
Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
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🔥 होलिका दहन के दिन क्या करें, जानें होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्र और कथा
⭕ HIGHLIGHTS
▪️ होलिका दहन को लेकर शहर से गांव से तक बनी है भ्रम की स्थिति
▪️ आज होगा होलिका दहन, शहर के चौराहे, गली मोहल्ले में लकड़ियों से सजी होली
▪️ 8 बजकर 14 मिनट से रात 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा भ्रदा मुख का साया
▪️ लेकिन अब पंडितों ने स्पष्ट रूप से सबकुछ बता दिया है_
होली के रंगोत्सव से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई जीत का प्रतीक है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन होलिका की आग में अपनी बुराइयों को जलाकर नए कल की शुरुआत की जाती है। हालांकि, होलिका दहन के लिए सही मुहूर्त का देखा जाना भी बेहद आवश्यक होता है। होलिका दहन के समय भद्राकाल का होना अशुभ होता है, साल 2025 में भी होलिका दहन के दिन भद्राकाल रहेगा। ऐसे में आइए जान लेते हैं आचार्य श्री गोपी राम से कि आपको होलिका दहन किस समय करना चाहिए, और साथ ही इस दिन क्या काम करने से आपको लाभ होगा और किन कार्यों को करने से आपको बचना चाहिए।
💁🏻 कब है होलिका दहन
पंचांग के मुताबिक, इस साल फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च गुरुवार सुबह 10.35 बजे होगी और समापन 14 मार्च शुक्रवार दोपहर 12.23 बजे होगा। होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा।
⚛️ क्या है शुभ मूहूर्त?
इस दिन शाम को 06.57 बजे भद्रा लग रही है, जो रात 08.14 तक रहेगा, फिर भद्रा मुख 10.22 बजे शुरू होगा, जो रात 11.26 बजे खत्म होगा। ऐसे में भद्रा समय के बाद होलिका दहन किया जाता है, तो रात 11.26 बजे से लेकर 12.30 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है यानी होलिका दहन के लिए 1 घंटा 4 मिनट मिलेगा।
📖 होलिका दहन के मंत्र
होलिका दहन के दौरान मंत्र जाप किया जाता है। हालांकि यह अलग-अलग स्थानों और पूजा पद्धतियों में अलग हो सकता है, लेकिन होलिका पूजन के दौरान इस मंत्र का जप सकते हैंः
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:,
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम।
🍱 होलिका दहन की पूजन विधि
◼️ होलिका दहन के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धो लें। व्रत का संकल्प लेने के बाद होलिका दहन की तैयारी करें। जिस जगह पर होलिका दहन करना हो, उस जगह को साफ कर लें।
◼️ यहां होलिका दहन की सारी सामग्री इकट्ठा कर लें।
◼️ इसके बाद होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाकर भगवान नरसिंह की पूजा करें। शुभ मुहूर्त के दौरान होलिका की पूजा करें और उसमें अग्नि दें।
◼️ इसके बाद परिवार के साथ होलिका की तीन बार परिक्रमा कर लें। फिर नरसिंह भगवान से प्रार्थना करते हुए होलिका की आग में गेहूं, चने की बालियां, जौ, गोबर के उपले आदि डालें। इसके बाद होलिका की आग में गुलाल और जल चढ़ाएं।
◼️ होलिका की आग शांत होने के बाद उसकी राख को घर ले जाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
◼️ अगर आपके घर में वास्तु दोष है तो होलिका की राख को दक्षिण पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) में रखें। इससे घर का वास्तु दोष दूर होता है। होलिका दहन की ज्वाला देखने के बाद ही भोजन करें।
🤷🏻♀️ होलिका दहन के दिन क्या न करें
▪️ होलिका दहन के दिन भद्राकाल है। इसलिए इस दिन गलती से भी शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसा कोई भी शुभ कार्य न करें।
▪️ इस दिन कारोबारियों को कोई भी डील फाइनल करने से बचना चाहिए।
▪️ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल में यात्रा करने की भी मनाही होती है।
▪️ धन से जुड़ा लेन-देन भी इस दौरान करने से बचें, नहीं तो लाभ की जगह नुकसान हो सकता है।
▪️ इस दिन वाहन, भूमि, भवन आदि भी नहीं खरीदना चाहिए।
💁🏻 होलिका दहन के दिन क्या करें
▪️ भद्रा काल के दौरान आप कुल देवी या देवता की पूजा कर सकते हैं।
▪️ इस दौरान मंत्रों का जप करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
▪️ भगवान विष्णु की पूजा करना और उनके मंत्रों का जप करने से आपको शुभ फल प्राप्त होते हैं।
▪️ इस दौरान आपको बहन, मौसी को उपहार दे सकते हैं।
▪️ भद्राकाल में शनि देव के मंत्रों का जप करने से कई कष्टों का निवारण होता है।
🗣️ होलिका दहन पौराणिक कथा_
हिंदू पुराणों के अनुसार, हिरण्यकशिपु नाम का एक राजा, कई असुरों की तरह, अमर होने की कामना करता था. इस इच्छा को पूरा करने के लिए, उन्होंने ब्रह्मा जी से वरदान पाने के लिए कठोर तपस्या की. प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिरण्यकशिपु को वरदान स्वरूप उसकी पांच इच्छाओं को पूरा किया: कि वह ब्रह्मा द्वारा बनाए गए किसी भी प्राणी के हाथों नहीं मरेगा, कि वह दिन या रात, किसी भी हथियार से, पृथ्वी पर या आकाश में, अंदर या बाहर नष्ट नहीं होगा, पुरुषों या जानवरों, देवों या असुरों द्वारा नहीं मरेगा, वह अप्रतिम हो, कि उसके पास कभी न खत्म होने वाली शक्ति हो, और वह सारी सृष्टि का एकमात्र शासक हो.
वरदान प्राप्ति के बाद हिरण्यकशिपु ने अजेय महसूस किया. जिस किसी ने भी उसके वर्चस्व पर आपत्ति जताई, उसने उन सभी को दंडित किया और मार डाला. हिरण्यकशिपु का एक पुत्र था प्रह्लाद. प्रह्लाद ने अपने पिता को एक देवता के रूप में पूजने से इनकार कर दिया. उसने विष्णु में विश्वास करना और उनकी पूजा करना जारी रखा.
प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति आस्था ने हिरण्यकशिपु को क्रोधित कर दिया, और उसने प्रह्लाद को मारने के लिए कई प्रयास किए, जिनमें से सभी असफल रहे. इन्हीं प्रयासों में, एक बार, राजा हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को मारने के लिए अपने भाई का साथ दिया. विष्णु पुराण के अनुसार, होलिका को ब्रह्माजी से वरदान में ऐसा वस्त्र मिला था जो कभी आग से जल नहीं सकता था. बस होलिका उसी वस्त्र को ओढ़कर प्रह्लाद को जलाने के लिए आग में आकर बैठ गई. जैसे ही प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के नाम का जाप किया, होलिका का अग्निरोधक वस्त्र प्रह्लाद के ऊपर आ गया और वह बच गया, जबकि होलिका भस्म हो गई थी.