भगवान शिव का जो पुराण है वह समस्त पुराणों में सर्वोपरि: शास्त्री
सिलवानी। तहसील के ग्राम मुआर में श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। सोमवार को भगवान शिव की महिमा का वर्णन करते हुए पंडित राजेंद्र प्रसाद शास्त्री ने कहा कि भगवान शिव ही आदिदेव हैं, जब कोई भी नहीं था तब शिव थे। यह संसार शिव से ही प्रकट हुआ है और शिव में ही समाहित हो जाएगा। संसार के सबसे पहले गृहस्थ्य के रूप में यदि, किसी की परिकल्पना की जाती है, तो वह भगवान शिव की ही कल्पना की जाती है। संपूर्ण ब्रह्मांड का सर्वाधिक शक्तिशाली परिवार यदि कोई है तो वह भगवान शिव का ही परिवार है। उनके परिवार में जगत जननी आदिशक्ति मां जगदंबा, उनके पुत्र जो देवताओं के सेनापति हैं कार्तिकेय और भगवान श्री गणेश इन सभी की कृपा के बिना व्यक्ति के जीवन में कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो पाता है। आगे शास्त्री ने कहा कि भगवान शिव के परिवार में जीवन जीने की प्रेरणा देने वाले अनेक प्रकल्प हैं जैसे कि भिन्न प्रवृत्ति वाले जीव एक साथ निवास करते हैं। भगवान शिव का वाहन है नंदी जबकि माता जगत जननी का वाहन सिंह है। दोनों की प्रवृत्ति विपरीत होते हुए भी दोनों में समन्वय सामंजस्य है। इसी प्रकार भगवान कार्तिकेय का वाहन मयूर एवं गणेश जी का मूषक है। भगवान शिव के कंठ में सदैव नाग के आभूषण विद्यमान रहते हैं। जबकि उनके गले में नीले रंग का हलाहल विश्व विद्यमान है। मस्तिष्क पर तीसरे नेत्र में ज्वाला विद्यमान है जबकि मस्तिष्क पर गंगा जी की उपस्थिति है। और भाल पर चंद्रमा की शीतलता विद्यमान है। शिव के जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे जीवन में भी अनेक विपरीत परिस्थितियां आती हैं लेकिन उन विपरीत परिस्थितियों से सामंजस्य संबंध स्थापित करना ही मानव की सर्वोच्च उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव का जो पुराण है वह समस्त पुराणों में सर्वोपरि है। शिवपुराण की कथा सुनने से व्यक्ति के जीवन में आ रही कठिनाइयां अपने आप दूर हो जाती हैं।