मध्य प्रदेश

मजगवां के आदिवासी टोले में कीचड़ की दलदल से गुजर कर स्कूल जाते मासूम

छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़
अब सोशल मीडिया पर कलेक्टर और मुख्यमंत्री से लगा रहे गुहार
सोशल मीडिया पर वीडियो हो रहा है तेजी से वायरल सोमवार 13 जुलाई का वीडियो बताया जा रहा है

सिलवानी । जनपद पंचायत मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत बटेर के अंतर्गत आने वाले आदिवासी बहुल ग्राम मजगवां का टोला बड़ाखेत आज भी मूलभूत सुविधा पक्की सड़क से वंचित है। यहां के दर्जनों छात्र-छात्राएं और आंगनबाड़ी के मासूम बच्चे दलदली कीचड़ भरे रास्ते से गिरते-पड़ते ग्राम खेरी स्थित स्कूल तक पहुंचने को मजबूर हैं।
करीब 3 किलोमीटर लंबा यह रास्ता बरसात में पूरी तरह दलदल में तब्दील हो जाता है। बच्चे कीचड़ में फिसलते हैं, किताबें खराब हो जाती हैं कपड़े गंदे हो जाते हैं। कभी-कभी वे स्कूल पहुंच ही नहीं पाते।
इन हालातों से तंग आकर अब इन बच्चों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया है। तीन किलोमीटर की पक्की सड़क बनवाने को लेकर वीडियो बनाकर वायरल किया गया है जिसमें छात्राएं और छोटे-छोटे नोनिहाल कीचड़ भरे रास्ते में फिसलते नजर आ रहे हैं। इन बच्चों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, कलेक्टर रायसेन अरुण कुमार विश्वकर्मा और जनपद अधिकारियों से सीधी पक्की सड़क बनाने की मांग की है।  बच्चों ने बताया कि हमारे माता-पिता और गांव के ग्रामीणों ने अनेकों बार ग्राम पंचायत से लेकर जनपद और जिला प्रशासन तक आवेदन दिए गए लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई। सड़क न बनने से बच्चों की शिक्षा पर सीधा असर पड़ रहा है। गरीब आदिवासी टोला बड़ा खेत की यह तस्वीर प्रशासनिक लापरवाही का आईना बनकर सामने आ रही है। छात्र छात्राओं ने कहा हमें पढ़ना है लेकिन कीचड़ रास्ता नहीं जाने देता। किताबें भीग जाती हैं कपड़े गंदे हो जाते हैं। हमें सड़क चाहिए ताकि हम पढ़-लिख सकें वायरल वीडियो में एक छात्रा की अपील।
*आखिर कब मिलेगी पक्की सड़क*
आदिवासियों के नाम पर हर साल योजनाएं बनती हैं बजट आवंटित होता है, लेकिन जमीनी हकीकत आज भी बदहाल है। बड़ा खेत जैसे गांवों में शिक्षा स्वास्थ्य और सड़क जैसी बुनियादी जरूरतें भी अब तक अधूरी हैं। अब देखना यह है कि सोशल मीडिया पर बच्चों की गुहार के बाद प्रशासन जागता है या नहीं ?

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