मंदिरों में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ नदियों पर किया स्नान
त्रिवेणी संगम पर पधारे त्यागी जी महाराज, आयोजित किया भंडारा
ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में दान पुण्य और धार्मिक क्रियाओं के लिहाज से खास माना जाने वाला मकर संक्राति का त्योहार रविवार को मनाया गया। बड़ों ने दान पुण्य किया तो बच्चे गिल्ली डंडा और पंतगबाजी में मस्त रहे ।
रात दो बजकर 52 मिनिट से शुरू हुए मर्हुत के चलते सुबह के समय लोगों ने स्नान कर तिल गुड़ खिचड़ी दान करने और गायों को चारा डालने ‘का’ सिलसिला शुरू किया तो मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ रही। मान्यता है कि अब तिल के समान रोजना दिन बड़े होगें ओर रातें छोटी। दिन ब दिन सूर्य की ऊर्जा अधिक प्राप्त होगी। लोग आसपास की नदियों पर नहाने के लिए गए। लेकिन बीना नदी में पानी नहीं होने से सेमरी नदी पर लोगों की अधिक भीड़ रही। वही सीताराम जप महायज्ञ समिति त्रिवेणी संगम सुमेर के तत्वधान में मकर सक्रांति के शुभ अवसर पर सुबह 9 बजे महा तपस्वी 108 श्री आत्मानंद जी दास त्यागी जी नेपाली बाबा का आगमन हुआ एवं भंडारे का कार्यक्रम आयोजित गया। त्यागी जी महाराज ने नर्मदा तट उदयपुरा अंगूरा में हो रहे महायज्ञ का आमंत्रण दिया कि समस्त भक्त जन महायज्ञ में शामिल हो।
ज्योतिषाचार्य हरिकेश शास्त्री तिंसुआ वालों ने बताया कि मकर संक्रांति से देवताओं का दिन प्रारंभ होता है और दैत्यों की रात । प्रत्येक माह सूर्य की गति अनुसार एक राशि से दूसरी में प्रवेश करता है । भ्रमण करते हुए मकर राशि में प्रवेश करता है तो सूर्य दक्षिण से उत्तर पक्ष की और क्रमश: धीरे धीरे बढ़ता है। इसलिए इसे उत्तरायण भी कहा गया है। संक्रांति का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योकि महाभारत के वयोवृद्ध भीष्म पितामह बाण शैया पर ही सोए रहे और उत्तरायण आने पर प्राण त्यागे थे।
धनुर्मास का समापन: – धनुर्मास का समपान भी आज मकर संक्रांति पर हुआ । कपकपाने वाली ठंड में अल सुबह 6 बजे हाथ में पूजा की थाली लिए श्रद्धालू मंदिर पहुंचे और आरती में शामिल हुए और खिरान्न और खिचड़ी का प्रसाद बाटा। शिवालय मंदिर, सिद्ध क्षेत्र हरदौट, कोलूघाट मंदिर, एवं माता मंदिर टेकरी तथा बजरिया मंदिर में धनुर्मास को लेकर खासा उत्साह रहा ।
नगर की दुधई नदी, सेमरी नदी, सहित जलाशयों एवं राहतगढ़ जल प्रपात, उदयपुरा स्थित नर्वदा नदी के बोरास घाट सहित इलाहाबाद के संगम के लिए भी लोग मकर संक्राति पर डुबकी लगाने के लिए बसों जीपों से रवाना हुए। तो घरों में विभिन्न प्रकार के लड्डू बनाए गए और उन्हें अपने चिर परिचितों में वितरित भी किए गए।
