हमीदिया हादसे में लापरवाही का आरोप : पिता नवीन बोला- जो शव सौंपा, वो मेरी बेटी का नहीं, टैग पर भी किसी और का नाम लिखा है
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। हमीदिया अग्निकांड हादसे को बीते हुए 17 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब भी कुछ ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिससे पूरे सिस्टम पर सवाल उठना लाजमी है। रायसेन जिले के नवीन की मानें ताे हकीकत कुछ ऐसी है। मैं रायसेन जिले के गैरतगंज का रहने वाला हूं। मेरी पत्नी गायत्री ने जिला अस्पताल रायसेन में 16 अक्टूबर को नवजात को जन्म दिया था।नवजात के कम वजन चलते उसे जिला अस्पताल रायसेन से तत्काल हमीदिया रैफर कर दिया गया। यहां डॉक्टरों ने उसे कमला नेहरू हॉस्पिटल के एसएनसीयू में इलाज के लिए भर्ती किया। 8 नवंबर को आग हादसे के बाद अस्पताल ने सभी परिजनों को बाहर कर दिया गया।नवजातों को जैसे-तैसे अस्पताल प्रबंधन ने एक वार्ड में शिफ्ट किया था। हालांकि घटना वाली रात जिस वार्ड में मेरी नवजात बेटी को शिफ्ट किया था, तब मैंने भी उसे देखा था।उसकी स्थिति ठीक थी। लेकिन 20 नवंबर को रात 9 बजे अस्पताल की ओर से बताया गया कि बच्ची को बचा नहीं पाए। शव घर ले जाएं।इसके बाद शव कपड़े में लपेटकर हमें दे दिया। घर ले जाकर जब हमने बच्ची का शव देखा तो हम चौंक गए…वो हमारा बच्चा नहीं था। शव की पहचान नहीं होने और बच्ची बदलने की आशंका को लेकर गैरतगंज में स्टेट हाइवे सागर भोपाल रोड़ पर कांग्रेसियों आम लोगों ने चक्काजाम भी किया था। पुलिस ने शव का पीएम कराने जिला अस्पताल भेजा। जहां पर बच्ची के शरीर पर ‘पूजा पत्नी विक्रम’ के नाम का टैग लगा हुआ था।
डॉक्टरों ने पीएम करने से किया इनकार…
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों ने नवजात बच्ची के शव का पीएम करने से इंकार कर दिया। पुलिस की मदद से शव को जीएमसी की मर्चुरी में रखवा दिया। पुलिस ने हमारे और नवजात के डीएनए सैंपल का मिलान कराने की बात कही है। अभी तक सैंपल नहीं लिया गया है। पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि डीएनए जांच होने के बाद ही ये पता चल सकेगा कि सच्चा कौन है?
पिता नवीन के दो आरोप,…
बच्ची के शरीर पर जो टैग लगा था, उस पर पूजा पत्नी विक्रम लिखा हुआ था।जब अस्पताल में मैंने अपनी बेटी को देखा था, तब वह ठीक थी। लेकिन जाे शव सौंपा है, वह झुलसा हुआ है।
हमीदिया अस्पताल का तर्क- हमारे पास फुट प्रिंट मौजूद हैं, टैग तो हटा दिए जाते हैं फिर दूसरा टैग कैसे लगा मिला, पुलिस जांच करेगी
सेप्टीसीमिया से मौत- तब हमने परिजनों को पीएम कराने के लिए कहा, पर उन्हाेंने मना कर दिया था
नवीन और उसकी पत्नी गायत्री की बच्ची की मौत सेप्टीसिमिया से हुई है। परिजनों को पीएम कराने के लिए भी कहा गया था।लेकिन उन्होंने मना कर दिया। शव सौंपने के पहले बच्चों पर लगे नाम वाले टैग हटा दिए जाते हैं। इसी तरह इस बच्ची का भी टैग हटा दिया गया था। दूसरे नाम वाला टैग बच्ची पर कैसा लगा मिला है, इसकी जांच तो पुलिस करेगी। हमने उन्हें उनकी बच्ची का ही शव दिया था, नवीन भी उसे जानते हैं। कहीं कोई गलती नहीं हुई है। हमारे पास बच्ची की फुट प्रिंट भी हैं। -डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विभाग, हमीदिया हॉस्पिटल भोपाल