मध्य प्रदेश

18 सालों से एक ही जगह जमीं हैं जिला पुस्तकालय प्रभारी, मनमर्जी से खुलते हैं लाइब्रेरी के ताले

पाठकों को नहीं मिल पा रहा फायदा, खाते में बेरोजगारों ने जमा कराई राशि कॉम्पटीशन परीक्षा की तैयारी कैसे करें
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन।
जिला पुस्तकालय रायसेन में इन दिनों भर्राशाही का आलम है।मनमानी लापरवाही का आलम यह है कि जिला पुस्तकालय प्रभारी मैडम अपनी मनमर्जी से ही जिला पुस्तकालय भवन के ताले खोलने पहुंचती हैं। इस तरह उनकी उदासीनता अर्कमण्यता और हठधर्मिता का खामियाजा स्थायी सदस्य पाठकों सहित शिक्षित बेरोजगार युवाओं को भुगतना पड़ता है। वह कंपटीशन परीक्षाओं की ज्ञानवर्धक पुस्तकें मैगजीन आदि पढ़ने को नहीं मिल पाती हैं।
सालों से जमी पुस्तकालय प्रभारी….
जिला पुस्तकालय रायसेन इन दिनों वन विभाग के रायसेन तेंदूपत्ता लघु वनोपज के भवन में संचालित है। महीने में एक दो रोज जिला पुस्तकालय भवन के ताले खोले जाते हैं। इस तरह सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर जिला अस्पताल में कागजी घोड़े अफसरों के सामने दिखाकर महज औपचारिकता अदा की जा रही है।पाठक अभिषेक राठौर, कार्तिक वर्मा गोलू सुमित यादव, चेतन कुमार, नेहा वर्मा, सोनिका यादव का कहना है कि या जिला पुस्तकालय को बंद कर दिया जाए। या फिर व्यवस्थित तरीके से उसे नियमित खोलने की मांग प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, कलेक्टर अरविंद दुबे, जिला प्रभारी डीइओ एमएल राठौरिया से की है।बताया जाता है कि जिला पुस्तकालय प्रभारी मैडम की रुचि लाइब्रेरी खोलने में कम बल्कि जिला शिक्षा विभाग में बैठने में ज्यादा है। यहां के जिम्मेदार अधिकारी बाबुओं द्वारा मैडम पर मेहरबानी बरतते हुए उनकी मोटी तनख्वाह हर महीने जरूर कमीशन खोरी कर देते हैं। डीईओ कार्यालय रायसेन में भी अधिकारियों सालों से जमे बाबुओं का जंगल राज चल रहा है। अंधेरगर्दी का आलम यह है कि जिला शिक्षा विभाग में नकारे निकम्मे अधिकारी बिना भेंटपूजा के कलम चलाना मुनासिब नहीं समझते हैं।

कलेक्टर साहब एक नजर इधर भी…..गोपनीय जांच कराएं
जिला पुस्तकालय रायसेन की कलेक्टर साहब किसी भरोसेमंद अफसर को भेज अगर जांच करवा लेंगे तो हकीकत सामने आ जाएगी।जबकि लाइब्रेरी मैडम की ड्यूटी नियमानुसार 8 घंटे की होती है। लेकिन मैडम और डीईओ की मिली भगत से प्रभारी मैडम सिर्फ 2 घंटे ही ड्यूटी पर रहती है। वह अपनी मनमर्जी से आती है और अपनी मर्जी से चली जाती है । कोई भी अधिकारी जिला पुस्तकालय का निरीक्षण जांच करने तक नहीं आते। जिससे मैडम के हौसले बुलंद हैं। इतना ही किसी अन्य जगह इनकी ड्यूटी कागजों में लगवा कर । मोटी पगार शासन से हर महीने लेकर मजे उड़ा रही हैं। आलम यह है कि उपस्थिति रजिस्टर में ये एक साथ साइन कर पूरे महीने की पगार पा रही हैं । उसमें डीईओ साहब और क्लर्कों को भी उनका कमीशन का हिस्सा आसानी से मिल जाता है। इस वजह से वह भी कोई जांच या कार्यवाही नही करते । हालांकि पूर्व में भी कई शिकायतें इस काम के प्रति लापरवाह मैडम की जा चुकी है। लेकिन बरसो से एक ही जगह रहकर इन्होंने अपनी एप्रोच की जड़े मजबूत कर रखी हैं।जिला जिला पुस्तकालय प्रभारी यह मैडम सालों से यहां जमी हुई हैं। इनके पतिदेव पशु जिला चिकित्सालय में कंपाउंडर के पद पर राहुल कटारिया भी सालों से पदस्थ हैं। जो पशु चिकित्सालय रायसेन से इंजेक्शन मेडिसिन स्टोर से इश्यु तो करवा लेते हैं। लेकिन गांव ksbon और तहसील के पशु मालिकों की शिकायतें मिली है कि वह उनसे नकदी रुपयों का लेनदेन करते हैं। तभी सरकारी दवाओं इंजेक्शन मरहम पट्टी आदि से इलाज करते हैं।
नागरिकों ने मांग की है कि इस दंपत्ति पति पत्नी के कार्यकाल की जांच पड़ताल कर उचित कार्रवाई कराएं तो असलियत सामने आ जाएगी।
कबाड़ में पड़ी लाखों की पुरानी पुस्तकें
पुस्तकालय भवन में सालों पुरानी ऐतिहासिक साहित्यक और इतिहास ज्ञानवर्धक किताबें कोने में पड़ी धूल खा रही हैं। उनको सहेजना मैडम ने मुनासिब नहीं समझा गया है।
इस संबंध में अरविंद कुमार दुबे कलेक्टर रायसेन का कहना है कि मेरे संज्ञान में अब यह मामला सामने आया है। इस मामले की जल्द ही जांच करूँगा। पुस्तकालय भवन की किताबों की जांच होगी। रद्दी, चोरी चुपके तरीके से किताबें कबाड़ में कब और कितनी बेची इसके हिसाब भी लिया जाएगा।

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