शासन द्वारा पत्रकारों में फूट डालो राज करो की नीति अपनाने का काम कर रही- संतोष गंगेले कर्मयोगी
रिपोर्टर : मनीष यादव, पलेरा।
छतरपुर । मध्यप्रदेश शासन जनसंपर्क संचनालय भोपाल द्वारा पिछले 5 वर्षों से लगातार पत्रकारों में आपसी गुटबाजी व व्यवस्था पैदा करने के लिए जनसंपर्क अधिमान्यता कार्ड नीति में व्यापक परिवर्तन कर दिए गए हैं। अधिमान्यता समितियां बंद पड़ी हुई हैं जिस कारण से लोगों के नवीनीकरण नहीं हो पा रहे हैं। तथा नए कार्ड बनने में शासन अपनी नीति अपना रही है शासन द्वारा 65 वर्ष पार कर चुके पत्रकारों को जीवन भत्ता देने के लिए जो शर्ते लगाई गई हैं उसमें भी बहुत कठिनाइयां हो रही हैं। अधिमान्यता पेंशन प्रकरण एवं नवीनीकरण में भी व्यापक परीक्षण किए गए हैं जिससे संपूर्ण मध्यप्रदेश में पत्रकारों में व्यापक असंतोष व्याप्त हो रहा है l मध्य प्रदेश सरकार को पत्रकारों के हितों में हूं देखते हुए उचित निर्णय लेना जरूरी है।
वर्ष 1980 से लगातार प्रिंट मीडिया में काम करते हुए ग्रामीणों पत्रकारों में जी जान लगाकर जनता और सरकार के बीच पत्रकारिता का काम करने वाले समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी ने वर्तमान मध्यप्रदेश सरकार को याद दिलाया कि जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह हुआ करते थे। उन्होंने पत्रकारों को ₹75 महीने मासिक किराए पर पत्रकार कॉलोनी बना कर पत्रकारों को भेंट की थी। उसके बाद मोतीलाल वोरा द्वारा भी पत्रकारों के हितों में बहुत उत्तम निर्णय ले करके उनकी सुरक्षा और सम्मान निधि देने का निर्णय हुआ जब मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा हुआ करते थे उस समय पत्रकारों की नीतियों में परिवर्तन करके उन्हें मासिक वेतन एवं वृद्धा पेंशन योजना लागू कराई गई। जैसे ही कांग्रेस की सरकार मध्य प्रदेश के चले जाने के बाद सुश्री उमा भारती बाबूलाल गौर के बाद शिवराज सिंह चौहान ने पदभार ग्रहण किया। मध्यप्रदेश की विशेष कमेटियां बनाकर मध्यप्रदेश के पत्रकारों में अदनान का नीति में व्यापक परिवर्तन करके पत्रकारों में आपसी वैमनस्य पैदा करने का काम किया जिस कारण से जिनके अधिमान कार्ड बने हुए थे उनसे स्वतंत्र पत्रकार असंतुष्ट होने लगे इसी बीच इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया वेबसाइटओं का चलन हुआ जिसमें अधिमान्यता नीति में व्यापक करते हुए जो वेबसाइट सरकार के चहेते लोगों की थी उनको विज्ञापन भी दिए गए जो वेबसाइट स्वतंत्र रूप से काम कर रही थी उनको विज्ञापन नहीं दिए गए और उनका मध्यप्रदेश में पंजीयन भी अस्वीकार कर दिए गए। गूगल में ऐसे हजारों यूट्यूब चैनल वेबसाइट संचालित हो रही हैं दर्शक संख्या लाखों लोग देखने के बाद भी उनको जनसंपर्क संचनालय में किसी भी प्रकार से स्थान नहीं दिया गया है। यूट्यूब चैनलों पर लगातार अपराधिक समस्या ग्रस्त एवं राजनीतिक समाचार उठापटक के समाचार चल रहे हैं। चलाए जा रहे हैं तो वह किसी नीति के तहत हैं उनका क्या अधिकार बनता है जय भारत सरकार मध्य प्रदेश सरकार नीति स्पष्ट नहीं कर सकी वर्तमान में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश विभिन्न प्रदेशों में क्षेत्रीय भाषाओं में समाचार संकलन करके शासन तक देने का काम जो पत्रकार साथ ही कर रहे हैं उन्हें संस्था से कोई वेतन नहीं मिलता है । और यदि वह विज्ञापन प्रसारित करते हैं तो उन्हें मान नहीं किया जाता है ऐसे में पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर समाज सेवा कर रहा है। और सरकार को जनता को जागरूक कर रहा है ।इस संबंध भारत सरकार और प्रदेश सरकारों को अपनी नीति में स्पष्ट परिवर्तन कर देना चाहिए l
40 वर्षों से ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रों में निस्वार्थ भाव से पत्रकारिता करते हुए समाज सेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी ने ग्रामीण पत्रकारिता से लेकर के राष्ट्रीय समाचार पत्रों पत्रिकाओं में जन समस्याओं को उठा कर के शासन की नीतियों से जनता को अवगत कराया उसके बाद भी आज तक मध्य प्रदेश सरकार और भारत सरकार द्वारा किसी भी तरह का उन्हें सहयोग और सहानुभूति नहीं दी गई है इस प्रकार से छतरपुर शहर मध्य प्रदेश में हजारों पत्रकार घर परिवार और समाज सेवा को छोड़कर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे समाज सेवा में लगे हैं उनके बारे में प्रदेश सरकार को सोचना चाहिए तथा अधिमान्यता नीति में परिवर्तन करके जिला दंडाधिकारी एवं जिला जनसंपर्क अधिकारी को अधिकार प्रदान किए जाएं जो पत्रकार लगातार समाज में सक्रियता से कार्य करते हैं उनके पहचान पत्र बनाए जाएं उन्हें सहयोग किया जाए । और विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में सम्मान दिया जाए दोहरी नीति को त्यागना होगा। इस संबंध में मध्यप्रदेश सहित भारत के पत्रकार साथियों को संगठित होकर के अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की तैयारी करना चाहिए l