धार्मिक

जीवन जीने की कला सिखाती है भगवान की कथा- पं.संतोषकृष्ण शास्त्री

न्यू तहसील कालोनी के पीछे,अनिल सक्सेना के निवास पर सात दिवसीय श्रीमद भगवतकथा का आयोजन, पांचवे दिन की कथा
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन ।
नगर मे नई तहसील कार्यालय के पीछे अनिल सक्सेना के निवास पर चल सप्त दिवसीय श्रीमद भागवत वा के पांच दिन भगवान कृष्ण के बाल चरित्रों का कथा का अद्भुत निरूपण किया। श्री मद भागवत कथा वाचके पं. सन्तोष कृष्ण शास्त्री महाराज ने कहा भगवान कर्मयोगी के जीवन चरित्र की कथा हमे जीवन जीने की कला सिखाती है। यूं तो सभी जीवन जीते है। परन्तु मात्र जीना ही पर्याप्त नही सिर्फ जीना ही हमारे जीवन का लक्ष्य नहीं हो सकता । यह जीवन भगवान ने दिया है। ऐसा जीवन जियो की दूसरों के लिए आदर्श वा जाओ शास्त्री ने कहा- विषमता का नाम ही जीवन है। कितनी ही परिस्थिति विपरीत क्यो न हो। आपके चेहरे पर मुस्कुराहट सदा रहनी चाहिए सुख आये तो हंस लो दुख आये तो हंस के उडा दो । कई लोग दुख में बहुत विचलित हो जाते हैं और कई अपने भाग्य को दोष होने लगते है। कोई अपनी जिन्दगी को- आप अपने जीवन के कभी कम मत आंको आपके जैसी जिन्दगी किसी का सपना हो है। कई लोग कहते हैं जिंदगी में अब तो घुटन महसूस होने लगी है। घुटन क्या चीज है। पूछिये अब बच्चे से जहां दो जून रोटी के लिये काम करता है। खिलोने की दुकान पर विषम परिस्थितियों मे जीता है। जीवन जीने की सच्ची उकला हमेशा याद रखिये। सपने आपके है तो आप ही बुरा करेगें न हालात तुम्हारे हिसाब से होगे ।नाहि लोग इसी का नाम जीवन है।
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की नन्द घर आनंद भयो…..
कथा के पांचवे दिन श्री मद भागवत कथा में कर्मयोगी भगवान श्री कृष्ण की जन्मोत्सव की कथा हुई। जैसे ही कंस राजा के कारागार में देवकी को बेटा कन्हैया जन्म लेता है।काली अंधियारी रात में वासुदेव उन्हें यमुना नदी पार कर गोकुल नंद बाबा माता यशोदा के घर सुरक्षित छोड़ आते हैं।नंद बाबा के घर श्री कृष्ण का जन्तोत्सव मनाया जाता है।नन्द घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल के जयकारों से गोकुल की गलियां गूंज उठती हैं। श्रोताओं ने भगवान के सुन्दर भजनों का आनंद लिया गया।महाकाल जागरण ग्रुप मण्डल के गायकों ने एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी भजन सुन पंडाल में श्रोता झूम उठे।

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