मध्य प्रदेश

अगर भारत को युवा नेतृत्व प्रदान करना है तो स्वामी विवेकानंद को जरूर पढ़ें : शुभम आचार्य

ब्यूरो चीफ: शब्बीर अहमद
बेगमगंज । विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद मध्य भारत प्रान्त के द्वारा त्रिदिवसीय व्याख्यान माला नगर के नेहरू पब्लिक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत सर्वप्रथम मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर की गई । तत्पश्चात विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद के छात्र एवं मुख्य वक्ता पंडित शुभम आचार्य द्वारा कहा कि मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों’ संबोधन में वह कैसा आकर्षण था, जिसने पूरी दुनिया को एक युवा संन्यासी की ओर गंभीरता से देखने के लिए बाध्य कर दिया? क्या स्वामी विवेकानंद का शिकागो (अमेरिका) की धर्म संसद में 1893 को दिया गया भाषण इसलिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि अपने उद्बोधन में उन्होंने हिंदू धर्म, उसकी सहिष्णुता, सार्वभौमिकता और तत्कालीन समाज में व्याप्त होती सांप्रदायिकता पर अपने प्रखर विचार रखे थे। उस संबोधन के बाद सभागार में कई मिनटों तक तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही, जबकि स्वामी विवेकानंद को बोलने के लिए कुछ मिनटों का ही समय दिया गया था। दरअसल, वे कुछ भी बोलने से पहले उस विचार या सिद्धांत को अपने जीवन पर लागू करते थे। उनके संपूर्ण जीवन में हमें कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं, जो आज भी अनुकरणीय हैं। असाधारण होने के बावजूद साधारण लोगों की तरह जीवन-यापन करने वाले स्वामी जी के इसी भाव ने पूरी दुनिया को उनसे जोड़ दिया। ऐसे संन्यासी जिन्हें जगत विवेकानंद के नाम से जानता है, लेकिन परिजन उन्हें वीरेश्वर, नरेंद्रनाथ अथवा नरेन कहा करते। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त पश्चिम बंगाल उच्च न्यायालय के अटॉर्नी जनरल थे एवं माता भुवनेश्वरी देवी गृहिणी थीं। उनके दादा दुर्गाप्रसाद बहुत कम उम्र में ही संसार से विरक्त होकर संन्यासी हो गए थे।
कहते हैं कि उनके कार्यो और विचारों से प्रभावित होकर एक विदेशी महिला ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। उसने कहा कि उसकी इच्छा विवेकानंद जैसा ही तेजस्वी, विद्वान और गौरवशाली पुत्र पाने की है। यह संभव तभी हो सकता है, जब उनसे उसका विवाह हो पाएगा। विवेकानंद ने बहुत सहजता से कहा कि मैं आज से ही आपका पुत्र बन जाता हूं। इस तरह आपकी इच्छा स्वत: पूरी हो जाएगी ! ऐसा महामानव स्वामी विवेकानंद जी के चरणों में नमन है हम सब उनका अनुशरण करे यही युवाओं का विजयी मंत्र है ।
इस अवसर पर विद्यालय के राजेन्द्र शर्मा ने भी संबोधित किया कार्यक्रम का आभार विद्यालय के प्राचार्य नरेंद्र साहू ने प्रकट किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से विद्यालय के शिक्षक एवं आचार्य रोहित श्रीवास्तव उपस्थित रहे ।

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