धार्मिकमध्य प्रदेश

कलशारोहण के साथ श्रीराम महायज्ञ का समापन, हुआ भण्डारे का आयोजन

सिलवानी । सिलवानी नगर के प्राचीन श्रीराम जानकी मंदिर जमुनियापुरा मे पंच कुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ का पूर्णाहुति के समापन कलशारोहण के साथ सम्पन्न हुआ। पूर्णाहुति में पूर्व विधायक देवेंद्र पटेल हुए शामिल लिया ब्राह्मणों से आशीर्वाद प्राप्त किया।
श्री पंच कुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ एवं कलशारोहण का आयोजन यज्ञाचार्य नगर खेड़ापति पंडित संजय शास्त्री के आचार्यत्व में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा सम्पन्न किया गया। पंडित संजय शास्त्री ने यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्रमुख अंग है। सनातन धर्म में प्रति देने यज्ञ करने की बात कही है । वर्तमान समय में समयाभाव के कारण यह संभव नहीं है। लेकिन जीवन में प्रत्येक सनातन प्रेमी को यज्ञ में प्रतिवर्ष सम्मिलित होना ही चाहिए क्योंकि यज्ञ से श्रेष्ठ कोई दूसरा धर्म नहीं है। यज्ञ में दान करने से धन पवित्र होता है। यज्ञ में श्रम करने से तन पवित्र होता है। यज्ञ में आहुति देने से मन पवित्र होता है। यज्ञनारायण की परिक्रमा करने से तीर्थों से दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है इस हेतु एक का सर्वोत्तम साधन है मुक्ति का ।
पंडित संजय शास्त्री ने कहाकि यज्ञ में समस्त देवताओं का आह्वान किया गया है। यज्ञ सदैव विश्व कल्याण की भावना से किया जाता है । यज्ञ सम्पूर्ण संपूर्ण प्राणियों का भौतिक (सांसारिक) आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है । इस कारण यज्ञ नारायण भगवान मैं पूर्ण श्रद्धा होना चाहिए। हमें सनातन धर्म से सूत्रों का पालन करना चाहिए उससे ही हमें मोक्ष प्राप्त होगा। आज सनातन धर्म को आघात पहुंचाने के लिए कई कलयुग हे भगवान उत्पन्न हो गए हैं। वह हमारे सनातन धर्म को हानि पहुंचाना चाहते हैं लेकिन सनातन धर्म अविनाशी अनंत है किसी भी काल में यह संभव नहीं है।
समापन दिवस पर पंडित भूपेन्द शास्त्री ने यज्ञ के महत्व को बताते हुये कहा कि कलयुग में सम्पूर्ण राष्ट्र के कल्याण का साधन मात्र यज्ञ ही है। यज्ञ से सम्पूर्ण जीव जन्तु एवं प्राणियों का हित सुनिष्चित है। उन्होने बताया कि हमारे राष्ट्र मे यज्ञ ही वह साधन है जिनमें वैदिक मंत्र ऋचाये एवं कर्मकाण्ड के साधन निहित है। चारों वेदों में एक लाख मंत्रों को लिखा है। उसमें कर्मकाण्ड के लिए अस्सी हजार मंत्र दिये है। इससे ही ज्ञात होता है कि कर्मकाण्ड को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है। यदि व्यक्ति जन्म लेता है तो वह कैसे स्वभाव का होगा, इसका भी हमारे वेद में, पुराण में, धर्म ग्रंथों एवं धर्म षास्त्रों में निहित साधन बताया है। मनुष्य यदि वास्तविक रूप से स्वयं की शुद्धि करता है तो वह श्रेष्ठ व्यक्ति बन सकता है।
उन्होनें कहा कि आज हमारे देश का सौभाग्य है कि हमारे देश में संस्कृति चल रही है। वैदिक संस्कृृति, वैदिक धर्म हमको यह शिक्षा देता है कि हम सब धर्म के द्वारा आगे बढ़े। हमारे सोलह संस्कारों में मनुष्य जब पूर्णतया बन जाता है। संस्कारों के माध्यम से वह शरीर की, मन की, चित्त की, बुद्धि की, सब का वह शुद्ध होकर के जीवन को धन्य बनाता है। इसलिये हमारे धर्माचार्यों ने यह इच्छा हमको संस्कारों के माध्यम से दी है, कि हम संस्कारवान बने। समाज में आज छोटी छोटी बातों से हमारी नन्ही पीढ़ी प्रभावित होती है। उसके अन्दर धैर्य का बहुत ही अभाव है। यज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर समस्त क्षेत्रवासी, समस्त नगरवासी, गणमान्य व्यक्तियों ने संत महात्माओं ने आकर के पूर्णाहुति में भाग लिया।
पंच कुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ का समापन के साथ प्राचीन श्रीराम मंदिर के नवनिर्मित शिखर पर पीतल का कलश एवं ध्वज चढ़ाया गया। तत्पष्चात आरती की गई एवं ब्राहमण एवं कन्याभोज भण्डारे किया गया। आमंत्रित विद्वानों की विदाई की गई। बड़ी संख्या में यज्ञ एवं भगवान श्री राम लला के दर्शन किये। श्रीराम मंदिर के महंत नागा रामदास जी महाराज ने यज्ञ के सफल आयोजन पर समस्त श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुये कृतज्ञता प्रकट की है।

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