतिपदा तिथि को कद्दू एवं कूष्माण्ड का दान एवं भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। प्रतिपदा तिथि वृद्धि देनेवाली अर्थात किसी भी कार्य को अथवा कार्यक्षेत्र को बढ़ाने वाली तिथि मानी जाती है। साथ ही प्रतिपदा तिथि सिद्धिप्रद अर्थात कोई भी कार्य को निर्विघ्नता पूर्वक चरम तक पहुंचाने अर्थात सिद्धि तक पहुंचाने वाली तिथि भी मानी जाती है। इस प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देवता को बताया गया है। यह प्रतिपदा तिथि नन्दा नाम से विख्यात मानी जाती है।।
💒 Vastu tips 🛕
किस दिशा में नहीं रखना चाहिए झाडू को गलती से भी कभी ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) और आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में नहीं रखना चाहिए। इन दिशाओं में अगर आप झाडू को रखते हैं तो धन से जुड़ी कई परेशानियां आपको घेर सकती हैं। इसके साथ ही वास्तु दोष भी घर में उत्पन्न हो सकता है। इस दिशा में झाड़ू को रखने से घर के लोगों को मानसिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए गलती से भी इन स्थानों पर आपको झाडू नहीं रखना चाहिए।
कहां रखना चाहिए झाड़ू घर में झाडू रखने की सबसे सही जगह नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा) मानी गयी है। वास्तु के अनुसार, इस दिशा में रखा झाड़ू रखने से आपका जीवन व्यवस्थिति हो जाता है, साथ ही माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी आप प्राप्त करते हैं। आपके जीवन की कई परेशानियों को इस दिशा में रखा झाड़ू दूर कर सकता है। अगर इस दिशा में झाड़ू रखने की जगह न हो तो आप पश्चिम दिशा में भी झाड़ू रख सकते हैं।
🔏 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
मोबाइल फोन के स्क्रीन की चमक (ब्राइटनेस) का आंखों पर बहुत असर पड़ता है. ज़्यादा ब्राइटनेस से आंखों में तनाव, थकान और धुंधली दृष्टि जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा, नीली रोशनी के कारण नींद में भी खलल पड़ सकता है.
मोबाइल के स्क्रीन की अत्यधिक चमक के कारण, पलक झपकाने की संख्या कम हो सकती है, जिससे आंखें सूख सकती हैं और जलन हो सकती है. जब बच्चे मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो पलक नहीं झपकाते है- ध्यान दीजिएगा.
मोबाइल फोन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों के मेलाटोनिन के उत्पादन को दबा सकती है, जो नींद के लिए ज़रूरी हार्मोन है. इससे सोने में कठिनाई हो सकती है. इसलिए रात में सोने के एक घंटा पहले मोबाइल का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए.
🥝 आरोग्य संजीवनी 🍓🍏
अचानक तेज दर्द: पथरी का सबसे प्रमुख लक्षण अचानक और तेज दर्द का होना है, जो आमतौर पर पेट के निचले हिस्से या पीठ के निचले हिस्से में महसूस होता है। ये दर्द तब होता है जब पथरी मूत्र मार्ग में किसी स्थान पर फंस जाती है और वह जगह बाधित हो जाती है।
मूत्र में खून आना: जब पथरी मूत्र मार्ग में जाकर घर्षण करती है, तो मूत्र में खून आ सकता है। यह खून एकदम स्पष्ट दिखाई दे सकता है या मूत्र हल्का गुलाबी या लाल रंग का हो सकता है।
नमकीन या जलन महसूस होना: पथरी के कारण मूत्र मार्ग में सूजन और जलन हो सकती है। यह जलन या नमकीन की भावना मूत्र करते वक्त और बाद में महसूस हो सकती है।
पेट में सूजन और चिपचिपापन: पथरी के दर्द के दौरान पेट में सूजन और चिपचिपापन भी महसूस हो सकता है। यह स्थिति तब होती है जब पथरी के कारण शरीर के अंदर कोई संक्रमण या सूजन हो।
मितली और उल्टी: पथरी के दर्द के दौरान कई बार मितली और उल्टी का भी सामना करना पड़ सकता है। यह तब होता है जब दर्द अत्यधिक बढ़ जाता है और शरीर के बाकी अंगों पर भी असर डालता है।
बार-बार पेशाब की इच्छा: पथरी के दर्द से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार पेशाब करने की इच्छा हो सकती है। पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस हो सकती है।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
ऋषि शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु कहलाते है तथा इनके बारे में काशी खण्ड महाभारत जैसे ग्रंथो में अनेक कथाएं लिखी गई है। शुक्राचार्य के पिता मह्रिषी भृगु थे तथा देवताओ के गुरु बृहस्पति के पिता ऋषि अंगिरस थे। शुक्राचार्य व बृहस्पति दोनों ने अपने बाल्य अवस्था में अंगिरस से शिक्षा ली थी. परन्तु ऋषि अंगिरस पुत्र मोह के कारण शुक्राचार्य की अपेक्षा बृहस्पति को शिक्षा देने में अधिक रूचि दिखाते थे।
अपने साथ हो रहे भेदभाव से परेशान होकर शुक्राचार्य ऋषि अंगिरस का आश्रम छोड़ दिया और गौत्तम ऋषि के आश्रम में गए तथा उनसे विद्यादान करने के प्राथना करी. गौत्तम ऋषि शुक्राचार्य को समझाते हु बोले पुत्र ! इस समस्त संसार के गुरु भगवान शिव है, अतः तुम्हे उनके शरण में जाना चाहिए और उनकी आरधना करनी चाहिए। इस तरह तुम समस्त प्रकार की विद्या एवं गुण स्वतः ही प्राप्त कर लोगे।
गौतम मुनि के सुझाएँ मार्ग को उत्तम मानकर शुक्राचार्य गौतमी नदी के तट पर पहुंचे तथा वहां उन्होंने भगवान शिव की तपस्या आरम्भ करी। उन्होंने कई वर्षो तक कठोर तपस्या करी जिस पर प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने दर्शन दिए. भगवान शिव के द्वारा गुरु शुक्राचार्य को मृत संजीवनी विद्या का उपदेश प्राप्त हुआ।
गुरु शुक्राचार्य ने भगवान शिव द्वारा प्राप्त विद्या का प्रयोग दैत्यों पर करना शुरू कर दिया। शुक्र ने मृत संजीवनी विद्या के बल पर सभी मृत राक्षसों को जीवित कर दिया। इसके फलस्वरूप दानवो में में अहंकार उतपन्न हो गया तथा वे देवताओ पर अत्याचार करने लगे क्योकि देवताओ और दानवो में सहज ही जाती वैर था।
तथा बाद में निरंतर दानवो और देवताओ में युद्ध होने लगा। मृत संजीवनी के कारण दानवो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी तथा देवता असहाय होने लगे।
जब देवताओ को कोई उपाय नहीं सुझा तो भगवान शिव के पास गए क्योकि उन्होंने ही शुक्राचार्य को मृत संजीवनी की विद्या दी थी। भगवान शिव से शिकायत करते हुए देवता बोले भगवन ! आप तो अन्तर्यामी है आप से कुछ नहीं छुपा। आप के द्वारा दी गई विद्या का दैत्य गुरु शुक्राचार्य दुरूपयोग कर रहे है। वह मृत असुरो को पुनः जिंदा कर हमारे खिलाफ भड़का रह है। अगर कुछ नहीं किया गया तो शीघ्र ही दैत्य सम्पूर्ण स्वर्गलोक पर अपना अधिकार स्थापित कर लेंगे।
भगवान शिव को शुक्राचार्य द्वारा मृत संजीवनी विद्या का दुरूपयोग करना अनुचित लगा। महादेव शिव क्रोध में आकर दैत्य गुरु शुक्राचार्य को ढूढ़ने लगे। दैत्य गुरु शुक्राचार्य भगवान शिव के भयंकर क्रोध से भली-भाति परिचित थे।
अतः उन्होंने अपने आपको भगवान शिव के नजरो से बचाने का प्रयास किया. परतु भगवान शिव से कोई भी चीज़ नहीं छुपी है उन्होंने शुक्राचार्य को पकड़कर अपने विशाल मुंह को खोला, तथा उन्हें निगल लिया।
महादेव शिव के देह में शुक्राचार्य का दम घुटने लगा उन्होंने भगवान शिव के देह में ही उनकी प्राथना करनी शुरू कर दी. परन्तु इस पर भी भगवान शिव का क्रोध शांत नहीं हुआ।
भगवान शिव ने अपने शरीर के सभी छिद्र बंद कर दिए. अंत में शुक्राचार्य महादेव शिव की देह से शुक्ल कांती के रूप में निकल गए।
इस प्रकार वे महादेव शिव के तथा माता पर्वती के पुत्र समान हो गए. परन्तु भगवान शिव का क्रोध अब भी शांत नहीं हुआ जैसे ही उनकी दृष्टि शुक्राचार्य पर पड़ी तो वे उनका वध करने के लिए आगे बढ़े परन्तु उसी समय माता पार्वती ने उन्हें रोका व समझाया की यह अब हमारे पुत्र समान है। अतः हम अपने स्वयं के पुत्र का ही वध नहीं कर सकते।
पार्वती की अभ्यर्थना पर शिव जी ने शुक्राचार्य को अधिक तेजस्वी बनाया। अब शुक्राचार्य भय से निरापद हो गए थे। उन्होंने प्रियव्रत की पुत्री ऊर्जस्वती के साथ विवाह किया। उनके चार पुत्र हुए-चंड, अमर्क, त्वाष्ट्र और धरात्र।
जय शिव शंकर
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⚜️ प्रतिपदा तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। आज प्रतिपदा तिथि को अग्निदेव से धन प्राप्ति के लिए एक अत्यंत ही प्रभावी उपाय कर सकते हैं। आज प्रतिपदा तिथि को इस अनुष्ठान से अग्निदेव से अद्भुत तेज प्राप्त करने के लिए भी आज का यह उपाय कर सकते हैं। साथ ही आज किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति भी इस अनुष्ठान के माध्यम से अग्निदेव से करवायी जा सकती हैं। इसके लिए आज अग्नि घर पर ही प्रज्ज्वलित करके गाय के शुद्ध देशी घी से (ॐ अग्नये नम: स्वाहा) इस मन्त्र से हवन करना चाहिये।।

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