पीएम मोदी ने रानी कमलापति- नई दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस का किया शुभारंभ

ब्यूरो चीफ : मनीष श्रीवास
भोपाल । भोपाल में जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन हुआ । उन्होँने सबसे पहले इंदौर मंदिर में रामनवमी को जो हादसा हुआ, मैं उसके प्रति अपना दुख व्यक्त करता हूं। इस हादसे में जो लोग असमय हमें छोड़ गए, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं और उनके परिवारों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं। घायल हुए हैं उनके जल्द स्वास्थ्य होने की कामना करता हूं।
वही मध्यप्रदेश को अपनी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन मिली है। इससे भोपाल और दिल्ली का सफर और तेज हो जाएगा।
ट्रेन प्रोफेशनल्स के लिए, नौजवानों के लिए, कारोबारियों के लिए नई-नई सुविधा लेकर के आएगी।
यह आयोजन जिस आधुनिक और भव्य रानी कमलापित स्टेशन पर हो रहा है, उसका लोकार्पण करने का सौभाग्य भी आप सबने मुझे दिया था। आज मुझे यही से दिल्ली के लिए भारत के आधुनिकतम वंदे भारत ट्रेन को रवाना करने का अवसर दिया है।
इस आधुनिक भारत में नई व्यवस्थाएं बन रही हैं, नई परंपराएं बन रही हैं जिसका का कार्यक्रम इसी का एक उत्तम उदाहरण है।
रेल्वे के इतिहास में बहुत कम ऐसा हुआ होगा कि एक ही स्टेशन पर इतने कम अंतराल में किसी प्रधानमंत्री का दोबारा आना हुआ हो।
साथियों, इक्कीसवी सदी का भारत अब नई सोच, नई एप्रोच के साथ काम कर रहा है।
पहले की सरकारें तुष्टीकरण में ही इतना व्यस्त रहीं कि देशवासियों के संतुष्टीकरण पर उनका ध्यान ही नहीं गया।
वे वोटों के तुष्टीकरण में जुटे हुए थे और हम देशवासियों के संतुष्टीकरण में समर्पित हैं।
शनिवार एक अप्रैल के इस कार्यक्रम पर हमारे कांग्रेस के मित्र यह बयान ज़रूर देंगे कि ये मोदी तो ‘अप्रैल फूल’ बना रहा है।
लेकिन आप देखिए…एक अप्रैल को ही यह ट्रेन चल पड़ी है।
यह हमारे कौशल, सामर्थ्य और हमारे आत्मविश्वास का प्रतीक है।
वो देश के एक ही परिवार को देश का प्रथम परिवार मानते रहे, देश के गरीब, मध्यम परिवार को उन्होंने अपने ही हाल पर छोड़ दिया था।
हमारी भारतीय रेल, सामान्य भारतीय परिवार की सवारी है। क्या इसे समय के साथ आधुनिक नहीं किया जाना था।
आजादी के बाद उन्हें बना-बनाया रेलवे नेटवर्क मिला था, अगर तब की सरकारें चाहती तो बहुत तेजी से रेलवे को आधुनिक बना सकती थीं, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ के लिए,रेलवे के विकास को ही बलि चढ़ा दिया गया। हाल तो यह था कि आजादी के दशकों बाद भी हमारे नॉर्थ-ईस्ट के राज्य रेलवे से नहीं जुड़े थे।
वर्ष 2014 में आपने जब मुझे सेवा का मौका दिया, तो मैंने तय किया कि अब ऐसा नहीं होगा, रेलवे का कायाकल्प होकर रहेगा।
बीते 9 वर्षों में हमारा ये निरंतर प्रयास रहा है कि भारतीय रेल दुनिया का श्रेष्ठ रेल नेटवर्क कैसे बने।
साल 2014 से पहले भारतीय रेल को लेकर क्या क्या खबरें आती थीं, इतने बड़े नेटवर्क में हजारों मानव रहित फाटक थे, कई ह्रदयविदारक घटनाएं होती थीं, आज उनसे मुक्ति मिली है।
भारतीय रेल बहुत अधिक सुऱक्षित रही है, मेड इन इंडिया कवच प्रणाली का विस्तार किया जा रहा है।
अगर किसी यात्री को शिकायत होती है तो तुरंत कार्यवाही की जाती है। ऐसी व्यवस्था का लाभ सबसे अधिक बहनों-बेटियों को हुआ। पहले साफ-सफाई की शिकायतें भी आती थीं, ट्रेनें लेट भी चलती थी. आज साफ-सफाई और लेट ट्रेन की शिकायत भी कम हुई हैं।
पहले टिकटों की कालाबाजारी की खबरें सामान्य बात थीं, हमने टेक्नॉलॉजी का उपयोग पर इसपर रोक लगाई है।
वन स्टेशन-वन प्रोडक्ट के तहत जिस क्षेत्र में वह स्टेशन है, वहां के प्रसिद्ध कपड़े, पेटिंग, हस्तशिल्प यात्री स्टेशन पर ही खरीद सकते हैं, इसके 600 आउटलेट बनाए गयें हैं, 1 लाख से अधिक यात्री खरीददारी कर चुके हैं।
भारतीय रेल सुविधाओं की पर्याय बन गई है, रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीरण किया है, 6000 स्टेशनों पर वाय-फाई की सुविधा दी जा रही है।
वंदे भारत एक्सप्रेस तो युवा पीड़ी में सुपरहिट हो चुकी है, इसकी ट्रेनें फुल जा रही हैं।
पहले सांसद चिट्ठी लिखते थे कि ट्रेन इस स्टेशन पर रूकने की व्यवस्था हो, यहां रोकी जाए, वहां रोकी जाए, यही आता था।
मुझे गर्व है कि जब सांसद चिट्ठी लिखते हैं और मांग करते हैं कि हमारे यहां भी ‘वंदे भारत ट्रेन’ जल्दी से जल्दी चालू हो।
इस साल के बजट में रेलवे को रिकॉर्ड धन राशि दी गई है, एक समय था जब रेलवे की बात होती था तो घाटे की बात होती थी, बीते 9 वर्षों में हमारा प्रयास है कि भारतीय रेल दुनिया का श्रेष्ठ रेल नेटवर्क बने।
रेलवे स्टेशनों का आधुनिकरण किया जा रहा है। देश के 900 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी लगाने का काम पूरा हो चुका है।
मध्यप्रदेश के लिए भी इस बार 13 हजार करोड़ से अधिक का रेलवे का बजट आवंटित किया गया है। जबकि 2014 से पहले मध्यप्रदेश के लिए हर वर्ष औसतन 600 करोड़ का बजट होता था। कहां 600 और कहां आज 13 हजार करोड़ का बजट!
साथियों, जिन 11 राज्यों में शत प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है उसमें मध्यप्रदेश भी शामिल है।
खेती हो या उद्योग हो आज एमपी का सामर्थ्य भारत के सामर्थ्य को ताकत दे रहा है।
साथियों मुझे खुशी है, मध्य प्रदेश आज पुराने दिनों को पीछे छोड़ चुका हेै।
अब मध्य प्रदेश निरन्तर विकास की नई गाथा लिख रहा है। खेती हो या फिर उद्योग आज एमपी का सामर्थ्य भारत के सामर्थ्य को विस्तार दे रहा हैं। उनमें से अधिकतर में एमपी का प्रदर्शन प्रशंसनीय है।
आज एमपी गरीबों के घर बनाने में अग्रणी राज्यों में है, हर घर जल पहुचाँने के लिए भी मध्य प्रदेश अच्छा काम कर रहा है।
गेहूँ सहित अनेक फसलों के उत्पादन में भी हमारे मध्य प्रदेश के किसान नये रिकार्ड बना रहें हैं। उद्योगों के मामले में भी राज्य निरन्तर नये कीर्तिमानों की तरफ बढ रहा है।
हमारे देश में कुछ लोग हैं, जो 2014 के बाद से ही यह ठान कर बैठें हैं, उन्होंने संकल्प घोषित किया है, हम मोदी की छवि को धूमिल करके रहेंगे, इसके लिए इन लोगों ने भांतिं-भांति के लोगों को सुपारी दे रखी है, इनका साथ देने के लिए कुछ देश के भीतर हैं, कुछ बाहर से काम कर रहे हैं।
ये लोग मोदी की इमेज को धूमिल करने में लगे हैं। भारत के गरीब, पिछड़े, दलित मोदी का सुऱक्षा कवच बना हुआ है। इसलिए ये लोग बौखला गये हैं, ये नये नये पैंतरे अपना रहे हैं।
अब इन्होंने एक और संकल्प ले लिया है- मोदी तेरी कब्र खुदेगी। इनके संकल्प के बीच देश वासियों को देश के विकास पर ध्यान देना है।
हमें विकसित भारत में मध्यप्रदेश की भूमिका को और आगे बढ़ाना है। एकबार फिर मध्यप्रदेश के भाईयों-बहनों को बहुत बहुत बधाई।