मध्य प्रदेश

धूमधाम से मनाया गया चित्रगुप्त जन्मोत्सव

बेगमगंज । अखिल भारतीय कायस्थ महासभा बेगमगंज द्वारा श्री चित्रगुप्त मानस मंदिर पर सभी कायस्थ बंधुओं द्वारा चित्रगुप्त के जन्मोत्सव पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें श्री चित्रगुप्त भगवान का विधि विधान से पूजा अर्चना की गई एवं संध्या भजन का आयोजन महिलाओं एवं भजन मंडली द्वारा किया गया जिसमें बड़ी संख्या में समाज के स्वजातीय बंधु एवं महिलाएं , बच्चे शामिल हुए। जहां श्री चित्रगुप्त मानस मंदिर को फूल माला एवं गुब्बारों एवं दूधिया रोशनी से से सजाया गया वही भगवान श्री चित्रगुप्त जी की पूजन अर्चना ओपी श्रीवास्तव सुनेटी वालों के द्वारा की गई। इसके बाद सभी ने भोजन प्रसादी ग्रहण कर धर्म लाभ लिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप कायस्थ समाज अध्यक्ष सतीश सक्सेना, अशोक श्रीवास्तव बाबू जी, ओ पी श्रीवास्तव, नवीन सकसेना, संतोष सकसेना, अंकुर श्रीवास्तव, विनय खरे, सुनील श्रीवास्तव, आदित्य श्रीवास्तव, कमलेश सकसेना नगर युवा अध्यक्ष सचिन श्रीवास्तव सहित सभी कायस्थ बंधुओं का सहयोग रहा।
भगवान चित्रगुप्त परमपिता ब्रह्मा जी के अंश से उत्पन्न हुए हैं और यमराज जी के सहयोगी हैं। इनकी कथा इस प्रकार है कि सृष्टि के निर्माण के कर्ताधर्ता भगवान श्री ब्रह्मा जी है अतः सृष्टि की रचना के क्रम में देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरूष पशु-पक्षी को जन्म दिया। इसी क्रम में यमराज का भी जन्म हुआ जिन्हें धर्मराज की संज्ञा प्राप्त हुई क्योंकि धर्मानुसार उन्हें जीवों को सजा देने का कार्य प्राप्त हुआ था। धर्मराज ने जब एक योग्य सहयोगी की मांग ब्रह्मा जी से की तो ब्रह्मा जी ध्यानलीन हो गये और एक हजार वर्ष की तपस्या के बाद एक पुरूष उत्पन्न हुआ। इस पुरूष का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था अत: ये कायस्थ कहलाये और इनका नाम चित्रगुप्त पड़ा।
भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात और करवाल है। ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलती है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है।

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