धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शुक्रवार 17 अक्टूबर 2025
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
🌌 *दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। *शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
*शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए । शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है। 🔮 *शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल* 🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
👸🏻 शिवराज शक 352_

☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
ऋतु – सौर शरद ऋतु
🌧️ मास – कार्तिक मास
🌒 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – शुक्रवार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि 11:12 AM तक उपरांत द्वादशी
📝 तिथि स्वामी – एकादशी के देवता हैं विश्वेदेवगणों और विष्णु। इस तिथि को विश्वेदेवों पूजा करने से संतान, धन-धान्य और भूमि आदि की प्राप्ति होती है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र मघा 01:57 PM तक उपरांत पूर्व फाल्गुनी
🪐 नक्षत्र स्वामी – मघा नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस नक्षत्र का राशि स्वामी सूर्य है, तथा मघा नक्षत्र के देवता पितर देवता हैं।
⚜️ योग – शुक्ल योग 01:48 AM तक, उसके बाद ब्रह्म योग
प्रथम करण : बालव – 11:12 ए एम तक
द्वितीय करण : कौलव – 11:42 पी एम तक तैतिल
🔥 गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -दिन – 11:13 से 12:35 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:13:00
🌅 सूर्यास्तः- सायः 05:50:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:43 ए एम से 05:33 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:08 ए एम से 06:23 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:43 ए एम से 12:29 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:01 पी एम से 02:46 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:49 पी एम से 06:14 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:49 पी एम से 07:05 पी एम
💧 अमृत काल : 11:26 ए एम से 01:07 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:41 पी एम से 12:32 ए एम, अक्टूबर 18
🚓 यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-लक्ष्मी मन्दिर में खीर चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ *पर्व एवं त्यौहार – गोवत्स द्वादशी/ वशुबारस/ रमा एकादशी/ कावेरी संक्रमण स्नान/ रमा एकादशी व्रत (सर्वे स्मार्त)/ महर्षि वाल्मीकि जयंती/ अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस, भूतपूर्व मुख्यमंत्री शनमुखम चेट्टी जन्म दिवस, राष्ट्रीय एज दिवस, विश्व आघात दिवस, अभिनेत्री स्मिता पाटिल जन्म दिवस, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जन्म दिवस, वित्त मंत्री आर. के. शनमुखम चेट्टी जयन्ती, मुगल शासक अकबर स्मृति दिवस, स्वामी रामतीर्थ पुण्य तिथि, राष्ट्रीय विधिक सहायता दिवस (सप्ताह) ✍🏼 तिथि विशेष – एकादशी तिथि को चावल एवं दाल नहीं खाना चाहिये तथा द्वादशी को मसूर नहीं खाना चाहिये। यह इस तिथि में त्याज्य बताया गया है। एकादशी को चावल न खाने अथवा रोटी खाने से व्रत का आधा फल सहज ही प्राप्त हो जाता है। एकादशी तिथि एक आनन्द प्रदायिनी और शुभफलदायिनी तिथि मानी जाती है। एकादशी को सूर्योदय से पहले स्नान के जल में आँवला या आँवले का रस डालकर स्नान करना चाहिये। इससे पुण्यों कि वृद्धि, पापों का क्षय एवं भगवान नारायण के कृपा कि प्राप्ति होती है।। 🌷 *_Vastu tips* 🌸
आर्थिक और मानसिक लाभ के उपाय
*आर्थिक संकटों से बचने के लिए हाथी के पांव के नीचे की मिट्टी को कुएं में डालना शुभ होता है। वहीं, अगर आपके घर में पढ़ने-लिखने वाले बच्चों की या घर के किसी अन्य सदस्य की याददाश्त कमजोर हैं, तो इसे बढ़ाने के लिए उस मिट्टी को घी और पानी से सानकर 6 गोलियां बनाएं। इन गोलियों पर सिंदूर लगाएं और एक डिब्बी में रखकर कमरे की दक्षिण-पश्चिम दिशा में छिपाकर रख दें। *दुश्मनों पर विजय का उपाय अगर आप अपने दुश्मनों पर विजय पाना चाहते हैं और बिना किसी झगड़े के सब सुलझाना चाहते हैं, तो हाथी के महावत को अंकुश का दान करें।
*वास्तु शास्त्र के अनुसार, इन छोटे-छोटे उपायों को अपनाकर व्यक्ति जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकता है। अगर आप भी यहां बताई गई किसी समस्या से परेशान हैं, तो इम टिप्स को अपनाकर देख सकते हैं। 🧘🏻 *जीवनोपयोगी कुंजियां* ⚜️ ढंड(शर्दी) ज्याद लगती है।
🔅 *
शींगाडा, और खजूर का सेवन करने से शर्दी कम लगती है।
🔅 *अदरक गुड़ का पाक खाने से शर्दी कम लगती है, खाया भोजन हजम होता है,केलोस्टोल कीलर का काम करता है। 🔅 *रात को सोते समय पैरो के तलवे मे सरसोतेल लगाने से शर्दी कम लगती है,एंव नैत्र ज्योति बढती है।
🔅 *शर्दी मे वायुदोष वाले आहार विहार मे ध्यान रखे,और कभी कभी कोफी पीए। अच्युताय नम:🔆🔅
💉 आरोग्य संजीवनी 💊
*
कुछ प्राकृतिक चीजें लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती हैं:
*तुलसी : 5-7 तुलसी के पत्तों को 1 कप पानी में उबालें और छानकर धीरे-धीरे पिएँ। | इसमें जीवाणुरोधी (antibacterial) और ज्वरनाशक (antipyretic) गुण होते हैं जो बुखार को कम करने में मदद कर सकते हैं। *लौंग : 4-5 लौंग को 5 कप पानी में उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इसे छानकर दिन भर थोड़ा-थोड़ा पिएँ। | लौंग के औषधीय गुण संक्रमण से लड़ने में सहायक हो सकते हैं।
*लहसुन: डॉक्टर की सलाह पर कच्चे लहसुन की 1-2 कली का सेवन किया जा सकता है, क्योंकि यह अपने प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुणों के लिए जाना जाता है। | यह साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकता है, लेकिन पेट संवेदनशील होने पर सावधानी बरतें। शहद: गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में एक बार लेना कमज़ोरी को दूर करने में सहायक हो सकता है। | शहद में जीवाणुरोधी गुण होते हैं और यह ऊर्जा भी देता है। अन्य महत्वपूर्ण उपाय~ भरपूर आराम करें ।शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए पर्याप्त आराम ज़रूरी है। किसी भी तरह के शारीरिक श्रम से बचें। 📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
भगवान कुबेर को धन, संपत्ति और धनधान्य का रक्षक माना जाता है। भगवान कुबेर को धनपति और लोकपाल के रूप में जाना जाता है और वह अक्षय तृतीया, धनतेरस और लक्ष्मी पूजा जैसे त्योहारों में विशेष रूप से पूजा जाता है।
कुबेर को विशेष रूप से धन और समृद्धि के प्रभाव वाला माना जाता है। उन्हें धनाढ्यमापति या धन राजा भी कहा जाता है। वे हिमालय पर्वत के दक्षिण पश्चिमी भाग में रहते हैं और वहाँ पाशुपति शिव के नेत्रपालक होने के कारण भी माने जाते हैं।
कुबेर को धन के स्वामी के रूप में पूजा जाता है, और धन और समृद्धि के स्रोत के रूप में उनकी आराधना की जाती है। उनकी पूजा से लोग धन और सफलता प्राप्त करने की कामना करते हैं।
कुबेर के बारे में कई पुराणिक कथाएं हैं जो उनके शक्तिशाली धनपति होने को दर्शाती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, कुबेर लंकापति रावण और विभीषण के भाई थे। कुबेर ने तपस्या करके ब्रह्मा देव से वर प्राप्त किया था और वह धन का संपत्तिमान् स्वामी बन गए थे।
कुबेर का आदि ग्रंथ वामन पुराण नामक पुराण भी है, जिसमें उनका वर्णन किया गया है। यहाँ भी उनकी सामर्थ्य, धन और समृद्धि के स्वरूप का विस्तारपूर्ण वर्णन है।
कुबेर की पूजा की जाती है ताकि लोग समृद्धि, सौभाग्य और संपत्ति प्राप्त कर सकें। धर्म शास्त्रों में भी कहा गया है कि कुबेर की पूजा से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि धन को सही तरीके से प्राप्त किया जाये और उसका उपयोग सही तरीके से किया जाये ताकि यह समाज के लिए हानिकारक न बने। बिना ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के, धन कमाया और प्राप्त किया गया संपत्ति चाहे कितनी भी बड़ी हो, वह सच्चे संपत्ति के रूप में नहीं मानी जाती है।
संपत्ति और धन के प्राप्ति के साथ-साथ उनका सही इस्तेमाल भी महत्वपूर्ण है। कुबेर की पूजा में धन-समृद्धि के प्राप्ति की कामना के साथ-साथ, धन का उचित इस्तेमाल करने के लिए भी प्राथना होती है।
इसी तरह, कुबेर को मनाने का एक तरीका है कुबेर यन्त्र की पूजा करना जिसे धन और समृद्धि के स्रोत के रूप में माना जाता है। ये यन्त्र से कुबेर की कृपा पाने के लिए अच्छा तरीका माना जाता है।
धन के मामले में जिम्मेदारीपूर्ण रूप से धन के सही इस्तेमाल की भावना को बढ़ावा दीजिए, ताकि समृद्धि का सही संदेश लोगों तक पहुंचे।
कुबेर की पूजा में धर्मिक आराधना के साथ-साथ, धन की संवर्धना और समृद्धि के लिए भी प्रार्थना की जाती है। धन का प्राप्ति और इसका उचित इस्तेमाल समाज के लिए महत्वपूर्ण है।
कुबेर के पूजन द्वारा धन और संपत्ति की प्राप्ति के साथ ही, धन के सही इस्तेमाल के लिए भी जागरूकता को बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार, कुबेर की पूजा से न केवल धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है, बल्कि धन का उचित इस्तेमाल करने के लिए भी जागरूकता में वृद्धि होती है।
भगवान कुबेर की पूजा करने के लिए कुबेर मंत्र का जाप भी किया जाता है, जो कुबेर की कृपा पाने और धन, समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
समाज में धन की महत्वता है, लेकिन धन का सही इस्तेमाल भी उतना ही महत्वपूर्ण है। कुबेर की पूजन से धन की प्राप्ति के साथ-साथ, धन का सही इस्तेमाल करने की भावना को बढ़ावा देना चाहिए ताकि समृद्धि का सही मतलब समाज को समझ में आए।
कुबेर के बिना कोई भी उपाय फलप्रद नहीं होता, उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को ऐश्वर्य प्राप्त होता है। खजाने का भंडार रखने वाले उन्हें अर्थात् कुबेर को आशीर्वाद देने के लिए कुबेर मंत्र का जप करना चाहिए।
अंत में, हम सभी को ध्यान रखना चाहिए कि भगवान कुबेर की पूजा और उनके यंत्र का उपयोग केवल धन की प्राप्ति के लिए नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि धन का सही इस्तेमाल करने के लिए भी करना चाहिए।
भगवान कुबेर का संसार में धन, समृद्धि और सौभाग्य के स्वामी के रूप में विशेष स्थान है, और उनकी पूजा से माना जाता है कि धन और समृद्धि के स्रोत को बढ़ाने में मदद करती है। लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि धन का सही इस्तेमाल करना और समाज के भले के लिए इसका उचित उपयोग करना भी महत्वपूर्ण है।
धन कुबेर (ऐश्वर्य के भगवान) के विभिन्न मंत्रों का जाप करने से धन, संपत्ति, और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं कुबेराय अस्त्र कामाय स्वाहा – यह मंत्र कुबेर की कृपा और धन प्राप्ति के लिए जाप किया जाता है।
ॐ लक्ष्मी कुबेराय नमः – इस मंत्र का जाप करने से आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
ॐ श्रीं कुबेराय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धि कुरु कुरु स्वाहा – इस मंत्र का जाप करने से आर्थिक समृद्धि और संपत्ति में वृद्धि होती है।
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
⚜️ एकादशी तिथि के देवता विश्वदेव होते हैं। नन्दा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। एकादशी तिथि एक आनंद प्रदायिनी और शुभ फलदायी तिथि मानी जाती है। इसलिये आज दक्षिणावर्ती शंख के जल से भगवान नारायण का पुरुषसूक्त से अभिषेक करने से माँ लक्ष्मी प्रशन्न होती है एवं नारायण कि भी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।।
यदि एकादशी तिथि रविवार और मंगलवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा एकादशी तिथि शुक्रवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय में किसी भी कार्य की सिद्धि प्राप्ति का योग निर्मित होता है। यदि किसी भी पक्ष में एकादशी सोमवार के दिन पड़ती है तो क्रकच योग बनाती है, जो अशुभ होता है। इसमें शुभ कार्य निषिद्ध बताये गये हैं। एकादशी तिथि नंदा तिथियों की श्रेणी में आती है। वहीं किसी भी पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है।।

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