श्री ज्ञान गंगा यज्ञ मैं दी जाने लगी आहुति
ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । विश्व कल्याण के लिए साप्ताहिक वैदिक हवन यज्ञ चल रहा है यज्ञ हमारी प्राचीन परंपरा है। पंडित हरिकेश शास्त्री ने दौरान यज्ञ की आत्मा के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि स्वाहा शब्द यज्ञ की आत्मा है। इसका अर्थ होता है वाणी में मधुरता। जब भी हम किसी से बात करें मधुर वाणी बोलें। यज्ञ के दौरान हम लोग इदं मम ओउम अग्ने स्वाहा। बोलते हैं इसका अर्थ होता है, हमारे जीवन में त्याग की भावना हो। कहा कि यज्ञ हवन वायु को सुक्ष्म करके वायुमंडल में फैला देता है। यज्ञ हवन से जो सुगंध फैलता है उससे वातावरण शुद्ध होता है , यही यज्ञ का सार है। जो हमें किसी न किसी रूप में वापस कर देता है।
उक्त उद्गार त्रिवेणी आश्रम पर चले ज्ञान गंगा यज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा के दौरान यज्ञ में आहुति देने वालों को समझाते हुए पंडित हरिकेश शास्त्री ने व्यक्त किए।
श्रीराम महायज्ञ एवं संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में यज्ञ आचार्य पंडित शिवनारायण शास्त्री तिनसुआ वाले, भागवत कथा व्यास पंडित गोपाल कृष्ण शास्त्री, पंडित नंदकिशोर देवलिया, हरिकेश शास्त्री, संदीप शास्त्री, सुदेश महाराज, कपिल महाराज, बृजेश महाराज, बसंत महाराज, संजय महाराज एवं समस्त वैदिक ब्राह्मण शामिल हो रहे हैं। यज्ञ समिति द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसके मुख्य यजमान पंडित राकेश भार्गव, भागवत कथा के यजमान कैलाश यादव है।
यज्ञ आचार्य पंडित शिवनारायण शास्त्री ने मानव कल्याण के लिए यज्ञ हवन जरूरी क्यों हैं के बारे में बताया कि सूर्य भगवान अपने प्रकाश को फैलाकर सभी को लाभ देते हैं। इसी प्रकार प्रकृति भी अपना धर्म निभाती है। यज्ञ हवन के दौरान मंत्र बोलने से हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ मिलता है इससे हमें कई प्रकार की प्रेरणा भी मिलती है। जिस प्रकार हवन यज्ञ की लपट और धुआं ऊपर उठता है। इससे हमें हमेशा ऊपर उठने की प्रेरणा मिलती है। यज्ञ हवन करने से हमारे अंदर दैवीय गुण प्राप्त होता है। इसमें हम सारे देवी देवताओं की पूजा आराधना कर लेते हैं। उन्होंने भक्तों से अपने जीवन में यज्ञ अवश्य करने पर बल दिया।