मध्य प्रदेश

समस्याओं से घिरा गौरझामर, शासन-प्रशासन तमाशबीन बना

रिपोर्टर : कुंदनलाल चौरसिया
गौरझामर । मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड स्थित सागर जिले की सबसे बड़ी पंचायत एवं कस्बा प्राचीन गोंडवाना कालीन नगर गौरझामर आजादी के 80 वर्षों के बाद भी आजादी के अमृत महोत्सव काल में विकास की बाट जोह रहा है शासन प्रशासन जनप्रतिनिधियों बुद्धिजीवियों की उपेक्षा के चलते इसका समुचित विकास नहीं हो पा रहा है आज गौरझामर अपनी विकास की मूलभूत समस्याओं से घिरा हुआ है जिसके लिए वह दशकों से संघर्ष कर रहा है आज यदि बात करें कि गौरझामर करीब 30000 की आबादी वाला एक बहुत बड़ा नगर है लेकिन यहां दुर्भाग्यवश एक भी सार्वजनिक सुलभ कांप्लेक्स नहीं है यहां दो हाट बाजार एक इतवार को और एक बुधवार के दिन लगता है इन दोनों बाजारों एवं बस स्टेण्ड पर लोगों की सुविधा के लिए न सामूदायिक पेशाब घर है और न ही सुलभ कंपलेक्स, बस स्टैंड को सेंट्रल बैंक के सामने पुलिस थाना के पीछे वाले मार्ग पर से प्रतिदिन सैकड़ों वाहन और छात्र-छात्राएं स्कूल के लिए आते जाते हैं इतना महत्वपूर्ण मार्ग आज भी सीमेंट कंक्रीट से नहीं बनाया जा सका है परिणाम स्वरूप हर वर्ष बरसात में यह मार्ग दलदल के रूप में बदल जाता है जहां गड्डे और नुकीले पत्थर वाहनों के आवागमन में बाधक बनते हैं गौरझामर में दो श्मशान घाट बने हुए हैं जहां अंतिम संस्कार हेतु जलाऊ लकड़ी रखने की कोई स्थाई व सुगम व्यवस्था नहीं है परिणाम स्वरूप हर बार हमें वन विभाग की तरफ याचक की दृष्टि से देखना पड़ता है, वार्ड नंबर 7 के पुराना बस स्टैंड से पुराने ग्राम पंचायत भवन तक पिछले वर्ष सीसी रोड का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा कराया गया था उक्त मार्ग बन जाने के बाद अभी तक नालियों का निर्माण नहीं किए जाने से समूचा गंदा पानी बीच सड़क के ऊपर से बहता है जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, स्थानीय शासकीय सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गौरझामर पहुंचने के लिए कोई पक्का मार्ग अभी तक नहीं बनाया जा सका है करीब आधा किलोमीटर मार्ग भटुआ टोला तक अभी भी कच्चा पड़ा होने के कारण मरीजों को अस्पताल तक आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, इस कच्चे रोड के कारण अस्पताल तक वाहन लाने ले जाने में कठिनाई हो रही है गौरझामर में शासकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला का भवन अभी तक नहीं होने के कारण वह प्राचीन 70 के दशक वाले पुराने खंडहर नुमा भवन में लगाया जा रहा है वर्तमान के हालात यह हैं कि बरसात में शाला प्रांगण में पानी भर जाने के कारण ग्राउंड तालाब में परिवर्तित हो जाता है एक तरफ बच्चियों के मामा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भांजियों को तरह तरह कि सुविधाओं से नवाज रहे हैं तो दूसरी तरफ गौरझामर में शिक्षा के इस पवित्र मंदिर में जहां हजार से ऊपर भांजिया शिक्षा ग्रहण कर रही हैं वहां की हालत इतनी बदतर व दयनीय तथा संदिग्ध बनी हुई है कि यह भवन कभी भी धराशाई हो सकता है छात्राओं को अच्छी शिक्षा सुरक्षित परिवेश मुहैया कराने हेतु शासन तत्काल नए भवन की स्वीकृति शीघ्र प्रदान करें जिससे बच्चियों का भविष्य उज्जवल व सुरक्षित हो सके, गौरझामर में काफी संघर्षो व आंदोलनों के बावजूद शासन ने गौरझामर-को तहसील के बदले में तात्कालिक रूप से उप तहसील बनाते हुए नायब तहसीलदार गौरझामर की पद स्थापना की थी लेकिन इसके बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी रही आसमान से गिरे खजूर पर अटके, यह कहावत यहां चरितार्थ हो रही है, जिस नायब तहसीलदार गौरझामर का कार्यालय गौरझामर में होना चाहिए वह गौरझामर से 20 किलोमीटर दूर देवरी मुख्यालय पर ही बना दिया गया परिणाम स्वरूप गौरझामर क्षेत्र के हजारों लोग अपनी समस्याओं को लेकर देवरी भटक रहे हैं, गौरझामर जिले का सबसे बड़ा नगर व कस्बा है इसके साथ शासन द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है विपक्षी विधायक होने के कारण गौरझामर को अभी तक नगर पंचायत का दर्जा नहीं दिया जा सका है जबकि आसपास की छोटी-छोटी ग्राम पंचायतों को शासन द्वारा पात्रता नहीं होते हुए भी उन्हें नगर पंचायत का दर्जा दे दिया गया है, शासन द्वारा गौरझामर के मुख्य मार्ग का डामरीकरण कराया गया है लेकिन वेपटरी सड़क के कारण वाहनों के पलटने दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंकाएं बढ़ गई हैं नागरिकों की पुरजोर मांग के बावजूद भी अभी तक सड़क के किनारे दोनों तरफ पटरियों का निर्माण नहीं कराया जा सका है, गौरझामर में खेल ग्राउंड स्टेडियम नहीं होने के कारण खेल प्रेमी बच्चों को खेल के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है पिछले दशक में यहां गडरिया ढोंगे की पहाडी पर एक खेल स्टेडियम बनाया गया था जो उद्घाटन के पहले ही खंडहर हो गया जिसके लिए शासन ने आज तक कोई जांच की पहल नहीं की परिणाम स्वरुप यह खेल ग्राउंड जिस पर शासन का करोड़ों रुपए का खर्च आया था धूलधूसरित हो गया शासन ने अभी तक नया खेल ग्राउंड बनाकर नहीं दिया गौरझामर एवं इसके आसपास के गांव बहुतायत में लगे हुए हैं जिनका पोषक नगर गौरझामर है यहां एक भी शासकीय सामुदायिक भवन नहीं है जहां लोग अपने धार्मिक सामाजिक वैवाहिक कार्यक्रम बारह महीनों कर सकें इस प्रकार की गौरझामर में अनेकों समस्याएं हैं जिनके निराकरण के लिए लंबे अरसे से जद्दोजहद हो रही है लेकिन शासन-प्रशासन के सौतेले व पक्षपातपूर्ण व्यवहार के कारण गौरझामर का विकास नहीं हो पा रहा है।

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