पर्यावरण

पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा चिपको आंदोलन के प्रणेता व जंगलों की रक्षा के लिए समर्पित योद्धा

आप तो अपनी पारी बहुत सफलता पूर्वक खेल कर चले गये, अब हमारी पारी है, यही आपको हमारी श्रृद्धान्जली।

छिन्दबाड़ा। देश के आकाओं ने अगर स्वर्गीय सुन्दरलाल बहुगुणाजी की आवाज को सुना होता तो, उत्तराखण्ड तबाही से बच जाता। चिपको आन्दोलन से पूरा देश जुड़ जाता, तो कोरोना महामारी से देश बचता। प्राकृतिक विपदाओं को जन्म देता विनाशकारी विकास रोकने कि ही तो अपील बहुगुणाजी कर रहे थे। बहुगुणाजी, की अपील को किसी भी सरकार ने कभी नही सुना, उल्टा उन्हें पकड़कर असंख्य बार जेल के सीखचों के अन्दर डाल दिया। उन्होंने यह भी सन्देश दिया, कि निष्क्रियता से महामारी का मुकाबला संभव नही है। देश ने कभी यह नही सोचा था कि पशुता ऐसे सिर चढ़कर बोलेगी। कोरोना महामारी ने तो सरकारों की पोल खोल कर रख दी। अगर बहुगुणाजी हमारे बीच होते, तो गंगा के किनारे रेत में दबी लाशों से किस तरह पर्यावरण प्रभावित होगा, और कई महामारियाँ देश में पांव पसारेंगी, इसे रोकने के लिए गंगा की रेत के किनारे पहुँच जाते और अपना संघर्ष चालू कर देते। वे हमें यह भी संदेश देते किसी भी महामारी से निपटने का आधार सत्य एवं विज्ञान होना चाहिए।
     पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी बहुगुणाजी हमारे कन्धों पर छोड़ कर गये हैं। समुद्री तुफान ‘ताऊ ते’ ने देश में तबाही मचाकर यह संदेश देकर गया है कि, अगर अब पर्यावरण से खिलवाड़ करोंगे तो मैं किसी और नाम से आकर तुम्हारी दुनिया को नेस नाबूत कर दूँगा। क्या हमारे देश के कर्णधार ‘ताऊ ते’ की भाषा समझ पायेंगे ? बड़ेे बाँध, थर्मल पाॅवर के नाम पर जंगल की कटाई जारी रखेंगे ? जंगल बचाने के लिए बहुगुणा जी ने चिपको आन्दोलन चलाया। अडानी थर्मल पावर को पानी देने के लिए छिन्दवाड़ा की सबसे उपजाऊ भूमि पर माॅचागोरा नामक बाँध बनाया गया। अडानी को लाभ पहुँचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकारों ने करोड़ों पेड़ों की बलि दे दी। किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में पेड़ों को बचाने के लिए चिपको अन्दोलन चलाया गया, आन्दोलनकारियों को भी बहुगुणा जी की तरह जेल के सींखचों के अन्दर डाल दिया गया। किसान संघर्ष समिति के साथी लगातार माॅचागोरा बाँध जो कच्चा बाँध है उसके कैचमेन्ट एरिया पर सवाल उठाते रहे, पर ‘नागाड़ खाने में तूती की आवाज’ का मुहावरा सही साबित हुआ, हमारी आवाज को दबा दिया गया। लाखों पेड़ों की बलि देकर कच्चा बाँध बना डाला, अभी माॅचागोरा बाँध का उद्घाटन करने का सपना माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी देख रहे थे, कि बाँध में दरारें आना शुरू हो गई, बाँध का पानी नदी में डालना शुरू हो गया। बाँध खाली कराने के काम में मध्यप्रदेश सरकार के कर्मचारी व्यस्त हैं। नहरों के अभाव मे किसानों के खेत में पानी नही पहुँच रहा है, देश की जनता के हाथ में कोरोना जैसी महामारी आई है, जिसने की अब गांव में भी पैर पसारना शुरू कर दिया है। अगर इसी तरह जंगल काटने का सिलसिला सरकारों ने जारी रखा तो पृथ्वी का विनाश तय है। हमें विनाश नही विकास चाहिए।
     बहुगुणा जी जाते-जाते हमें यह संदेश दे गये हैं कि आओं हम फिर से मनुष्य बन जायें और अपने जल, जंगल, जमीन को तबाह होने से बचा लें, आशा है देशवासी बहुगुणा जी के संदेश को समझेंगे ‘‘साथी तेरे सपनों को मंजिल तक पहुँचायेंगे’’ इन्ही शब्दों के साथ किसान संघर्ष समिति कि ओर से उन्हें सादर नमन ।
लेखक: एड. आराधना भार्गव छिन्दबाड़ा।

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