आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला मुख्यालय हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 08 सितम्बर 2024
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
🌐 शुभ हिन्दू नववर्ष 2024 संवत्सर क्रोधी
📖 संवत्सर (उत्तर) कालयुक्त
🧾 विक्रम संवत 2081 विक्रम संवत
🔮 गुजराती संवत 2080 विक्रम संवत
☸️ शक संवत 1946 शक संवत
☪️ कलि संवत 5125 कलि संवत
🕉️ शिवराज शक 351
☣️ आयन – दक्षिणायन
☀️ ऋतु – सौर शरद ऋतु
🌤️ मास – भाद्रपद मास
🌓 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📅 तिथि – रविवार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 07:58 PM तक उपरांत षष्ठी
📝 तिथि स्वामी – पंचमी तिथि के देवता हैं नागराज। इस तिथि में नागदेवता की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्ति होती है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र स्वाति 03:31 PM तक उपरांत विशाखा
🪐 नक्षत्र स्वामी – स्वाति नक्षत्र का स्वामी राहु यानि अधंकार है। स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव हैं।
⚜️ योग – इन्द्र योग 12:04 AM तक, उसके बाद वैधृति योग
⚡ प्रथम करण : बव – 06:50 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : बालव – 07:58 पी एम तक कौलव
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 16:34 बजे से 17:56 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:47:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:13:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:31 ए एम से 05:17 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:54 ए एम से 06:03 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:53 ए एम से 12:43 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:24 पी एम से 03:14 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:34 पी एम से 06:57 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 06:34 पी एम से 07:43 पी एम
💮 रवि योग : 03:31 पी एम से 06:03 ए एम, सितम्बर 09
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:56 पी एम से 12:42 ए एम, सितम्बर 09
🚓 यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏼♀️ आज का उपाय-विष्णु मंदिर में एक नारियल और आठ बादाम चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
❄️ पर्व एवं त्यौहार – ऋषि पंचमी/ जैन संवत्सरी (पंचमी पक्ष)/ गुरु पंचमी (उड़ीसा) /रवियोग/व्यापार मुहूर्त/ पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी जयन्ती, जम्मू और कश्मीर क्रांतिकारी नेता, शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला पुण्य तिथि, भारतीय पार्श्व गायिका आशा भोंसले जन्म दिवस, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस, विश्व भौतिक चिकित्सा दिवस, धन्य वर्जिन मैरी जन्मोत्सव, फिरोज गांधी पुण्य तिथि, विश्व एम्परसैंड दिवस, प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना सितारा देवी जन्म दिवस, दिगंबर जैन समाज का पर्यूषण और दशलक्षण उत्सव, मैसिडोनिया गणराज्य का स्वतंत्रता दिवस, जम्मू और कश्मीर क्रांतिकारी नेता, शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला पुण्य तिथि, राष्ट्रीय पोषाहार दिवस (सप्ताह)
✍🏼 विशेष – पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। पञ्चमी तिथि को खट्टी वस्तुओं का दान और भक्षण दोनों ही त्याज्य है। पञ्चमी तिथि धनप्रद अर्थात धन देनेवाली तिथि मानी जाती है। यह पञ्चमी तिथि अत्यंत शुभ तिथि भी मानी जाती है। इस पञ्चमी तिथि के स्वामी नागराज वासुकी हैं। यह पञ्चमी तिथि पूर्णा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह पञ्चमी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ और कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायीनी मानी जाती है।
🗽 Vastu tips 🗺️
किस-किस दिन लगा सकते हैं आमला? इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि आप किसी भी दिन अपने घर में आमला का पेड़ नहीं लगा सकते हैं. ऐसा करने के कई दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. इसलिए सिर्फ गुरुवार और शुक्रवार के दिन ही आमला का पेड़ अपने घरों में लगाना चाहिए. इसके अलावा अक्षय नवमी के दिन भी आप आमला का पेड़ अपने घरों में लगा सकते हैं. इसे आप उत्तर-पूर्वी दिशा में लगा सकते हैं. इसके कई सारे फायदे देखने को मिलते हैं. इससे इंसान आर्थिक रूप से बलशाली तो होता ही है साथ ही उसके वैवाहिक जीवन में भी ज्यादा समस्याएं नहीं आती हैं।
औषधीय गुण भी हैं
आमला शुभ होने के साथ ही कई सारे औषधीय गुणों से भी भरा हुआ है. बालों की समस्या दूर करने के लिए आमला कारगर होता है. कैंसर के इलाज में भी ये उपयोगी है. आमला में विटामिन-सी पाया जाता है जो इंसान की इम्युनिटी को भी बढ़ाता है और स्वस्थ्य बनाता है. इसके अलावा आंखों की रोशनी, दस्त, हाई ब्लड प्रेशर और अल्सर जैसी बीमारियों से भी आमला मुक्ति दिलाने में अहम योगदान निभाता है।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
बरकत लाने व सुखमय वातावरण बनाने हेतु
जिस घर में भगवान का, ब्रह्मवेत्ता संत का चित्र नहीं हैं वह घर श्मशान है | जिस घर में माँ – बाप , बुजुर्ग व बीमार का खयाल नहीं रखा जाता उस घर में लक्ष्मी रूठ जाती है | बिल्ली, बकरी व झाड़ू की धूलि घर में आने से बरकत चली जाती है | गाय के खुर की धूलि से, सुह्रदयता से , ब्रह्मज्ञानी सत्पुरुष के सत्संग से घर का वातावरण स्वर्गमय, सुखमय, मुक्तिमय हो जाता है |
🥂 आरोग्य संजीवनी 🍻
पित्तदोष-निवारण हेतु घरेलू उपाय
देशी गाय का शुद्ध घी : उत्तम जठराग्नि-प्रदीपक व श्रेष्ठ पित्तशामक है | 2 छोटे चम्मच घी भोजन के साथ सेवन करें | अथवा सुबह खाली पेट 1 चम्मच घी हलका गुनगुना करके गर्म पानी के साथ सेवन करें व बाद में भूख लगने पर भोजन करें |
मक्खन-मिश्री खाने से भी लाभ होता है | (हमेशा ताजे-मक्खन का ही उपयोग करें | बाजार में बिकनेवाले कई दिन पुराने मक्खन से परहेज रखना चाहिए |)
आँवला रस : आँवले का मुरब्बा या आँवला कैंडी, पित्त को कम करने के लिए काफी प्रभावशाली है |
8 से 10 काले मुनक्के रात को पानी में भिगोकर सुबह पानी के साथ लें | मुनक्का पित्तशामक व मृदु विरेचक होता है | इससे पेट भी अच्छे-से साफ़ होगा |
1 – 1 चम्मच गुलकंद दिन में 1 – 2 बार ले सकते हैं |
🪔 गुरु भक्ति योग 📗
इस मृत्यु लोक में रहने वाले प्राणियों को ही नहीं बल्कि स्वर्ग लोक में रहने वाले देवताओं को भी डॉक्टर की ज़रूरत पड़ती है। हिन्दू धर्म में जो 33 प्रमुख देवता है उनमें से 2 अश्विनी कुमार है जो कि देवताओं के चिकित्सक कहे गए है।
देवता जब भी युद्ध में घायल होते है तो यही अश्विनी कुमार उनकी चिकित्सा करते है। तो आज इस लेख में आइये समझते है कि ये 2 अश्विनी कुमार का जन्म कैसे हुआ ? इनका असली नाम क्या है ? इन्हे अश्व यानी घोड़े का सिर कैसे मिला ?
पुराणों के अनुसार इनका संबंध सूर्यदेव और उनकी पत्नी संज्ञा से माना गया है। दरअसल, देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा ने अपनी बेटी संज्ञा का विवाह सूर्य देव से किया। विवाह के बाद संज्ञा ने वैवस्वत और यम नाम के दो पुत्रों को जन्म दिया और यमुना नाम की पुत्री को भी पैदा किया। सूर्य का तेज काफी प्रचंड था वही संज्ञा कोमल स्वभाव की होने के कारण उनके तेज को सहन नहीं कर पाती थी।
एक दिन संज्ञा ने अपनी छाया को सूर्यदेव के पास छोड़ दिया और खुद तपस्या करने चली गई ,आज की भाषा में उसे क्लोन भी कह सकते है। जब संज्ञा काफी समय तक अपने पिता के घर रहकर तप करने लगी तो उसके पिता ने कहा कि अब तुम्हे काफी समय हो गया है। तुम अपने पति के पास वापिस लौट जाओ लेकिन संज्ञा उत्तरकुरु नामक स्थान पर घोर तपस्या करने चली गई और उसने अपनी विद्या के बल पर घोड़ी का रूप धारण कर लिया।
दूसरी ओर सूर्य देव संज्ञा के क्लोन यानी उसकी छाया को ही सत्य मान बैठे थे लेकिन धीरे 2 उन्हें अहसास हुआ कि यह सिर्फ धोखा है। इसके बाद सूर्यदेव ने अपनी आँख बंद की और ध्यान की अवस्था में अपनी पत्नी को घोड़ी के रूप में तपस्या करते हुए देखा। यह देखकर वह भी संज्ञा के पिता के पास गए और अपने तेज को कुछ कम किया।
सूर्यदेव ने घोड़े का रूप लिया और उसी स्थान पर गए जहां संज्ञा तप कर रही थी। सूर्यदेव ने घोड़े के रूप में ही संज्ञा के साथ संसर्ग किया। इसके बाद उन्हें नासत्य, दस्त्र नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। चूंकि वो घोड़े के संसर्ग से उत्पन्न हुए थे इसलिए उनका नाम अश्विनीकुमार हुआ। सूर्य के तेज कम होने के बाद संज्ञा ने उनके साथ रहना स्वीकार किया।
सूर्य देव के आशीर्वाद से यम न्याय के देव हुए ! यमुना प्रसिद्द नदी हुई। वैवस्वत सातवें मन्वन्तर का स्वामी बनकर मनु के पद पर विराजमान हुआ। नासत्य, दस्त्र देवताओं के चिकित्सक हुए। महाभारत काल में पांच पांडवों में से दो पांडव नकुल और सहदेव इन्ही अश्विनी कुमारों के पुत्र थे। कुंती को दुर्वासा ऋषि से जो मन्त्र प्राप्त हुआ था उसे कुंती ने माद्री को दिया था और माद्री को भी दो पुत्र की प्राप्ति हुई।
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⚜️ पञ्चमी तिथि में शिव जी का पूजन सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। आज पञ्चमी तिथि में नाग देवता का पूजन करके उन्हें बहती नदी में प्रवाहित करने से भय और कष्ट आदि की सहज ही निवृत्ति हो जाती है। ऐसा करने से यहाँ तक की कालसर्प दोष तक की शान्ति हो जाती है। अगर भूतकाल में किसी की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो तो उसके नाम से सर्प पूजन से उसकी भी मुक्ति तक हो जाती है।
पञ्चमी तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति गुणवान होता है। इस तिथि में जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह माता पिता की सेवा को ही सर्वश्रेष्ठ धर्म समझता है। इनके व्यवहार में उत्तम श्रेणी का एक सामाजिक व्यक्ति दिखाई देता है। इनके स्वभाव में उदारता और दानशीलता स्पष्ट दिखाई देती है। ये हर प्रकार के सांसारिक भोग का आनन्द लेते हैं और धन धान्य से परिपूर्ण जीवन का आनंद उठाते हैं।