lToday Panchang आज का पंचांग मंगलवार, 15 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
मंगलवार 15 जुलाई 2025
15 जुलाई 2025 दिन मंगलवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष कि पंचमी तिथि है। आज की पंचमी को बंगाल में नागपंचमी मनाया जाता है। आज बिहार के मिथिला में मध्रुश्रावणी व्रत का प्रारम्भ भी होता है। आज राजस्थान के उदयपुर में हर देवी पूजा का उत्सव होता है। आज भौम व्रत – दूर्गायात्रा – गोरी पुजा एवं हनुमान जी के दर्शन का दिन भी है। आज काशी में यात्रा उत्सव भी मनाया जाता है। आप सभी सेनानियों को “बंगाल नागपंचमी व्रत एवं मिथिला मधुश्रावणी व्रत के पावन पर्व” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
🌌 दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
👸🏻 शिवराज शक 352
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
☀️ मास – श्रावण मास
🌔 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – मंगलवार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 10:39 PM तक उपरांत षष्ठी
📝 तिथी स्वामी – पंचमी के देवता हैं नागराज। इस तिथि में नागदेवता की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्ति होती है। यह लक्ष्मीप्रदा तिथि हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र शतभिषा 06:26 AM तक उपरांत पूर्वभाद्रपदा 05:46 AM तक उपरांत उत्तरभाद्रपदा
🪐 नक्षत्र स्वामी – शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुणदेव और स्वामी ग्रह राहु है.यह नक्षत्र कुंभ राशि के अंतर्गत आता है।
⚜️ योग – सौभाग्य योग 02:12 PM तक, उसके बाद शोभन योग
⚡ प्रथम करण : कौलव – 11:21 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : तैतिल – 10:38 पी एम तक गर
🔥 गुलिक काल : मंगलवार का गुलिक दोपहर 12:06 से 01:26 बजे तक।
🤖 राहुकाल (अशुभ) – दोपहर 15:19 बजे से 16:41 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो कोई गुड़ खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:16:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:44:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:12 ए एम से 04:52 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:32 ए एम से 05:33 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:59 ए एम से 12:55 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:19 पी एम से 07:40 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 07:21 पी एम से 08:22 पी एम
💧 अमृत काल : 09:59 पी एम से 11:33 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 16 से 12:48 ए एम, जुलाई 16
🚓 यात्रा शकुन-दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-हनुमान मंदिर में मसूर की दाल अर्पित करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – सर्वार्थसिद्धि योग/ नागपंचमी (बंगाल)/ पंचक जारी/ हवाईजहाज कंपनी बोइंग स्थापना दिवस, शिक्षा दिवस, विश्व युवा कौशल दिवस, सेंट बोनवेंचर पर्व दिवस, राष्ट्रीय कुछ दान दिवस, स्वतंत्रता सेनानी के कामराज जन्म दिवस, श्री सनातन गोस्वामी का तिरोभाव दिवस, राष्ट्रीय प्लास्टिक सर्जरी दिवस, राष्ट्रीय गुम्मी कृमि दिवस, राष्ट्रीय नारंगी चिकन दिवस, राष्ट्रीय पालतू अग्नि सुरक्षा दिवस, सोशल मीडिया गिविंग डे, भारतीय उद्योगपति जमशेद जी जीजाभाई जन्म दिवस, प्रसिद्ध गायक बाल गंधर्व स्मृति दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। पञ्चमी तिथि को खट्टी वस्तुओं का दान और भक्षण दोनों ही त्याज्य है। पञ्चमी तिथि धनप्रद अर्थात धन देनेवाली तिथि मानी जाती है। यह पञ्चमी तिथि अत्यंत शुभ तिथि भी मानी जाती है। इस पञ्चमी तिथि के स्वामी नागराज वासुकी हैं। यह पञ्चमी तिथि पूर्णा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह पञ्चमी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ और कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायीनी मानी जाती है।
🗼 Vastu tips_ 🗽
अचानक धन प्राप्ति का उपाय – गुलाब के फूल में कपूर का टुकड़ा रखें। शाम के समय फूल में एक कपूर जला दें और फूल को देवी दुर्गा को चढ़ा दें। इससे आपको अचानक धन मिल सकता है।
यह कार्य आप कभी भी शुरू करके कम से कम 43 दिन तक करेंगे तो लाभ मिलेगा। यह कार्य नवरात्रि के दौरान करेंगे तो और भी ज्यादा असरकारक होगा।
वास्तु दोष मिटाने के लिए – यदि घर के किसी स्थान पर वास्तु दोष निर्मित हो रहा है तो वहां एक कपूर की 2 टिकियां रख दें। जब वह टिकियां गलकर समाप्त हो जाए तब दूसरी दो टिकिया रख दें। इस तरह बदलते रहेंगे तो वास्तुदोष निर्मित नहीं होगा।
भाग्य चमकाने के लिए – पानी में कपूर के तेल की कुछ बूंदों को डालकर नहाएं। यह आपको तरोताजा तो रखेगा ही आपके भाग्य को भी चमकाएगा। यदि इस में कुछ बूंदें चमेली के तेल की भी डाल लेंगे तो इससे राहु, केतु और शनि का दोष नहीं रहेगा, लेकिन ऐसे सिर्फ शनिवार को ही करें।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
खाली पेट नहाने से बुढ़ापा देर से आता है.
ठंडा पानी पी कर सोने से हार्ड अटैक का खतरा 80% तक बढ़ जाता है.
जिन लोगों को उल्टा लेट कर सोने की आदत है उनको हार्ड अटेक जल्दी आता है.
असली शहद फ्रिज के अंदर रखने से जमता नहीं है और असली शहद पर कभी भी मक्खी नहीं बैठती है।
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को ठंडा पानी का सेवन बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से दर्द बढ़ जाता है.
अगर दिमाग की कमजोरी को दूर करना चाहते हैं तो कच्चा नारियल खाया करो.
भैंस का कच्चा दूध पी लिया करो कभी भी कमर दर्द की समस्या नहीं होता
🍵 आरोग्य संजीवनी 🍶
आयुर्वेदिक मत के अनुसार मौलश्री की छाल कुछ कड़वी, मीठी, शीतल, हृदय को बल देने वाली, अग्निवर्धक, कृमिघ्न और संकोचक होती है। मसूड़े और दांत की व्याधियों में यह बहुत उपयोगी होती है। पित्त विकार को यह दूर करती है। इसके फूल मीठे, स्निग्ध, कसैले, विशद, शीतल, आंतों का संकोचन करने वाले, रूचिवर्धक, दांतों को मजबूत करने वाले और रक्त विकार को दूर करने वाले होते हैं। इनको सूँघने से मस्तकशूल नष्ट हो जाता है। इसके फल मीठे, चरपरे, स्निग्ध, आंतों का संकुचन करने वाले और वात को पैदा करने वाले होते हैं। इसके बीज हिलते हुए दांतों को मजबूत करते हैं। इसकी छाल कसैली और पौष्टिक; फूल रोचक और फल स्निग्धताकारक और संग्राहक होते हैं।
यूनानी मत के अनुसार मौलश्री की जड़ कुछ मीठी और खट्टी, कामोद्दीपक, मूत्रल, आंतों का संकोचन करने वाली और सुजाक में लाभदायक होती है। इसके काढ़े से कुल्ला करने से मसूड़े के रोग दूर हो जाते हैं। इसके फूल कफनिस्सारक और पित्तविकार, यकृत की शिकायतें, नाक की बीमारियां और मस्तकशूल में लाभदायक होते हैं। इसका धूम्रपान करने से दमा में लाभ होता है।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
एक दिन भगवान शिव और देवी पार्वती अपने वास में एक सुखद दिन बिता रहे थे। देवी पार्वती ने अपने हाथों से भगवान शिव की आँखों को चंचलतापूर्वक ढँक लिया। अचानक, पृथ्वी पर अंधेरा छा गया, और उसके हाथों में पसीना आने लगा। पसीना जमीन पर गिरा, और एक बच्चा पैदा हुआ, अंधा। जब देवी पार्वती ने भगवान शिव की आँखों से अपने हाथों को हटाया, तो पृथ्वी पर प्रकाश बहाल हो गया।
दंपति ने बच्चे को हिरण्याक्ष नामक एक दैत्य राजा को देने का फैसला किया, जो निःसंतान था और एक बेटे के लिए प्रार्थना कर रहा था। हिरण्याक्ष ने बालक को अपने पुत्र के रूप में अपनाया और उसका नाम रखा, अंधका। जब वह बड़ा हुआ, तो उसे राजा का ताज पहनाया गया।
अंधकसुर, जैसा कि वह जाना जाता है, भगवान ब्रह्मा के लिए गंभीर तपस्या की।
उनकी भक्ति से प्रभावित होकर, भगवान ब्रह्मा ने उनसे पूछा, “आप क्या चाहते हैं?” अंधकसुर ने उससे जीवन भर अमरता और अमरता प्राप्त करने के लिए कहा। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पहला वरदान दिया, और कहा, “मैं तुम्हें अमरता प्रदान नहीं कर पाऊंगा क्योंकि मृत्यु जीवन का अनिवार्य हिस्सा है।” इसके बजाय उसने उसे आशीर्वाद दिया कि जब वह अप्राप्य की तलाश करेगा तब वह मर जाएगा।
भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद से सशस्त्र और संरक्षित अंधकसुरा ने देवताओं के खिलाफ एक भयानक युद्ध किया। देवता अपनी शक्तियों के सामने शक्तिहीन थे और उन्होंने भगवान शिव से मदद मांगी। भगवान शिव ने उनकी दलीलों को सुनने के बाद, हस्तक्षेप करने और अंधकसुर को हराने का फैसला किया।
जब अंधकसुर ने सुना कि भगवान शिव ने युद्ध में लड़ने का फैसला किया है, तो वह क्रोधित हो गया। उसने अपने सभी विश्वसनीय और पराक्रमी योद्धाओं को इकट्ठा किया और उन्हें युद्ध में भेजा। कहने की आवश्यकता नहीं है कि, भगवान शिव ने सभी राक्षसों को मार डाला और अंधकासुर से लड़ने के लिए आगे बढ़े।
अंधकसुर और भगवान शिव लड़ने लगे, लेकिन अंधकसुर को जल्द ही पता चला कि उसका भगवान शिव से कोई मेल नहीं है। वह भाग गया और देवी पार्वती के कक्षों में छिप गया, उसका अपहरण करने और भगवान शिव को सबक सिखाने के इरादे से। इससे भगवान शिव इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने उस पर अपना त्रिशूल मारा। जैसे ही अंधकसुरा के शरीर से रक्त बहने लगा और जमीन पर गिर पड़ा, हजार और राक्षसों ने जन्म लिया।
भगवान विष्णु दूर से ही युद्ध देख रहे थे। जब उन्होंने स्थिति को हाथ से निकलते देखा, तो उन्होंने हस्तक्षेप किया और अपने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल करके अंधकसुरा के रक्त से उत्पन्न राक्षसों को मार डाला। अंत में, भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से अंधकसुर को मारा, और उसे हजार वर्षों तक रोककर रखा। भगवान शिव ने अपना रक्त एकत्र किया, ताकि अधिक राक्षसों के जन्म से बचने के लिए अंधकसुर का रूप धारण किया।
हजार वर्षों से अधिक समय तक भगवान शिव के त्रिशूल पर निलंबित रहने के बाद, अंधकसुर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भगवान शिव से क्षमा मांगी। अंत में, पृथ्वी और स्वर्ग पर फिर से शांति हुई।
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⚜️ पञ्चमी तिथि में शिव जी का पूजन सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। आज पञ्चमी तिथि में नाग देवता का पूजन करके उन्हें बहती नदी में प्रवाहित करने से भय और कष्ट आदि की सहज ही निवृत्ति हो जाती है। ऐसा करने से यहाँ तक की कालसर्प दोष तक की शान्ति हो जाती है। अगर भूतकाल में किसी की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो तो उसके नाम से सर्प पूजन से उसकी भी मुक्ति तक हो जाती है।।


