धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग शनिवार, 26 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शनिवार 26 जुलाई 2025
26 जुलाई 2025 दिन शनिवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष कि द्वितीया तिथि है। लिखा है:- द्वितीया का यदि उत्तर श्रृंग की और चंद्रमा दिखाई दे तो भी सुभिक्ष अर्थात सुख का योग बनता है। तो आज सौम्यश्रृंग सुचिक्षकरम् । अर्थात द्वितीया में चन्द्रदर्शन का योग बन रहा है जो सुभिक्ष का योग बनाने वाला है। आज धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज जी की जन्म जयंती है। कांसी में आज विभिन्न प्रकार के उत्सवो का आयोजन इस अवसर पर होता है और विशिष्ट रूप से स्वामी जी की जयन्ती का उत्सव बनाया जाता है। आज रवि योग भी है। आज सभी सनातनियों को “धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज जी के जन्म जयन्ती” की बहुत – बहुत हार्दिक शुभकामनाएं एवं अनन्त – अनन्त बधाईयाॅं।।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
👸🏻 शिवराज शक 352
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
⛈️ मास – श्रावण मास
🌘 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📅 तिथि – शनिवार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि 10:42 PM तक उपरांत तृतीया
✏️ तिथि स्वामी – द्वितीया तिथि के देवता हैं ब्रह्मा। इस तिथि में ब्रह्मा की पूजा करने से मनुष्य विद्याओं में पारंगत होता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र आश्लेषा 03:52 PM तक उपरांत मघा
🪐 नक्षत्र स्वामी – आश्लेषा नक्षत्र का स्वामी बुध ग्रह है। तथा आश्लेषा नक्षत्र के देवता सर्प (नाग) हैं।
⚜️ योग – व्यातीपात योग 04:05 AM तक, उसके बाद वरीयान योग
प्रथम करण : बालव – 10:57 ए एम तक
द्वितीय करण : कौलव – 10:41 पी एम तक तैतिल
🔥 गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6: 53 से 8:19 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -सुबह – 9:44 से 11:09 तक।राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:18:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:38:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:16 ए एम से 04:58 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 04:37 ए एम से 05:39 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:44 पी एम से 03:38 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:16 पी एम से 07:37 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 07:16 पी एम से 08:18 पी एम
💧 अमृत काल : 02:16 पी एम से 03:52 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 27 से 12:49 ए एम, जुलाई 27
🚓 यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
💁🏻 आज का उपाय-शनि मंदिर में उड़द के बड़े चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – चंद्रदर्शन/श्री करपात्री जी जयंती/ कारगिल विजय दिवस, राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस, राष्ट्रीय बैगेलफेस्ट दिवस, राष्ट्रीय ऑल ऑर नथिंग डे, मालदीव स्वतंत्रता दिवस, प्रसिद्ध भारतीय योगाचार्य कृष्ण पट्टाभि जोइस जयन्ती, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मालती चौधरी जन्म दिवस, प्रसिद्ध राजनेता सत्य नारायण सिन्हा स्मृति दिवस, समाज सुधारक शाहू महाराज जयन्ती, प्रसिद्ध कवयित्री विद्यावती ‘कोकिल’ जन्म दिवस, भारतीय क्रिकेटर जी.एस. रामचंद जन्म दिवस, प्रसिद्ध विद्वान वासुदेव शरण अग्रवाल स्मृति दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – द्वितीया तिथि को कटेरी फल का तथा तृतीया तिथि को नमक का दान और भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। द्वितीया तिथि सुमंगला और कार्य सिद्धिकारी तिथि मानी जाती है। इस द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्माजी को बताया गया है। यह द्वितीया तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वितीया तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायिनी होती है।।
🏘️ Vastu Tips 🛕
झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं दक्षिण दिशा में झाड़ू रखने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा सदैव बनी रहती है। बस यहां झाड़ू रखते समय इस बात का ध्यान रखना है कि इस पर गलती से भी किसी की नजर न पड़े।
फिनिक्स चिड़िया इस दिशा में फिनिक्स चिड़िया की तस्वीर लगाना भी बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं इससे घर में सकारात्मकता आती है। साथ ही घर परिवार में पैसों की कभी कमी नहीं होती। अक्सर अमीर लोग अपने घर की दक्षिण दिशा में इस तस्वीर को जरूर लगाते हैं।
कीमती सामान घर का कीमती सामान भी इस दिशा में रखने की सलाह दी जाती है। कहते हैं इससे कुबेर देवता हमेशा मेहरबान रहते हैं।
जेड प्लांट इस दिशा में जेड प्लांट रखना भी बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिशा में जेड प्लांट रखने से हर काम में सफलता मिलती है।
🔐 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
चिरायता पीने के फायदे‌चिरायता त्वचा के लिए चिरायता त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, ये त्वचा पर सूरज की रौशनी से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करता है, त्वचा को मुलायम और जवां बनाए रखने में मदद करता है, साथ ही कील मुंहासे और फोड़े फुंसियों से भी बचाता है।
चिरायता जोड़ों के दर्द को कम करता है चिरायता की जड़ों में स्वेटिया मारिन कंपाउंड होता है, जो गठिया या जोड़ों के दर्द में आराम पहुंचाता है, इसलिए जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए चिरायता महत्वपूर्ण और लाभदायक सिद्ध होता है।
चिरायता सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार में सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार, वायरल इंफेक्शन की वजह से ही होते हैं, और चिरायते में एंटी-वायरल तत्व मौजूद होते हैं, इसलिए ऐसे में चिरायता बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।
चिरायता पेट के कीड़ों के लिए चिरायता पेट व आंतों में उत्पन्न होने वाले कीड़ों को मारने या नष्ट करने में सक्षम होता है। इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में पेट के कीड़ों को नष्ट करने के लिए चिरायता का इस्तेमाल किया जाता है।
🍻 आरोग्य संजीवनी 🍶
ढीले दांत, पायरिया और एक विस्मृत औषधीय वनस्पति — रक्त-व्याघ्र एरंड
हमारे गांवों में आज भी ऐसे पारंपरिक ज्ञान के रक्षक मिल जाते हैं जो बिना किसी डॉक्टर के, लोकज्ञान से ही समस्याओं का समाधान कर लेते हैं। बहुत साल पहले अपने गाँव में मैंने देखा कि एक बुज़ुर्ग व्यक्ति किसी झाड़ी की पत्तियाँ तोड़कर उसके सैप/द्रव अपने दांतों पर मल रहे थे। पूछने पर बोले — ‘रामबाण है बेटा। इसे ‘बारंडी’ कहते हैं’
और मुझे उत्सुकता हुई कि आख़िर ये पौधा क्या है। खोजने पर पता चला कि इसका वनस्पति नाम है, लोकभाषाओं में इसे रतनज्योति, बरण्डी, बघ्रेण्डी आदि नामों से बुलाया जाता है और आयुर्वेद में इसे ‘रक्तव्याघ्र एरंड’, ‘द्रवन्ती’, ‘भद्रदन्ती’ आदि नामों से जाना गया है। यह दन्ती का ही एक प्रकार है।
लोक-चिकित्सा में प्रयोग: भारत के अलावा यह ब्राज़ील, नाइजीरिया, घाना, फिलीपींस, क्यूबा आदि देशों में भी पारंपरिक चिकित्सा का अभिन्न हिस्सा है। राजस्थान और मध्य भारत में आदिवासी समुदाय इसके पत्तों को दांतों और मसूड़ों की सूजन, पायरिया आदि में मलने या चबाकर दांतों पर लगाने का प्रचलन करते हैं। आयुर्वेद में इसे द्रवणकारी, विरेचक और दन्तरोगहर बताया गया है।
📚 गुरु भक्ति योग 📗
देव दोष की वज़ह से धन आगमन नहीं हो रहा है और कोई भी काम में सफलता नहीं मिल रही हो, तो क्या उपाय?
अगर देव दोष (जैसे पितृ दोष, ग्रह दोष, मंदिर में सेवा में चूक, कुलदेवता की उपेक्षा आदि) के कारण जीवन में धन का आगमन रुक गया हो, व्यवसाय या नौकरी में असफलता मिल रही हो, तो यह दर्शाता है कि आपकी आध्यात्मिक शक्ति और कुल/दैविक ऊर्जा आपसे नाराज़ या असंतुलित है। ऐसे में निम्नलिखित प्रभावशाली उपाय करें — श्रद्धा, नियम और नियमितता के साथ:
कुलदेवता की सेवा करें (अत्यंत महत्वपूर्ण) अपने कुलदेवता/कुलदेवी कौन हैं, यह अपने पितृ पक्ष से पूछें।
अगर पता नहीं हो तो किसी योग्य पंडित से गोत, नक्षत्र और कुल के आधार पर पूछें।
प्रत्येक अमावस्या को उन्हें जल, नारियल, धूप, दीप अर्पित करें।
वर्ष में एक बार उनके मंदिर जाकर पूजा करें।
यह उपाय जीवन की जड़ को ठीक करता है।
सूर्य को अर्घ्य देना (प्रतिदिन) रोज़ सुबह तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, रोली मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
यह न केवल आर्थिक बाधा को हटाता है, बल्कि आत्मबल, प्रभाव और भाग्य को भी मजबूत करता है।साथ में यह मंत्र बोलें:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
देव दोष’ निवारण के लिए विशेष मंत्र जाप: प्रतिदिन 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। या हर शनिवार को 108 बार “ॐ शनैश्चराय नमः”।
हवन या पूजा (देव दोष निवारण हेतु):किसी योग्य पंडित से देव दोष निवारण हवन करवाएं।
हवन सामग्री में घी, गुड़, सफेद तिल, जौ, कमलगट्टा, चंदन अवश्य हो।
पूजा में ये देव प्रमुख होते हैं: ब्रह्मा, विष्णु, महेश, नवग्रह, पितृ, ऋषि, और कुलदेवता
शनिवार को पीपल की सेवा: हर शनिवार पीपल को जल, कच्चा दूध, गुड़ और दीपक चढ़ाएं।
यह कार्य सूर्यास्त से पूर्व करें और 7 परिक्रमा करें। यह पितृ दोष, शनि दोष, और देव दोष तीनों को शांति देता है।
घर के ईशान कोण की शुद्धि करें: ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) देवताओं का स्थान है।
वहां गंगाजल छिड़कें, दीपक जलाएं और ॐ का उच्चारण करें।
वहां बिना जूते, शुद्धता से बैठकर प्रार्थना करें।
अन्न और जल दान (देवों को समर्पण का भाव): हर गुरुवार या अमावस्या को गरीब ब्राह्मण/गौशाला/अनाथालय में भोजन दान करें।
“यह भोजन मेरे देवता और पूर्वजों को समर्पित है” यह भाव रखें।
महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य बातें: घर में देवस्थान शुद्ध रखें, वहां कभी जूते या झाड़ू न जाएं।
घर में किचन और ईशान कोण में झगड़ा या अपवित्रता न हो।
सोने के समय पैर उत्तर की ओर न रखें।
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⚜️ प्रजापति व्रत दूज को ही किया जाता है तथा किसी भी नये कार्य की शुरुआत से पहले एवं ज्ञान प्राप्ति हेतु ब्रह्माजी का पूजन अवश्य करना चाहिये। वैसे तो मुहूर्त चिंतामणि आदि ग्रन्थों के अनुसार द्वितीया तिथि अत्यन्त शुभ फलदायिनी तिथि मानी जाती है। परन्तु श्रावण और भाद्रपद मास में इस द्वितीया तिथि का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिये श्रावण और भाद्रपद मास कि द्वितीया तिथि को कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिये।।

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