ज्योतिष

आज का पंचांग आज का पंचांग गुरुवार, 14 मार्च 2024

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला मुख्यालय हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
गुरुवार 14 मार्च 2024

14 मार्च 2024 दिन गुरुवार को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पञ्चमी तिथि है। आज भगवान सूर्य कुम्भ राशि से गोचर करके मीन राशि में (दोपहर 14:37 PM मिनट पर) चले जायेंगे। अर्थात आज मीन राशि पर सूर्य देवता के जाने को मीन की संक्रांति अथवा यूं कहें की खरमास या मलमास आज दोपहर 14:14 बजे के बाद आरंभ होगा। संक्रांति काल भी दोपहर में ही होगा। आज गोदावरी स्नान का बड़ा ही महत्व होता है। आज से खरमास आरम्भ हो जाएगा। आज से बसंत ऋतु का भी आरम्भ हो जाता है। आप सभी सनातनियों को “मीन के संक्रांति” की हार्दिक शुभकामनायें।।
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
☄️ दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ अयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर बसन्त ऋतु
⛈️ मास – फाल्गुन मास
🌒 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – गुरुवार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 11:26 PM तक उपरांत षष्ठी
📝 तिथि स्वामी – पंचमी तिथि के देवता हैं नागराज। इस तिथि में नागदेवता की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्ति होती है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र भरणी 04:55 PM तक उपरांत कृत्तिका
🪐 नक्षत्र स्वामी – नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह होता है। भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण के स्वामी ग्रहों के राजकुमार बुध देव होते हैं।
📣 योग – वैधृति योग 09:59 PM तक, उसके बाद विष्कुम्भ योग
प्रथम करण : बव – 12:20 पी एम तक
द्वितीय करण : बालव – 11:25 पी एम तक कौलव
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:06:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:54:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:55 ए एम से 05:43 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:19 ए एम से 06:32 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:06 पी एम से 12:54 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:18 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:27 पी एम से 06:51 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 06:29 पी एम से 07:41 पी एम
💧 अमृत काल : 12:25 पी एम से 01:55 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:06 ए एम, मार्च 15 से 12:54 ए एम, मार्च 15
❄️ रवि योग : 04:56 पी एम से 06:31 ए एम, मार्च 15
🚓 यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
🤷🏻 आज का उपाय-विष्णु मंदिर में पीली ध्वजा लगाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – बसंत ऋतु आरम्भ/ मीन संक्रांति/ खरमास प्रारम्भ/, पाई दिवस, व्यावसायिक वक्ता उत्सव दिवस , राष्ट्रीय बाल शिल्प दिवस, पॉपकॉर्न प्रेमी दिवस, राष्ट्रीय आलू चिप दिवस, व्हाइट दिवस, नदियों के लिए कार्रवाई का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, अभिनेता आमिर खान जन्म दिवस, राष्ट्रीय पोषण माह (1 से 31 मार्च)
✍🏼 विशेष – पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। पञ्चमी तिथि को खट्टी वस्तुओं का दान और भक्षण दोनों ही त्याज्य है। पञ्चमी तिथि धनप्रद अर्थात धन देनेवाली तिथि मानी जाती है। यह पञ्चमी तिथि अत्यंत शुभ तिथि भी मानी जाती है। इस पञ्चमी तिथि के स्वामी नागराज वासुकी हैं। यह पञ्चमी तिथि पूर्णा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह पञ्चमी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ और कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायीनी मानी जाती है।
🗺️ _Vastu tips
🗽
पूर्व दिशा में रखना चाहिए तुलसी का पौधा वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के प्रवेश द्वार पर तुलसी का पौधा लगाना बहुत शुभ माना जाता है। तुलसी का पौधा नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करके घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। इसे घर के पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
घर के मेन गेट पर ना रखें शू स्टैंड वहीं वास्तु के अनुसार घर के मेन गेट पर कभी भी शू स्टैंड नहीं रखना चाहिए। अगर आपके पास जगह नहीं है तो इसे कभी भी खुला ना रखें। ध्यान दें, इसे पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही रखना चाहिए।
उत्तर दिशा में सिर करके नहीं सोना चाहिए वास्तु शास्त्र के अनुसार कभी भी उत्तर दिशा में सिर करके नहीं सोना चाहिए। क्योंकि उत्तर दिशा में सिर करके सोने से नींद अच्छी नहीं आती है और इसका असर सेहत पर पड़ता है।
इस दिशा में ना रखें दीवार घड़ी घर में घड़ियां दीवार पर पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। इस दिशा में दीवार घड़ी रखने से नए अवसर प्राप्त होते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि दीवार पर कभी भी बंद घड़ी ना लगी रहे।
🔰 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
सिगरेट पीने वालों के होंठ क्यों होते हैं काले? जब आप सिगरेट पीते हैं तो आपके होठों के आसपास की त्वचा की कोशिकाएं सिगरेट से गर्मी महसूस करती हैं, तो वे सक्रिय हो जाती हैं और मेलेनिन छोड़ती हैं। हालांकि, यह सिर्फ आपकी त्वचा का आपके शरीर को गर्मी से बचाने का तरीका है, अतिरिक्त मेलेनिन उस क्षेत्र को काला बना देता है। इसके पीछे एक और कारण ये है कि निकोटीन ब्लड वेसेल्स को सिकुड़ने और संकीर्ण करने का कारण बनती है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है और त्वचा को स्वस्थ और कोमल बने रहने के लिए जरूरी ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। ब्लड सर्कुलेशन में कमी और टार और निकोटीन के संपर्क से भी आपके होठों और मसूड़ों में मेलेनिन का रंग काला हो सकता है।
🫗 आरोग्य संजीवनी 🍶
जोड़ों के दर्द की दवा एक चम्मच मेथी दाना, आधा चम्मच हल्दी और आधा चम्मच पीपरामूल चूर्ण रात को एक गिलास पानी में भिगो दिया | सुबह उबलने रख दिया, आधा हो जाय तो छान के खाली पेट पी लिया | 20 से 30 दिन तक यह प्रयोग करें, जोड़ों के दर्द में लाभ स्पष्ट महसूस होगा | दर्द अधिक हो तो ज्यादा दिन भी कर सकते हैं |
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
भृगु ऋषि ने विष्णु को क्यूँ दिया था शाप? ये कथा उस समय की है जब असुरराज हिरण्यकशिपु के मारे जाने के बाद असुरों के राजा प्रहलाद बने. हालांकि प्रहलाद विष्णु के भक्त थे मगर फिर भी असुर समुदाय के उत्थान के लिए उन्हें भी देवताओं से कई बार युद्ध लड़ने पड़ते थे. लेकिन फिर प्रहलाद ने जब एक समय के बाद सब कुछ त्याग दिया तो उसका पुत्र विरोचन राजा बना. विरोचन के बाद असुरों के राजा बलि हुए. बलि के राजा बनने के बाद असुरों के साथ उसका भयंकर युद्ध होता रहा. मगर फिर बाद में जब विष्णु भी देवताओं के युद्ध में भाग लेने लगे तो असुर हारने लगे और उनमे भगदड मच गयी. जब बहुत सारे असुर मारे जाने लगे तो असुरों ने जाकर भृगु नंदन शुक्राचार्य की शरण ली.
शुक्रचार्य ने असुरों को जीत का विश्वास दिलाया और खुद महादेव से मंत्र का वरदान मांगने के लिए घोर तप करने लगे. शुक्रचार्य के उस घोर तप का नाम कणधूम था जो उन्हें एक वृक्ष से उल्टा लटक कर केवल धुंवे का पान करना था वो भी एक हज़ार वर्ष तक. इस बीच असुरों ने भृगु पत्नी यानी की शुक्राचार्य की माँ के यहाँ जाकर शरण ले लिया. मगर विष्णु एक-एक असुरों का संहार करने के लिए असुरों को ढूंढते रहे. जब विष्णु को पता चला कि सारे दैत्य भृगु पत्नी के यहाँ शरण लिए हुए हैं तो विष्णु उन दैत्यों को मारने चले गए. मगर भृगु पत्नी ने दैत्यों के प्राण रक्षा का वचन दिया था क्यूंकि वो उनकी शरण में थे. धर्म और अधर्म के बीच रुकावट बनने के कारण ही विष्णु को भृगु पत्नी पर अपना सुदर्शन चक्र चलाना पड़ा. लेकिन जब भृगु को पता चला की विष्णु ने उनकी पत्नी का सिर काट दिया है तो भृगु ने भी गुस्से में आकर विष्णु को मानव योनी में जन्म लेने का शाप दे दिया….इसी कारण विष्णु मानव योनी में जन्म लिए
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⚜️ पञ्चमी तिथि में शिव जी का पूजन सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। आज पञ्चमी तिथि में नाग देवता का पूजन करके उन्हें बहती नदी में प्रवाहित करने से भय और कष्ट आदि की सहज ही निवृत्ति हो जाती है। ऐसा करने से यहाँ तक की कालसर्प दोष तक की शान्ति हो जाती है। अगर भूतकाल में किसी की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो तो उसके नाम से सर्प पूजन से उसकी भी मुक्ति तक हो जाती है।
पञ्चमी तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति गुणवान होता है। इस तिथि में जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह माता पिता की सेवा को ही सर्वश्रेष्ठ धर्म समझता है। इनके व्यवहार में उत्तम श्रेणी का एक सामाजिक व्यक्ति दिखाई देता है। इनके स्वभाव में उदारता और दानशीलता स्पष्ट दिखाई देती है। ये हर प्रकार के सांसारिक भोग का आनन्द लेते हैं और धन धान्य से परिपूर्ण जीवन का आनंद उठाते हैं।

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