मध्य प्रदेश

बस स्टेंड सड़क निर्माण की राशि के बटवारे को लेकर हुए परिषद प्रस्ताव का विवाद थमा

नगरीय प्रशासन विभाग ने दिये नियमानुसार विकास करने के आदेश
दूसरी ओर सीएमओ ने ही पारित प्रस्ताव को निरस्त करने लिखा पत्र

रिपोर्टर : देवेन्द्र तिवारी
सांची । विगत दिनों वर्षों से बस स्टेंड सड़क के निर्माण का इंतजार किया जा रहा था तथा इस बदहाल सडक का मुद्दा समय समय पर अखबारों की सुर्खियां भी बना । जैसे तैसे सरकार ने इस बस स्टेंड मार्ग की सुध ली तथा इसके निर्माण की योजना तैयार की गई । तब मांग पर बस स्टेंड परिसर की सडक निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री विशेष कायाकल्प अभियान अंतर्गत राशि आवंटित की गई थी तब विगत दिनों हुई परिषद की बैठक में इस सड़क की आवंटित राशि को लेकर विवाद खड़ा हो गया तथा इस राशि को समूचे वार्डों में बांटकर विकास करने की चर्चा हुई तथा आवंटित राशि न बटने पर परिषद ने इस सड़क निर्माण के विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर दिया तब काफी बवाल मचा एवं व्यापार महासंघ को भी मैदान में कूदना पड़ा । अब नगरीय प्रशासन विभाग के पत्र से सड़क निर्माण का रास्ता साफ होता दिखाई देने लगा है इसी बीच सीएमओ ने भी परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव को निरस्त करने पत्र भेज दिये है ।
जानकारी के अनुसार नगर के एक मात्र प्रमुख बस स्टेंड सड़क निर्माण की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो गया इस सड़क निर्माण की समय समय पर अखबारों में भी खबर प्रकाशित होती रही तथा नगर वासियों ने भी मांग की जैसे तैसे न ई परिषद अस्तित्व में आई तो अध्यक्ष पप्पू रेवाराम के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से भेंट कर बस स्टेंड सड़क निर्माण की मांग उठाई तब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्काल इस सड़क निर्माण मुख्यमंत्री विशेष कायाकल्प अभियान अंतर्गत राशि 49 लाख रुपए आवंटित कर दिए । तथा सड़क निर्माण की प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई । इस सड़क निर्माण की अनुशंसा करने प्रस्ताव परिषद बैठक में लाया गया । तथा परिषद ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई तथा इस सड़क राशि को सभी वार्डों में बांटकर विकास करने का मुद्दा उठाया था तथा परिषद ने इस सड़क निर्माण पर आवंटित राशि खर्च करने पर रोक लगा दी । इसके साथ ही इसी बैठक में वर्षों से कार्यरत तीन वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवा समाप्ति का भी प्रस्ताव पारित कर दिया । मामला तब और तूल पकड़ गया जब पारित प्रस्ताव की नप कार्यालय में रात में अधिकारी कर्मचारियों एवं पार्षदों ने प्रस्ताव में काट-पीट कर छेड़छाड़ की गई तब यह मामला कलेक्टर के संज्ञान में लाया गया तथा कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू करवा दी तथा मामला सड़क की राशि के विरोध में आये पार्षदों ने सरकार के मंत्रियों से भेंट की एवं इस कड़ी में पार्षदों ने नगरीय प्रशासन मंत्री से भी भेंट करते हुए आवंटित राशि को सभी वार्डों में बांटकर विकास करने की मांग की तब नगरीय प्रशासन विभाग से सीएमओ को पत्र क्रमांक 1109/मंत्री नवि द्वारा भेजकर स्पष्ट किया गया कि विकास हेतु आवंटित राशि से नगर की टूटी फूटी सड़क नाली निर्माण जैसे कार्य किये जाये साथ में यह भी स्पष्ट किया गया कि मुख्यमंत्री विशेष कायाकल्प अभियान योजना अंतर्गत जो राशि आवंटित हुई है वह वहीं खर्च की जाये जहां के लिए विशेष कायाकल्प अभियान अंतर्गत राशि आवंटित हुई है तथा इसके विरुद्ध यह राशि खर्च करने पर नियमानुसार कार्रवाई भी की जा सकती है । वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों को सेवा से पृथक करने वाले प्रस्ताव पर सीएमओ हरीश सोनी ने यह कहकर बिना किसी कारण बिना किसी जांच किये सीधे कर्मचारियों को सेवा से पृथक करने आदेश जारी कर दिए यह मामला भी कलेक्टर सहित अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन विभाग तक पहुंच गया इस प्रस्ताव पर भी कलेक्टर ने स्पष्ट कर दिया कि कर्मचारियों को रखने अथवा हटाने का अधिकार पीआईसी में निहित है इस मामले की भी कलेक्टर ने जांच कराई है साथ ही सड़क निर्माण विशेष कायाकल्प अभियान अंतर्गत राशि आवंटित हुई है यह केवल सार्वजनिक स्थलों पर ही खर्च की जायेगी । इस प्रकार परिषद द्वारा दोनों ही पारित प्रस्ताव से विवाद खड़ा हो गया सड़क निर्माण का विरोध करने पर व्यापार महासंघ ने भी मैदान में उतरने कमर कस ली तथा प्रशासन को विशेष कायाकल्प अभियान अंतर्गत राशि से बसस्टेंड सड़क निर्माण करने की मांग करते हुए चेतावनी तक दे डाली कि पार्षदों ने अड़ंगा लगाने का प्रयास किया तो बाजार बंद धरना प्रदर्शन तक किया जाएगा तब ज्ञापन सौंपते वक्त ही सीएमओ ने स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री की विशेष कायाकल्प योजना की राशि बसस्टेंड सड़क निर्माण पर ही खर्च की जायेगी तब व्यापार महासंघ संतुष्ट हो सका हालांकि कर्मचारियों का मामला कलेक्टर की जांच में चल रहा है फिर भी परिषद में इन दोनों ही प्रस्ताव से नगर में हूहल्ला खड़ा कर दिया । इतना ही नहीं रात में पारित प्रस्ताव से छेड़छाड़ भी संदेह के घेरे में है बताया तो यहां तक जाता है पार्षदों द्वारा दिये गये पत्र भी जांच के घेरे में आ चुके हैं हालांकि बैठक में जो प्रस्ताव पर चर्चा की जाती है
वह पूर्व से ही पार्षदों को दिये जाने वाले एजेंडे की प्रति में शामिल रहते हैं यहां सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि मुख्यमंत्री कायाकल्प अभियान अंतर्गत राशि के नियम से सीएमओ बेखबर थे अथवा नियम की जानकारी न होना भी चर्चा का विषय बना हुआ है यही मामला कर्मचारियों को हटाने में भी सामने आ रहा है कि जब कर्मचारियों को रखने हटाने का अधिकार पीआईसी में निहित है तब सीएमओ ने बिना किसी जांच कारण तथा हटाने के पूर्व बिना किसी पूर्व में नोटिस दिए सीधे तौर पर परिषद के प्रस्ताव को आधार बनाकर हटाना कहीं न कहीं संदेह को जन्म दे रहा है हालांकि जो भी हो कलेक्टर की जांच पड़ताल के बाद ही तमाम मामले से पर्दा उठ सकेगा । यहां यह भी बता देना उचित होगा कि यह नगर परिषद एक विश्व विख्यात पर्यटक स्थल की निर्वाचित है तथा पंद्रह वार्ड की परिषद में मात्र एक पार्षद ही कांग्रेस का चुना गया है जबकि बारह पार्षद भाजपा एवं दो निर्दलीय भी भाजपा समर्थित है तब चौदह पार्षद वाली भाजपा परिषद में ही लगातार खींचतान किसी से छिपी नहीं है तथा विकास के नाम पर एक ही पार्टी में आपस की लडाई से जनता परेशानी उठाने पर मजबूर हो चुकी है इससे न केवल परिषद बल्कि भाजपा की छवि पर सीधा प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है ।

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