जिस देश का व्यापारी दु:खी होता है, वह देश तरक्की नहीं कर सकता…
लेखक : हरीश मिश्र, रायसेन।
भारत का संविधान अपने नागरिकों को विकास का अधिक से अधिक अवसर प्रदान करता है। ये अधिकार संविधान से प्रदत्त अधिकार है । सरकार का उत्तर दायित्व है समतापूर्ण समाज का सृजन करना और नागरिकों के मूल अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करना।
मूल अधिकार ऐसे अधिकार है जो संविधान से प्रदत्त अधिकार है। सरकार को इन अधिकारों का आदर करना चाहिए। सरकार का उत्तर दायित्व है कि नीति, सदाचार का वातावरण बनाए। यदि सरकार की आर्थिक नीति सही है तो देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ रहेगी। व्यवहार,नागरिकता, न्याय और निष्पक्षता का एक निश्चित मापदंड निर्धारित करे । समाज के प्रत्येक वर्ग को समानता प्रदान करे।
संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को समानता के मौलिक अधिकार की गारंटी प्रदान की गई है। अनुच्छेद 14 के अनुसार नागरिकों के बीच धर्म, जाति, मूलवंश, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। सभी को कानून का समान संरक्षण मिलना चाहिए।
समान संरक्षण का अर्थ है” समान परिस्थितियों में एक समान संरक्षण।” कोरोना संक्रमण काल में सरकार किसानों, कर्मचारियों, कमजोर वर्ग के हितों को तो आर्थिक संरक्षण दे रही है । क्योंकि यह संगठन संगठित होकर मतदान करते हैं। देश- प्रदेश में कितनी सरकारों को इन संगठनों ने तख्तो ताज पर बैठाया और धूल भी चटाई है।
सरकार व्यापारियों के साथ भेदभाव कर रही है। क्योंकि व्यापारियों के राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला स्तर पर कोई सशक्त संगठित संगठन नहीं है। जबकि राजनैतिक, सामाजिक, अर्थ व्यवस्था में सबसे अधिक योगदान देने वाला व्यापारी इस समय सबसे अधिक परेशान हैं।
देश में सबसे अधिक समय तक भाजपा विपक्ष में रही और 1984 के बाद भाजपा ने भारत बंद के सबसे अधिक आंदोलन किए। भाजपा के बंद आंदोलन इसलिए सफल हुए की मानसिक रूप से देश का व्यापारी वर्ग भाजपा का समर्थन करता है।
लॉकडाउन में बंद दुकान का किराया, बिजली का बिल, कर्मचारियों के वेतन, एक्सपायरी सामान का वापस ना होना, जी एस टी और बैंकों की किस्त के, घर के खर्च, बच्चों की पढ़ाई के कारण कपड़ा, सोना चांदी, इलेक्ट्रॉनिक, मोबाइल, हार्डवेयर, टेंट, डी जे , मैरिज गार्डन, होटल व्यवसाय पूरी तरह ठप पडे हैं। आखि़र यह व्यापारी अपनी व्यथा किस से कहें ?
राम चरित मानस के अनुसार प्रधान सेवक को सभी के साथ समतापूर्ण समाज के हितों को ही प्रधानता देना चाहिए। जिस देश का व्यापारी दुखी होती है, वह देश तरक्की नहीं कर सकता। देश का प्रधान सेवक निश्चित रूप से भेदभाव पूर्ण नीति के लिए जिम्मेदार होता है। अभी भी समय है भाजपा अपने स्थाई समर्थक व्यापारियों की आर्थिक खुशहाली के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करें।