विभाग ने नहीं कराई नहरों की साफ सफाई, किसान नाराज : किसानों ने कहा कर्मचारी भी शिकायतों पर नहीं देते ध्यान अधिकारी
रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन । तालाब एवं नहरों की मरम्मत के लिए हर साल लाखों करोड़ों रुपए का बजट सरकार जिला सिंचाई विभाग को देती है ।जिससे क्षतिग्रस्त तालाबों ओर नहरों की मरम्मत और साफ- सफाई की आसानी से जा सके। और किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने में कोई समस्याओं का सामना न करना पड़े।लेकिन जिम्मेदार विभाग के आला अफसरों द्वारा नहरों की सफाई नहीं कराए जाने से किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी ही समस्या का सामना वनछोड के नजदीक बने डैम क्षेत्र में किसानों को करना पड़ रहा है। पैमत गांव गेंहू ,प्याज उत्पादन के मामले में मिनी पंजाब, नासिक कहलाता है।करमोदिया सूंड़ तालाब के नहरों की भी सालों से साफ सफाई और मरम्मत के अभाव में नहरें बदहाल हो गई है। ऐसी स्थिति में टेल एरिया क्षेत्र के किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ता है।
दरअसल तहसील रायसेन के करमोदिया तालाब से निकलने वाली लंबी नहर से दर्जनों गांवों के किसानों की भूमि सिंचित होती है। रंगपुरा गांव के किसानों मनोहरसिंह सरदारसिंह, दारासिंह और सनीपाल, सुनील ठाकुर, दुर्जन सिंह ठाकुर, रमेश ठाकुर, परसराम दांगी ने बताया कि सिंचाई के समय हमारे द्वारा ही नहर के गेट खोले जाते हैं।
वहीं विभाग द्वारा नहरों की सफाई नहीं कराए जाने से नहर में कचरा और मिट्टी जमा होने से पानी का बहाव कम आता है।नहरों के आसपास झाड़ियों लगी हुई हैं। बड़ी-बड़ी घास और झाड़ियों के कारण नहर में पानी का बहाव कम हो जाता है। इससे टेल एरिया को पानी नहीं मिल पाता। इसे लेकर किसानों ने नाराजगी जताते हुए विभाग से नहरों की सफाई की मांग की थी।इसी तरह पैमत निवासी अन्नदाता द्वारका पटेल, बदामी पटेल, जगदीश पटेल, ब्यावरा के कामता राजौरिया, हुकमसिंह टेकाम ने बताया कि नहरों की साफ सफाई, मरम्मत सालों से नहीं कराई है। जिससे किसानों को टेल एरिया तक सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है।कुछ दबंग किसान नहरों की तोड़फोड़ कर पानी बीच में ही रोक लेते हैं।ऐसा नहीं करने की बात पर झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। नहरों की मरम्मत साफ सफाई के नाम पर जल उपभोक्ता संस्था पैमत को करोड़ों का बजट आवंटित कराने के बावजूद कोई सुधार नहीं हो सका है।
झाड़ियाें से ढक गई नहरें….
उक्त नहरों में वर्तमान में बड़ी बड़ी झाडियां घास फूंस नहर में उग आई है। इसके अलावा कई जगहों पर रिसाव हो रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की उदासीनता के चलते ऐसा बार-बार होता है। अधिकारी नहर में पानी आने से पहले नहरों की साफ-सफाई नहीं कराते, जिसकी वजह से नहरों में कचरा जमा हो जाता है। रुकावट के कारण किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिलता।
नवंबर से जनवरी तक तीन बार देना पड़ता है पानी…..
किसानों ने बताया कि डैम, तालाबों का पानी नहर में नवंबर से छोड़ा जाता है। यह पानी पलेवा के लिए दिया जाता है । पूरे सीजन में नवंबर से जनवरी तक तीन बार पानी किसानों को सिंचाई के लिए लेना पड़ता है। ऐसे में कई बार समय पर पानी उपलब्ध नहीं होने से मुश्किलों बढ़ जाती हैं। किसानों का कहना है कि पानी समय पर नहीं मिलने से उत्पादन पर असर पड़ता है।
शिकायतों पर नहीं देते ध्यान कर्मचारी…
विभाग के कर्मचारी भी शिकायतों पर ध्यान नहीं देते हैं। कर्मचारी नहर की कभी पेट्रोलिंग नहीं करते, जिससे उन्हें पता हो कि नहर कहां-कहां से कमजोर है। किसानों को टेल एरिया तक पानी न पहुंचने की चिंता सता रही है। किसानों ने बताया कि नहर के ऊपर बारिश के समय उगने वाले कचरे की भी सफाई नहीं की गई। जिससे चलना मुश्किल हो रहा है, किसानों का कहना है इस बारे में उन्होंने कई बार संबंधित कर्मचारियों को इस समस्या के बारे में बताया पर कोई हल निकलता नजर नहीं आया।
इस संबंध में आरके पंडोले ईई जलसंसाधन विभाग रायसेन का कहना है कि किसानों के द्वारा वनछोड डैम के 2 बार गेट की रॉड चोरी की गई। जिसकी हमने पुलिस में एफआईआर कराई है, वहीं नहर और तालाब की समय- समय पर सफाई और मरम्मत कराई जाती है। वहीं हर किसान को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी दिया जा रहा है।