मध्य प्रदेश

वित्तीय संकट के बावजूद, एक लाख की फाइलों में 50 लाख का भुगतान

नपा में हो रही नियम कायदों की हो रही अनदेखी,
नपा कर्मियों को हर महीने पड़ रहे वेतन के लाले, लेकिन राशि भुगतान को लेकर नेता, ठेकेदार बना रहे अफसरों पर दबाव
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन।
एक लाख रुपये की फाइलों को लेकर इन दिनों नगर पालिका परिषद में बवाल मचा हुआ है। नपा में व्याप्त वित्तीय संकट को लेकर जिम्मेदार अधिकारी भी हैरान परेशान हैं। नपा कर्मचारियों को हर महीने पड़ने वाले वेतन के लाले की उलझन को सुलझाने तनख्वाह तो दे दी। लेकिन नियम कायदों को ताक पर रखकर बन रही एक लाख रुपये की फाइलों भुगतान करें। यह बात आला अधिकारियों तक जब पहुंच गई तो विभाग की फजीहत खड़ी हो सकती है। जिसके बाद बताया जा रहा है कि नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल के आयुक्त द्वारा नपा सीएमओ रायसेन, सब इंजीनियरों को जमकर फटकार भी लगाई थी।
नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल के अफसरों ने यह आदेश जारी कर कहा था कि एक लाख रुपये से ज्यादा के निर्माण कार्य अब टेंडर प्रक्रिया के थ्रो मंजूर होंगे। सिर्फ एक लाख रुपये के अंदर के निर्माण कार्य नपा के प्रशासक एवं कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, नपा सीएमओ आर.डी. शर्मा की अनुशंसा के आधार पर कराए जाएंगे। लेकिन रायसेन शहर में सत्ताधारी सरकार के चुनिंदा नेता बने ठेकेदारों को विभागीय अधिकारी फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से इसी नियम के कारण राशि की बंदरबांट हो जाती है।
नीति के कारण अधिकारी भी आ रहे तंग……
बताया यह जा रहा है कि नगर पालिका परिषद में वित्तीय संकट के बावजूद सिर्फ एक लाख रुपये से ज्यादा के निर्माण कार्य की फाइलों में नपा कार्यालय में हर महीने 40 से 50 लाख रुपये का भुगतान हो रहा है। इस तरह की नीति से नपा के अधिकारी भी तंग आ रहे हैं। वे नपा के सब इंजिनियरों को फटकार लगाकर हालातों को सुधारने की कोशिश भी लगातार की जा रही है। लेकिन बावजूद इसके ऐसी फाइलों की संख्या बजाय घटने के बढ़ती जा रही है।
क्या है नियम…. उलझे अफसर
नगरीय निकाय विकास प्रशासन भोपाल के आला अधिकारी नियम कायदों का हवाला देते हुए सिर्फ अत्यावश्यक सेवा के कार्यों को ही 1 लाख रुपये की सीमा के भीतर करना है। आवश्यक आकस्मिक कार्यों को ही एक लाख रुपए के अंदर ही किया जाएगा। लेकिन रायसेन नगर पालिका परिषद में सैंकड़ों फाइलें हर महीने बन रही हैं। बिलों की राशि भुगतान में हर महीने लाखों नपा परिषद के ताबड़तोड़ तरीके से खर्च हो रहे हैं।
काम में भाजपा के नेताओं का दवाब
नगर पालिका परिषद के प्रशासक के पूरे डेढ़ साल हो चुके हैं। लेकिन बिलों की राशि भुगतान में नेताओं की दखलंदाजी लगातार जारी है। एक लाख रुपए की फाइलों को लेकर भी यही सब खेल चल रहा है। इन ठेकेदार बने नेताओं के ही सबसे ज्यादा काम हो रहे हैं। क्योंकि नेता किस्म के इन ठेकेदारों की मंत्री सांसद और विधायकों से उनकी अच्छी एप्रोच भी है। एक सेंटर से पूरी फाइलें चलती हैं।वर्तमान में नपा के सब इंजीनियरों की बजाय ठेकेदार खुद फाइलें लेकर नपा सीएमओ के चैंबर में घूमते हुए नजर आते हैं।
वेतन बांटने नपा दफ्तर में बजट नहीं, ठेकेदारों का भुगतान के लिए दबाव….
बैकडोर से पूर्व नपाध्यक्ष और अन्य अफसरों की सिफारिश से बड़ी संख्या में अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती कर दी गई है। नपा कार्यालय में आवश्यकता एक हजार कर्मचारियों की है। लेकिन काम 1600 से ज्यादा कर्मचारी कागजों में कर रहे हैं। कुछ अस्थायी नपा कर्मचारी प्रशासनिक अधिकारियों के बंगले पर अर्दली कर रहे हैं। लेकिन नपा कार्यालय में अब हालात यह बने हुए हैं अस्थायी तौर पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड नहीं है। शासन से चुंगी क्षतिपूर्तिके रूप में एक करोड़ रुपये से ज्यादा राशि नपा परिषद को प्राप्त होती है। जो सिर्फ स्थायी अस्थायी कर्मचारियों के वेतन अन्य खर्चों में हर माह खर्च हो जाती है। इन फाइलों को अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ने से अफसर भी खासे चिंतित रहते हैं।

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