1000 वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन श्री राममंदिर जमुनियापुरा मे रामलला के भव्य शिखर निर्माण को लेकर हुई मंदिर में बैठक
महाराष्ट्र के मिस्त्रीओ द्वारा किया जा रहा है भव्य शिखर का निर्माण
भक्ति भाव के साथ प्रभु का स्मरण करने वाला कभी संकट में नही आता महंत नागा रामदास जी महाराज
सिलवानी । श्री राम मंदिर जमुनियापुरा में स्थित करीब 1000 साल से भी ज्यादा प्राचीन श्री रामलला के भव्य मंदिर की शिखर के निर्माण को लेकर रविवार को मंदिर के प्रांगण में बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक में सनातन समाज द्वारा सर्वसम्मति से मंदिर के भव्य कलश और शिखर निर्माण को लेकर बैठक की गई। वार्ड एक के जमुनियापुरा में स्थित मर्यादा पुरुषोततम भगवान श्रीराम के मंदिर के शिखर निर्माण और मंदिर के कलश की स्थापना समस्त सनातन समाज द्वारा जन सहयोग कि राशि से किया जा रहा है। मंदिर के शिखर निर्माण के लिए नगर एवं ग्रामीण भी समर्थ अनुसार दानराशि दे रहे है । जिससे श्रीराम मंदिर शिखर के निर्माण में प्रत्येक परिवार का सहयोग होना चाहिए। श्रीराम भगवान के मंदिर मे भक्ति भाव के साथ प्रभु का स्मरण करने वाला मनुष्य कभी संकट में नही आता है। श्रावक का धर्म है कि वह प्रत्येक दिन भगवान के मंदिर मेें पहुचं कर भगवान श्रीराम की प्रतिमा के सामने आदर की मुद्रा में बैठ कर भक्तिभाव के साथ भगवान का स्मरण भक्ति भाव के साथ करते हुए पूजा अर्चना करे। एैसा करने पर मनुष्य के जीवन में संकट नही आता है बल्कि श्रावक सात्विकता के साथ जीवन निर्वाहण करता है। साथ ही पुण्य का संचय भी करता है।
उक्त उदगार वार्ड नंबर 1 में स्थित श्री राममंदिर जमुनियापुरा के महंत नागा रामदास जी द्वारा अपने विचार सनातन समाज की बैठक में व्यक्त किए । वह सिलवानी नगर के प्राचीन श्री राम मंदिर मे व्याख्यान के समय उपस्थित समाज जनो को प्रभु की आराधना का महत्व बता रहे थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज जन शामिल हुए। महंत नागा रामदास जी ने बताया कि देव, गुरु व भगवान के शास्त्रो की विनय पूर्वक आराधना करना प्रत्येक श्रावक का मूल उद्देश्य होना चाहिए । मंदिरो मे पहुंचकर भगवान की प्रतिमा के दर्शन के साथ प्रतिदिन देव, गुरु, रामायण, भागवत, गीता,भक्तमाल, विनय पत्रिका, पुराण शास़्त्र को रोज पढ़ना चाहिए। एैसा उद्देश्य प्रत्येक श्रावक का होना चाहिए । प्रतिदिन देव गुरु शास्त्र की पूजा करने वाला श्रावक भव सागर से पार होने के रास्ते पर कदम बढ़ाता है।
नगर के खेरापति संजय शास्त्री द्वारा अनेक द्रष्टांत के माध्यम से समाज जनो को बताया कि धन का संचय मनुष्य को आवष्यकता के अनुसार ही करना चाहिए। अधिक संचय करने से लालसा बढ़ती है। बढ़ी हुई लालसा व्यक्ति को चिंता में डाल देती है। जिससे वह हमेशा परेशान रहता है और उसे मानसिक टेंशन से गंभीर बीमारी का कारण भी बन जाता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोग एकत्रित हुए।