परमात्मा की लीला श्रवण मात्र से जीव के पाप कट जाते हैं : ब्रह्मचारी जी महाराज
श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग श्रवण कराया
रिपोर्टर: राजकुमार रघुवंशी
सिलवानी । तहसील के ग्राम डुंगरिया (भैरो जी) में रघुवंशी (भोपा) परिवार द्वारा श्री भैरो जी मंदिर में चल रही सप्तदिवासिय कत्था के चतुर्थ दिवस मंगलवार को ब्रह्मचारी जी महाराज ने कथा श्रवण कराते हुए कहा कि सच्चे भाव से माता पिता, परमात्मा की सेवा करो वह ही भजन हो जाता है। जीव याद रखे ये शरीर नाशवान है। जीव को सिर्फ परमात्मा की सेवा करना चाहिए, भगवान को जो आचरण पसंद है। यदि जीव भगवान के प्रति आचरण करने लगे तो भगवान से संबाद होने लगेगा। भगवान को सिर्फ भाव पसंद है, न कि धन। जिस मानव का निर्मल मन होता है। वो भगवान का प्रिय है। ना कि धनवान व्यक्ति, यदि भजन करते हो और मन मे कपट है तो वह भजन किसी काम का नही है। वह पाप का भागीदार है। कथा हमेशा कल्याण करती है, इसलिए छल, कपट, निदा से दूर रहे हैं। जो ये आचरण करते है।ऐसी जीव आत्मा कभी शांति नही पाती हमेशा भटकती रहती हैं।जीव बस अपनी बुरी आदतें छोड़ दे ये भी उसका सबसे बड़ा भजन हैं।
यदि दृष्टि में खोट हैं।तो दुनिया भर के भजन से कोई मतलब नही हैं। काम, क्रोध मोह माया का जीव को त्याग देना चाहिये, जब तक ये नही त्याग करेगा मानव जब तक परमात्मा की प्राप्तिं नही हो सकती है। भगवत भजन मात्र ही जीव का मोक्ष का साधन है। जीव आत्मा को परमात्मा को मिला दो, वह ही मानव की भक्ति है। जगत के जितने भी प्राणी या वस्तु है वो मानव की नही है। ये जगत का शरीर जगत की सेवा के लिए है। पर आत्मा को परमात्मा की सेवा में लगा दो।
उन्होंने बताया कि इंद्रियों और मन को जिस ने बस में कर लिया, वह परमात्मा की शरण पाता है। वह त्यागी हो जाता है। उसे सांसारिक गतिविधियों से कोई मतलब नही है। अतः वह बैराग्य को प्राप्त हो जाता है। भगवान के भक्त को सिर्फ भगवान की भक्ति पसंद है। न कि संसार की मोहमाया, भगवान का भजन हर जीव का मंगल करता है। भगवान से प्रार्थना करो कि हमारी बुद्धि शुद्धि करो। आयोजक परिवार ने सभी धर्म प्रेमी बंधुओ को कथा श्रवण करने का आग्रह किया है।
