धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग रविवार, 03 अगस्त 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 03 अगस्त 2025
03 अगस्त 2025 दिन रविवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष कि नवमी तिथि है। आज भगवान सूर्य पुष्य नक्षत्र से निकलकर सायं काल 05.34 PM बजे आश्र्लैषा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। जिसका विवरण कुछ इस प्रकार है। नपु. स्त्री.सू.च.योगी नाग वाहन , चंडा नाड़ी, स्वामी शनि है। परिणाम स्वरूप माध्यम वायु के साथ वर्षा का योग बनेगा। जैन लोगों का आज णमोकार 35 व्रत 28 वां उपवास जैन लोगों का है। सुबह में रवि योग है। आज यायीजय योग भी है। आज सभी सनातनियों को “भगवान सूर्य देवता के आश्र्लेषा प्रवेश” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
👸🏻 शिवराज शक 352
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
⛈️ मास – श्रावण मास
🌔 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – रविवार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष नवमी तिथि 09:42 AM तक उपरांत दशमी
✏️ तिथि स्वामी – नवमी की देवी हैं दुर्गा। इस तिधि में जगतजननी त्रिदेवजननी माता दुर्गा की पूजा करने से मनुष्य इच्छापूर्वक संसार-सागर को पार कर लेता है तथा हर क्षेत्र में सदा विजयी प्राप्त करता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र विशाखा 06:35 AM तक उपरांत अनुराधा
🪐 नक्षत्र स्वामी – विशाखा नक्षत्र का स्वामी ग्रह बृहस्पति (गुरु) है।विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्र और अग्नि हैं।
⚜️ योग – शुक्ल योग 06:24 AM तक, उसके बाद ब्रह्म योग
प्रथम करण : कौलव – 09:42 ए एम तक
द्वितीय करण : तैतिल – 10:44 पी एम तक गर
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 4:51 बजे से 6:17 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:23:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:36:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:19 ए एम से 05:01 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:40 ए एम से 05:44 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:54 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:42 पी एम से 03:35 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:11 पी एम से 07:32 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:11 पी एम से 08:14 पी एम
💧 अमृत काल : 09:40 पी एम से 11:27 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:06 ए एम, अगस्त 04 से 12:49 ए एम, अगस्त 04
❄️ रवि योग : 06:35 ए एम से 05:44 ए एम, अगस्त 04
🚓 यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-विष्णु मंदिर में सवाकिलो गुड़ परिपूरित (भरकर) ताम्रपात्र अर्पित करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – रवि योग/ देवदर्शन/तीर्थस्नान/ तिशाबी – आव (ज्यु – यहूदी)/ फ्रेंडशिप डे, अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस, साहित्यकार मैथिली शरण गुप्त जन्म दिवस, राष्ट्रीय बड़ा माथा दिवस, राष्ट्रीय तरबूज दिवस, राष्ट्रीय नट्स दिवस, राष्ट्रीय हेयर ग्लॉस दिवस, मुक्ति दिवस, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बनारसी दास स्मृति दिवस, लौंग सिंड्रोम जागरूकता दिवस, विश्व स्तनपान दिवस (सप्ताह), हृदय प्रत्यारोपण दिवस (भारत)
✍🏼 तिथि विशेष – नवमी तिथि को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) एवं दशमी को परवल खाना अथवा दान देना भी वर्जित अथवा त्याज्य होता है। नवमी तिथि एक उग्र एवं कष्टकारी तिथि मानी जाती है। इस नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा जी हैं। यह नवमी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह नवमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। नवमी तिथि के दिन लौकी खाना निषेध बताया गया है। क्योंकि नवमी तिथि को लौकी का सेवन गौ-मांस के समान बताया गया है।
🗽 Vastu tips_ 🗼
घर में है बांस का पौधा तो इन बातों का रखें ख्याल
बांस का पौधा घर में सही दिशा के साथ ही सही स्थान पर भी होना चाहिए। इसे कभी भी बाथरूम के पास लगाने की गलती न करें, ऐसा करने से अच्छे परिणाम आपको प्राप्त नहीं होते। इसके साथ ही स्टोर रूम में भी इस पौधे को न रखें। घर में पौधा रखा है तो हफ्ते या 15 दिन में इसका पानी अवश्य बदलें। बांस के पौधे के आसपास गंदगी फैलाने से भी आपको बचना चाहिए। वहीं, दक्षिण दिशा में इस पौधे को गलती से भी न रखें। सही तरीके से अगर आप घर में बांस के पौधे का रख-रखाव करते हैं तो उन्नति आप जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
मक्खियों को भगाने के लिए आप नींबू और नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे पहले एक लीटर पानी निकाल लीजिए। अब इस पानी में 4-6 नींबू निचोड़ लीजिए। आखिर में इस पानी में 50 ग्राम नमक भी मिला लीजिए। आपको इस घोल को किसी भी स्प्रे वाली बॉटल में भर लेना है। आपको घर की जिस भी जगह पर मक्खियां दिखाई दें, आप उस जगह पर इस घोल को छिड़क दीजिए।
मक्खियों से छुटकारा पाने के लिए आप कपूर यूज कर सकते हैं। किसी भी बर्तन में कपूर का एक छोटा टुकड़ा निकाल लीजिए। अब इस टुकडे़ को माचिस की मदद से जला दीजिए और फिर पूरे घर में इसका धुआं दिखा दीजिए। मक्खियों को कपूर का धुआं बिल्कुल पसंद नहीं होता इसलिए इस घरेलू नुस्खे की मदद से आप अपने घर में घुसी सभी मक्खियों को आसानी से भगा सकते हैं।
🍻 आरोग्य संजीवनी 🥃
पेट से जुड़ी समस्याओं का सफाया – क्या आपको अक्सर कब्ज, एसिडिटी, अपच और ब्लोटिंग जैसी पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है? अगर हां, तो आपके लिए औषधीय गुणों से भरपूर बेल पत्र काफी ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकते हैं। बेल पत्र में पाए जाने वाले तत्व आपके पेट को साफ रखने में मददगार साबित हो सकते हैं। आचार्य श्री गोपी राम के मुताबिक कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए बेल पत्र का सेवन किया जा सकता है।
सेहत के लिए फायदेमंद – बेल पत्र में पाए जाने वाले तमाम पोषक तत्व आपके दिल की सेहत को मजबूत बनाने में कारगर साबित हो सकते हैं। बेल पत्र की मदद से दिल से जुड़ी गंभीर और जानलेवा बीमारियों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लिवर के लिए भी बेल पत्र को काफी ज्यादा फायदेमंद माना गया है।
📚 गुरु भक्ति योग 🕯️
भक्ति और वरदान: वासुकी नाग भगवान शिव के अनन्य भक्त थे और हमेशा उनकी पूजा-अर्चना में लीन रहते थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे उनके गले में आभूषण की तरह लिपटे रहेंगे। तभी से वासुकी नाग शिव के गले का आभूषण बन गए।
समुद्र मंथन: पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था, तब मंदराचल पर्वत को मथनी के रूप में इस्तेमाल किया गया था और नागराज वासुकी को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया। एक ओर देवता वासुकी नाग को खींच रहे थे और दूसरी ओर असुर। इस मंथन के दौरान वासुकी को काफी कष्ट हुआ और उनका शरीर लहूलुहान हो गया। उनके इस योगदान और पीड़ा को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें अपने गले में धारण कर लिया।
विषपान: समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, तो भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए उस विष को स्वयं पी लिया। इस विष को कंठ में धारण करने से उनका कंठ नीला पड़ गया, जिससे वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। कुछ कथाओं के अनुसार, इस समय पार्वती ने शिव के गले में वासुकी नाग को बांध दिया था ताकि विष उनके शरीर में न फैले।
प्रतीकवाद: शिव के गले में वासुकी नाग का होना कई प्रतीकात्मक अर्थ भी रखता है।
कुंडलिनी शक्ति: यह जागृत कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है, जो भगवान शिव की योगिक शक्तियों और नियंत्रण क्षमता को दर्शाता है।
भूत, वर्तमान और भविष्य: शिव के गले में तीन बार लिपटे हुए वासुकी नाग को भूत, वर्तमान और भविष्य का प्रतीक भी माना जाता है, जो यह दर्शाता है कि भगवान शिव काल के स्वामी हैं।
प्रेम और स्वीकृति: यह दर्शाता है कि भगवान शिव उन सभी चीजों को भी गले लगाते हैं, जिन्हें संसार भय या घृणा के कारण दूर रखता है, जैसे कि सर्प। यह उनकी निस्वार्थता और हर प्राणी के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।
इस प्रकार, वासुकी नाग भगवान शिव की भक्ति, उनके गुणों और उनके द्वारा सृष्टि के कल्याण के लिए किए गए त्याग का प्रतीक बनकर उनके गले का हार बने।
•••✤••••┈••✦👣✦•┈•••••✤••
⚜️ नवमी तिथि में माँ दुर्गा कि पूजा गुडहल अथवा लाल गुलाब के फुल करें। साथ ही माता को पूजन के क्रम में लाल चुनरी चढ़ायें। पूजन के उपरान्त दुर्गा सप्तशती के किसी भी एक सिद्ध मन्त्र का जप करें। इस जप से आपके परिवार के ऊपर आई हुई हर प्रकार कि उपरी बाधा कि निवृत्ति हो जाती है। साथ ही आज के इस उपाय से आपको यश एवं प्रतिष्ठा कि भी प्राप्ति सहजता से हो जाती है।
आज नवमी तिथि को इस उपाय को पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा से करने पर सभी मनोरथों कि पूर्ति हो जाती है। नवमी तिथि में वाद-विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण एवं मद्यपान आदि क्रूर कर्म किये जाते हैं। जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए, यह नरक की प्राप्ति कराता है।

Related Articles

Back to top button