खेत पहुंचे कृषि वैज्ञानिक बोले: सोयाबीन एवं उड़द में पीला मोजेक एवं एथ्रेक्नोज का रोग, दवाएं छिड़कें
कृषि अधिकारियों ,कृषि वैज्ञानिकों ने नकतरा मुंगालिया नरवर सेमरा खण्डेरा एवं आसपास गांव के खेतों का निरीक्षण किया
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन। कृषि अधिकारियों एवं नकतरा कृषि केंद्र के कृषि वैज्ञानिक सहित स्टाफ ने संयुक्त रूप से आसपास के खेतों का निरीक्षण किया। उन्होंने उड़द, सोयाबीन, प्याज एवं अरहर की फसलें देखीं और किसानों से चर्चा की। सोयाबीन एवं उड़द के खेतों में पीला मोजेक एवं एथ्रेक्नोज रोग का प्रकोप यहां पर देखा गया।
इनकी रोकथाम के लिए कृषि वैज्ञानिकों डॉ स्वप्निल दुबे व कृषि अधिकारियों ने किसानों को विभिन्न दवाओं और उर्वरकों के छिड़काव की सलाह दी। निरीक्षण दल में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दुबे , जितेंद्र सिंह राजपूत, एसके जैन, केसी जैन एवं आरके कोरी आदि शामिल थे।
इन दवाओं का छिड़काव करने की सलाह…
उड़द की फसल में पीलामोजेक रोग एवं सफेद मक्खी कीट के नियंत्रण के लिए थायोमेथाक्जाम 25 डब्ल्यू डीजी 150 ग्राम अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 150 मिली प्रति हैक्टेयर अथवा थायोमेथाक्जाम 12.6% लेम्डासायहेलोथ्रिन 9.5% 125 मिली प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
उड़द की फसल में एथ्रेक्नोज रोग जिसमें पत्तियों पर हल्के भूरे से गहरे भूरे काले रंग के वृत्ताकार धब्बे बनते हैं, उनके नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम अथवा थियोफिनेट मिथाइल की 500 ग्राम मात्रा अथवा मिश्रित फफूंदनाशी कार्बेन्डाजिम मेन्कोजेब की 1000 ग्राम मात्रा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर के मान से छिड़काव करें।
सोयाबीन में सेमीलूपर, तंबाकू की इल्ली, फलीछेदक कीटों के नियंत्रण के लिए क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5% 150 मिली प्रति हैक्टेयर अथवा थायोमेथाक्जाम 12.6% लेम्डासायहेलोथ्रिन 9.5% जेडसी 125 मिली प्रति हैक्टेयर के मान से छिड़काव करें।
सोयाबीन में राजोक्टोनिया पर्णझुलसन रोग का प्रकोप होने पर थियोफिनेट मिथाइल की 200 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें।
पोषक तत्वों की कमी से पीलापन होने पर प्रति सप्ताह घुलनशील उर्वरक एनपीके 19ः19ः19 का छिड़काव करें।