ज्योतिष

Aaj ka Panchang आज का पंचांग शुक्रवार, 17 नवम्बर 2023

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि•••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शुक्रवार 17 नवम्बर 2023

17 नवम्बर 2023 दिन शुक्रवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। आज वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का पावन व्रत भी है। आज काशी में नाग नथैया भगवान श्रीकृष्ण की लीला तुलसीघाट पर मंचन किया जाता है। आज से परम पावन श्रीसूर्यषष्ठी (छठ व्रत) व्रत का भी आरंभ हो जाता है। आज पावन छठ व्रत का प्रथम दिन है। आज को नहाय-खाय का व्रत भी कहा जाता है। छठ व्रत करनेवाले व्रती लोग आज दिनभर शुद्ध घी में बना भोजन ही करते हैं। आज से भगवान श्रीसूर्य नारायण देवता धनु राशि को छोडकर वृश्चिक राशि में (दोपहर:: 13:05 PM बजे) प्रवेश कर जाएंगे। आज नर्मदा स्नान, नदी के किनारे दीप-दान, एवं अन्यों को गौ-अन्न-वस्त्रादि का दान अवश्य करना चाहिए। आप सभी सनातनियों को “श्रीगणेश चतुर्थी, वृश्चिक संक्रांति एवं छठ व्रत के प्रथम दिन नहाय-खाय” की हार्दिक शुभकामनायें।।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ।
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – दक्षिणायन
☀️ ऋतु – सौर हेमंत ऋतु
⛈️ मास – कार्तिक मास
🌒 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – कार्तिक मास शुक्ल पक्ष दिन शुक्रवार चतुर्थी तिथि 11:03 AM तक उपरांत पंचमी
✏️ तिथी स्वामी – चतुर्थी तिथि के देवता हैं शिवपुत्र गणेश। इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। यह खला तिथि हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा 01:17 AM तक उपरांत उत्तराषाढ़ा
🪐 नक्षत्र स्वामी – नक्षत्र का स्वामी शुक है तो राशि स्वामी शुक्र।
🔊 योग – धृति योग 07:36 AM तक, उसके बाद शूल योग 05:01 AM तक, उसके बाद गण्ड योग
प्रथम करण : विष्टि – 11:03 ए एम तक
द्वितीय करण : बव – 10:12 पी एम तक
🔥 गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -दिन – 10:30 से 12:00 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:37:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:23:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:40 ए एम से 05:31 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 05:06 ए एम से 06:22 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:38 ए एम से 12:24 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 01:54 पी एम से 02:39 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:40 पी एम से 06:05 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:40 पी एम से 06:56 पी एम
💧 अमृत काल : 08:41 पी एम से 10:13 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:36 पी एम से 12:27 ए एम, नवम्बर 18
❄️ रवि योग : 01:17 ए एम, नवम्बर 18 से 06:22 ए एम, नवम्बर 18
🚓 यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-गणेश मंदिर में छैने से बनी मिठाई चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – विनायकी चतुर्थी, लाला लाजपतराय बलिदान दिवस, विश्व समयपूर्वता दिवस, बॉलीवुड सिंगर नीति मोहन जन्म दिवस, राष्ट्रीय मिर्गी (अपस्मार) दिवस, राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस, विश्व विद्यार्थी दिवस, विश्व दर्शन दिवस [यूनेस्को], नोबेल पुरस्कार से सम्मानित स्टैनली कोहेन जन्म दिवस, राष्ट्रीय पुस्तक दिवस (सप्ताह), नवजात शिशु दिवस (सप्ताह)
✍🏼 विशेष – चतुर्थी तिथि को मूली एवं पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। इस चतुर्थी तिथि में तिल का दान और भक्षण दोनों त्याज्य होता है। इसलिए चतुर्थी तिथि को मूली और तिल एवं पञ्चमी को बिल्वफल नहीं खाना न ही दान करना चाहिए। चतुर्थी तिथि एक खल और हानिप्रद तिथि मानी जाती है। इस चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं तथा यह चतुर्थी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह चतुर्थी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी गयी है
🏘️ Vastu Tips 🏚️
वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे घर के मध्य भाग में सीढ़ियां बनवाने के बारे में। क्या मध्य भाग में सीढ़ियां बनवाना ठीक रहता है और नहीं तो क्यों? घर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान माना जाता है, ऐसा स्थान जहां देवताओं का वास होता है इसलिए कई लोग घर के बिल्कुल बीचों-बीच तुलसी का पौधा लगाते हैं और उसकी पूजा करते हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार घर के मध्य भाग में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करवाना चाहिए। अगर इस स्थान पर आप सीढ़ियों का निर्माण करते हैं तो आप अपने जीवन में दुःख व विपत्तियों को बुलावा दे रहे हैं। इससे आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। साथ ही घर के मध्य भाग में सीढ़ियों के होने से आर्थिक संकट भी बढ़ता है।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक दक्षिण, पश्चिम या फिर नैत्रत्य दिशा में सीढ़ियां बनवाना अच्छा रहता है, लेकिन ध्यान रहे वास्तु शास्त्र के अनुसार कभी भी सीढ़ियों के लिए उत्तर, पूर्व, आग्नेय या ईशान कोण का चुनाव नहीं करना चाहिए।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
काला नमक या सेंधा नमक कौन सा बेहतर है काला नमक पूरी तरह से प्राकृतिक नहीं है और इसमें एक अलग गंध और स्वाद होता है, जबकि सेंधा नमक पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसका रंग हल्का गुलाबी होता है।आयुर्वेद में, सेंधा नमक का उपयोग पित्त दोष को दूर करने के लिए किया जाता है, जबकि काला नमक का उपयोग गैस, कब्ज और पाचन समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। सेंधा नमक खाने से दिल के लिए अच्छा होता है और मधुमेह को रोकने में मदद मिल सकती है, जबकि काला नमक कोई विशेष लाभ नहीं देता है।
तो, हाई बीपी में क्या खाएं? सेंधा नमक में सोडियम की मात्रा कम होती है जो कि बीपी नहीं बढ़ाता है। दरअसल, सोडियम ब्लड वेसेल्स की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है और दिल पर प्रेशर बढ़ाता है। इसके अलावा ये खून की रफ्तार को भी नॉर्मल रखने में मदद करता है। इसके अलावा ये शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता है। इसलिए अगर आपको हाई बीपी की समस्या है तो आप सेंधा नमक का सेवन करें।
🥤 आरोग्य संजीवनी 🍶
नारियल का तेल नारियल का तेल गुणों का खान है। एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर नारियल का तेल आपकी स्किन को सॉफ्ट बनाने के साथ एड़ियों की भी बेहतरीन देकभल करता है। अगर आपकी एड़ियों से खून निकलने लगा है तो आप उस पर दिन में तीन बार नारियल का तेल लगाएं। ऐसा क्कुह दिन करने से ही आपको प्रभावकारी असर देखने को मिलेगा।
मलाई लगाने से भी मिलेगा आराम अपने पैरों की एडियों को मलाई की तरह मुलायम बनाने के लिए आप मलाई का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। एड़ियों के जिस क्षेत्र में ज़्यादा गहरे घाव हैं वहां पर आप मलाई लगाएं। ऐसा हफ्ते भर करने से आपको पॉज़िटिव रिजल्ट देखने को मिलेगा।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
भगवान विष्णु किस प्रकार
आदि शेषनाग और गरुड़ दोनों को एक साथ संभालने में सक्षम हैं, क्योंकि वो दोनों आपस में जानी दुश्मन हैं?
सबसे पहले जवाब दिया गया: भगवान विष्णु किस प्रकार आदिशेषनाग और गरुड़ दोनों को एक साथ संभालने में सक्षम हैं? क्योंकि वो दोनों आपस में जानी दुश्मन हैं।
यह गलत धारणा है कि आदिशेषनाग और गरुड़ दुश्मन हैं । आदिशेषनाग के छोटे भाई गरुड़ से ईर्ष्या करते थे और उन्होंने गरुड़ के प्रति कभी दया नहीं दिखाई। गरुड़ के लिए इस मानसिकता को देखकर, आदिशेषनाग तंग आ गए और उसने अपने छोटे भाइयों को छोड़ दिया। आदिशेषनाग ने इसके लिए अपने छोटे भाइयों को दुष्ट माना और गरुड़ को अपने भाई के रूप में उच्च सम्मान दिया। आदिशेषनाग ने ब्रह्मा की कठिन तपस्या किया और एक वरदान माँगा कि उनका हृदय सदैव पुण्य के मार्ग पर लगा रहे।
“और शेष ने कहा, ‘मेरे सहोदर भाई सभी दुष्ट दिल के हैं। मैं उनके बीच रहने की इच्छा नहीं रखता । इसे उनके द्वारा मंजूर कर लिया जाए। दुश्मनों की तरह वे हमेशा एक-दूसरे से ईर्ष्या करते हैं। इसलिए, मैं तपस्या भक्ति में लगा हुआ हूँ । । मैं उन्हें कभी नहीं देखना चाहता हूँ । उन्होंने कभी भी विनता और उनके बेटे के लिए कोई दया नहीं दिखाई। वास्तव में, आसमान से गुजरने में सक्षम विनता का बेटा , हमारा एक और भाई है। वे हमेशा उससे ईर्ष्या करते हैं। और वह भी हमारे पिता, उच्च कोटि के कश्यप द्वारा प्राप्त वरदान के कारण बहुत ताकतवर है। इसके लिए, मैं तपस्या में लगा हुआ था, और मैं अपना यह शरीर त्याग दूंगा, ताकि जीवन की दूसरी अवस्था में भी मैं उनके साथ संगति से बच सकूं।
बाद में आदिशेषनाग नारायण और महालक्ष्मी के लिए उनका बिस्तर बनकर एक अनन्त सेवक बन गए । गरुड़ नारायण के वाहन बन गए । कई नागों को बाद में कृष्ण और अर्जुन ने मार दिया था।
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⚜️ चतुर्थी तिथि में तिल का दान और भक्षण दोनों भी त्याज्य है। आज गणपति, गजानन, विघ्नहर्ता श्री गणेशजी की पूजा का विशेष महत्त्व है। आज गणपति की पूजा के उपरान्त मोदक, बेशन के लड्डू एवं विशेष रूप से दूर्वादल का भोग लगाना चाहिये इससे मनोकामना की सिद्धि तत्काल होती है।
शास्त्रानुसार जिस व्यक्ति का जन्म चतुर्थी तिथि को होता है वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। चतुर्थी तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति बुद्धिमान एवं अच्छे संस्कारों वाला होता है। ऐसे लोग अपने मित्रों के प्रति प्रेम भाव रखते हैं तथा इनकी सन्तानें अच्छी होती है। इन्हें धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है और ये सांसारिक सुखों का पूर्ण उपभोग करते हैं।

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