धार्मिक

29 जुलाई 2025 नागपंचमी नोट करें सही डेट, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त व कथा

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
⚜❀┈┉☆…हरि ॐ…☆┉┈❀⚜
🐍 29 जुलाई 2025 नागपंचमी नोट करें सही डेट, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त व कथा.
🔘 HEADLINES_
▪️ नाग पंचमी 2025 का पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा.
▪️ इस दिन दान का भी बड़ा महत्व है।
▪️ नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा से दुखों से मुक्ति मिलती है.
▪️ नाग पंचमी पर सुबह 5:41 से 8:23 तक शुभ मुहूर्त है.
👉🏼 नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक विशेष और आस्था से जुड़ा पर्व है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन नाग देवता की आराधना और उनसे कृपा प्राप्त करने का अवसर होता है। मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष, सर्प भय और सर्पदंश जैसी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन भक्तगण नाग देवता को दूध अर्पित करते हैं, उन्हें स्नान कराकर पूजा-अर्चना करते हैं और सुरक्षा व समृद्धि की कामना करते है। हालांकि कई लोगों के मन में इसकी तिथि को लेकर भ्रम बना हुआ है। ऐसे में आइए जानते हैं आचार्य श्री गोपी राम से नाग पंचमी 2025 की सटीक तिथि और इस पर्व का धार्मिक महत्व।
⚛️ नाग पंचमी 2025 शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारंभ: 28 जुलाई 2025, रात 11:24 बजे
पंचमी तिथि समाप्त: 30 जुलाई 2025, दोपहर 12:46 बजे
पूजा का उत्तम मुहूर्त: 29 जुलाई को सुबह 5:41 बजे से 8:23 बजे तक
उदया तिथि मान्य होने के कारण पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा.
🕉️ नाग पंचमी 2025 पूजा मुहूर्त
नाग पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 29 जुलाई 2025 को सुबह 05 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
📝 नाग पंचमी पूजा विधि
नागपंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर साफ वस्त्र धारण करें इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उसपर नाग देवता की प्रतिमा स्थापित करें अगर आपके पास मूर्ति नहीं है तो आप आटे की सर्प बनाकर पूजा कर सकते हैं। इसके बाद नाग देवता को दूध, जल, हल्दी, चावल, फूल, रोली,मिठाई आदि चीजें नाग देवता को अर्पित करें और ओम नागदेवाय नम: मंत्र का जप करें। फिर नाग पंचमी की कथा का पाठ करें और नाग देवता की प्रतिमा का दूध से अभिषेक करें और अंत में हाथ जोड़कर पूजा में हुई भूल के लिए माफी मांगे।
💁🏻‍♀️ कैसे करें नाग पंचमी की पूजा?
स्कंद पुराण में बताई गई पूजा विधि के अनुसार:
पंचमी के दिन स्वर्ण, चांदी, मिट्टी या लकड़ी से बने पांच फनों वाले नाग की मूर्ति बनाएं.
घर के द्वार के दोनों ओर गोबर से नाग चित्रित करें.
दूध, दही, फूल (कनेर, मालती, चमेली), अक्षत, गंध, धूप और दीपक से नाग देवता की पूजा करें.
दूध से नाग देवता का अभिषेक करें.
पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं, जिसमें खीर, घी, मोदक या मीठे व्यंजन हों.
💁🏻 नाग पंचमी पर क्या करें और क्या न करें?
इस दिन सर्पों की हत्या या उन्हें परेशान करने से बचें.
भूमि खुदाई या गड्ढे खोदने से परहेज करें क्योंकि नागों का घर माना जाता है.
मिट्टी के नाग बनाकर उनकी पूजा करना विशेष फलदायी होता है.
पूजा के बाद “ॐ नमः शिवाय” और नाग गायत्री मंत्र का जप करें.
🗣️ नाग पंचमी मंत्र
अनंतं वासुकि शेष पद्मनाभं च कम्बलम्।
शड्खपाल धार्तराष्ट्र तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः।।
तस्मे विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयीं भवेत्।
🪐 नाग पंचमी की पूजा से दूर होता है कालसर्प दोष

कुंडली में कालसर्प दोष तब लगता है जब सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ ही राहु की उपस्थिति होती है. मान्यतानुसार राहु का अधिदेवता काल है और केतु का अधिदेवता सर्प है. इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में अगर एक तरफ सभी ग्रह होते हैं तो कालसर्प दोष लग जाता है. माना जाता है कि नाग पंचमी की पूजा करने से कालसर्प दोष दूर होता है._
👹 राहु-केतु का अशुभ प्रभाव होता है दूर
नाग पंचमी का पर्व इस बार मंगलवार के दिन पड़ रहा है और इस दिन मंगला गौरी का व्रत भी किया जाएगा, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा अर्चना करने से सभी दुखों से निजात मिलती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. नाग देवता को भगवान शिव का गण माना जाता है और सावन मास में इनकी पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं और कुंडली में सभी तरह के दोष दूर होते हैं. नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से राहु-केतु से बनने वाले दोष दूर होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है.
🫵🏼 क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी?

नाग पंचमी को लेकर पुराणों में कई कथाएं हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा महाभारत काल की है, जब जनमेजय ने नागों का सर्वनाश करने के लिए सर्प यज्ञ किया था. तब उनकी मां उत्तरा के कहने पर आस्तिक ऋषि ने नागों की रक्षा की और तभी से नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. यह दिन नागों को सम्मान देने, उन्हें जल-दूध अर्पित करने और जीवन में विष से रक्षा की प्रार्थना का प्रतीक बन चुका है. इसे सांपों की पूजा का दिन भी कहा जाता है, लेकिन असल में यह प्रकृति और जीवन रक्षा का त्योहार है.

Related Articles

Back to top button