पुलिस के रोजनामचे में अब जल्द ही उर्दू, अरबी और फारसी के लगभग 350 शब्द अभी भी चल रहे, हटाए जाएंगे यह कठिन शब्द
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। पुलिस के रोजनामचे में मुखबिर, इत्तिला, हिकमतअमली, दस्तयाब जैसे उर्दू, अरबी और फारसी के लगभग 350 शब्द अभी भी चल रहे।यह कठिन शब्द पुलिस रिकार्ड से जल्द हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। यह आदेश गृह मंत्रालय विभाग राज्य शासन के आ चुके हैं।
जरिए मुखबिर इत्तिला मिली कि रेलवे पटरी, सड़क किनारे पास एक संदिग्ध युवक घूम रहा है…मौके पर पहुंचकर हिकमतअमली से पूछताछ की गई। दौराने तफ्तीश मसरूफ वह दर्ज गुम इंसान निकला…दस्तयाब की कार्रवाई कर खात्मा लगाया गया… यह पुलिस के रोजनामचे में दर्ज भाषा का एक उदाहरण मात्र है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टर-कमिश्नर कान्फ्रेंस में जिस ‘दस्तयाब’ शब्द को मुगलकालीन बताते हुए सरल शब्दों का उपयोग करने की सलाह दी है, ऐसे ही उर्दू, अरबी और फारसी के लगभग 350 शब्द पुलिस की रोजमर्रा की कार्रवाई में अभी भी चल रहे हैं। एसपी रायसेन विकाश कुमार शाहवाल ने बताया कि दिल्ली, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में ऐसे कई शब्दों को बदला जा चुका है ।लेकिन मध्यप्रदेश में यह पहला मौका है, जब मुख्यमंत्री ने इन शब्दों को बदलने के निर्देश दिए हैं। भारत की दंड संहिता को ताजिरात-ए-हिंद के नाम से ही जाना जाता है। इसमें तमाम अपराध और उनके दंड के प्रावधानों का जिक्र है।
दरअसल मुगलकालीन भाषा और शब्दावली का सबसे ज्यादा उपयोग इस समय पुलिस में ही हो रहा है। शुरुआत रोजनामचे से होती है। रोजनामचा एक रजिस्टर होता है, जिसमें पुलिसकर्मियों की दैनिक गतिविधियों के साथ ही अपराधों का जिक्र भी रहता है।
कुछ प्रमुख शब्द और उनके अर्थ… सबसे ज्यादा प्रचलन में देहाती नालसी, साना, परवाना, देहाती नालसी- किसी थाना क्षेत्र में जब कोई अपराध होता है तब उस घटनास्थल पर पहुंच कर अनुसंधान अधिकारी उस अपराध के संबंध में तथ्यों को जिस प्रथम पत्र में दर्ज करते हैं, उसे देहाती नालसी कहतें है।
खात्मा- दंड प्रक्रिया सहिंता 1973 की धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है। अंत में धारा 173 के अंतर्गत चालान/अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है। चालान जब पेश किया जाता है जब पुलिस को प्रकरण में अपराध के होने के संबंध में साक्ष्य उपलब्ध होते है पर यदि साक्ष्य नहीं होते है तब पुलिस दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 169 के अंतर्गत खात्मा पेश करती है।
खारिजी- जब चालान की फाइनल रिपोर्ट में साबित होता है कि रिपोर्ट झूठी है, तो खारिजी लगाई जाती है।
हवाले साना- जब भी पुलिस कार्रवाई के लिए जाती है, तो उसकी रवानगी डालने को हवाले साना लिखते हैं।
माल वाजयाफ्ता- माल जप्त होने को माल वाजयाफ्ता कहा जाता है।
मुचलका- बंधपत्र केवल घोषणा भी हो सकता है या प्रतिभूति सहित भी हो सकता है।
जमानत- प्रतिभूति, इसे अंग्रेजी में बेल कहा जाता है। परवाना- नोटिस पत्र।
हवालाती- विचाराधीन कारावास में या अभिरक्षा में रखा जाना।
तहरीर- तहरीर का मतलब पत्र होता है। पुलिस की किसी भी लिखित कार्रवाई को तहरीर कहा जाता है।
मुल्जिम- वह व्यक्ति, जिस पर कोई आरोप लगा हो और उस पर अभियोजन किया गया हो।
मुज़रिम- जब आरोपी को दोषसिद्ध घोषित कर दिया जाता है, तब वह मुल्ज़िम से मुज़रिम हो जाता है।
इस्तगासा- परिवाद पत्र को इस्तगासा कहा जाता है।
तफ्तीश- किसी भी सूचना की जांच-पड़ताल को तफ्तीश कहा जाता है।
दस्तयाब- गुम हुई वस्तु का मिल जाना दस्तयाब होना कहा जाता है।
पतारसी- अपराध की तह तक जाने से लेकर चालान पेश करने के पूर्व की प्रक्रिया को पतारसी कहा जाता है।
माल मसरुगा- लूटा गया माल
माल मसरुटा- डकैती में लूटा माल।