2 साल तक के बच्चों में आरएसवी संक्रमण, सांस लेने में तकलीफ मौसम में बदलाव के असर से बीमारियों के शिकार हो रहे बच्चे, उनकी सेहत पर पड़ रहा सीधा असर
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। अचानक आए मौसम के बदलाव का असर बच्चों पर भारी पड़ रहा है। खासतौर से छोटे बच्चों में सांस लेने में तकलीफ देखी जा रही है।शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ आलोक राय के मुताबिक इसकी मुख्य वजह सर्दी के मौसम के वक्त हवा में एक्टिव आरएसवी वायरस है। ऐसे में सांस की समस्या खड़ी न हो इसमें सावधानी बरतनी भी जरूरी है।
इन बातों का रखे ख्याल…..
1 तेजी से बदलते मौसम में बच्चों को सर्दी से बचाने के जतन किए जाएं।बच्चों को फुल अस्तीन के गर्म कपड़े हमेशा पहनाकर उनका पूरा ख्याल रखें। 2. नाश्ता, खाना बच्चों को हमेशा ताजा खिलाएं। दूषित पानी पीने से बच्चों को बचाएं। बच्चों को पानी खूब पिलाएं। बच्चों को भीड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।
एक्यूट बरोंकोलाइटिस की समस्या……
जिला अस्पताल के एसएनसीयू प्रभारी व शिशुरोग चिकित्सक डॉ आलोक कुमार राय ने जानकारी देते हुए बताया कि डेंगू के मामलों में कमी आने के बाद छोटों बच्चों में एक्यू बरोंक्यूलाइटिस की समस्या देखी जा रही है। सांस लेने में तकलीफ इसका मुख्य अहम लक्षण है। इसके अलावा सर्दी खासी, छाती से आवाजें आना भी शुरुआती लक्षण हैं। इसमें सबसे ज्यादा इस तरह के लक्षण 2 माह से 2 वर्ष के बच्चों में देखने को मिल रहे हैं।
विशेषज्ञ की सलाह पर मरीज खाएं मरीज…..
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ एके शर्मा, मेडिकल ऑफिसर डॉ यशपाल सिंह बाल्यान ने बताया कि वायरल फीवर के लक्षण सामने आने के बाद डॉक्टरों को चेकअप कराने के बाद ही मरीजों को दवाएं खाने देना चाहिए। लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि शुरुआत में पेरेंट्स सीधे केमिस्ट को दिखाकर बच्चों को दवा खिला देते हैं। जो कि बच्चों के स्वास्थ्य के हिसाब से ठीक नहीं होता।
क्या है आरएसवी….
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरएसवी यानि रेस्पिरेट्री सिनसियल वायरसहै। शिशु और बच्चों और शिशुओं में छाती में इंफेक्शन पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं। बड़े बच्चों और व्यस्कों में इसका असर सर्दी खांसी के रूप में सामने आए हैं।जबकि नवजात शिशुओं और किशोरों में श्वसन मार्ग की समस्या ज्यादा आ रही है।
जिसके चलते निमोनिया, सर्दी खांसी और बच्चों की सांस नली में सूजन आने से स्वांस में समस्या देखने को मिल रही है। शासकीय जिला अस्पताल सहित आसपास के निजी क्लीनिकों प्रायवेट अस्पतालों और तहसील कस्बों और गांवों में इन दिनों देखने को मिल रहे हैं। कुछ गंभीर मामलों में जिला अस्पताल में भर्ती कर बच्चों का इलाज किया जा रहा।
इन दिनों जिला अस्पताल के एसएनसीयू और बच्चा वार्ड हाउस फुल हैं। इसमें बच्चों में वायरल केसेस ज्यादा है।इसके अलावा लूज मोशन और निमोनिया के हल्के लक्षण वाले मरीज ज्यादा है। कई मामलों में अभिभावकों को उनके बच्चों को फीवर आने की वजह पता नहीं होती।इनमें सबसे ज्यादा डेढ़ से दो और 8 साल तक के बच्चे शामिल हैं। जो इन मौसमी बीमारियों से प्रभावित हैं।जानकारों के मुताबिक आगामी समय में बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी वायरल बुखार से प्रभावित हैं। आने वाले दिनों में जैसे जैसे ठंड का प्रकोप बढ़ेगा बच्चों के अलावा बड़े बुजुर्गों में सांस लेने की समस्या जोर पकड़ेगी।