कोरोना के बीच खुशियां… 2106 परिवारों में गूंजी किलकारियां
अच्छी बात यह है कि एक भी मासूम नहीं हुआ कोरोना पॉजिटिव।
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन। कोरोना महामारी संक्रमण की दूसरी लहर शहर के कई परिवारों को असहनीय व कभी न भूलने वाला दर्द दे गई। वहीं दहशत के भयावह दौर में कई परिवारों में खुशियों से मई माह में 2106 बेटा बेटियों ने जन्म लिया है।बड़ी और अच्छी बात यह है कि कोरोना काल में जन्मा एक भी बच्चा कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर सबसे बुरे दौर में भी जिला अस्पताल की गायनिक विभाग डॉक्टर, नर्स और चतुर्थ वर्ग श्रेणी स्टाफ ने 24 घण्टे सेवाएं दी। इस दौरान स्टाफ संक्रमित भी हुआ। साथ ही स्वास्थ्य कर्मचारियों का स्टाफ छुट्टी पर भी रहा। लेकिन प्रसूताओं को किसी तरह से दिक्कत नहीं आने दी गई। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत पूरे एहतियात के साथ गायनिक विभाग की पूरी टीम 2016 डिलीवरी कराई।लेकिन आश्चर्य की बात तो यह रही कि एक भी नवजात शिशु कोरोना संक्रमित नहीं हुए।
कोरोना संक्रमित हुआ महिला स्टाफ….
कोरोनकाल में सेवाएं देते वक्त दो महिला डॉक्टर, दो नर्सिंग स्टाफ पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के संपर्क
में आने से खुद कोरोना पॉजिटिव हो गईं थीं। हालांकि इसमें राहत भरी खबर यह है कि अन्य संक्रमित स्टाफ स्वस्थ होकर वापस अपने काम पर लौट आया।
18 संक्रमित गर्भवती महिलाओं की कराई डिलेवरी…..
कोरोना काल में संक्रमित या संदिग्ध गर्भवती महिलाओं को कोरोना प्रोटोकाल के अंतर्गत अलग से ओटी और डिलेवरी लेबर रूम बनाया गया है। माह जनवरी 2021 से लेकर अभी तक 16 कोरोना पॉजिटिव और 42 कोरोना संदिग्ध गर्भवती महिलाओं की डिलेवरी कराई गई। 16 पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के जन्मे नवजात बच्चे भी कोरोना वायरस से सुरक्षित रहे। प्रसव के दौरान ग्रामीण क्षेत्र की एक गर्भवती महिला की मौत हो गई थी। मृतका की एक बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
डॉ प्रीतिबाला सोनकर गायनिक चिकित्सक का कहना है कि कोरोना काल में भी गायनिक विभाग की टीम ने बेहतर काम किए हैं। संदिग्ध और पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं की प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए डिलेवरी कराई गई है। इस दौरान एक भी नवजात कोरोना संक्रमित नहीं हुआ है।