
आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
सोमवार 30 जून 2025
30 जून 2025 दिन सोमवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। आज की पंचमी को श्रीस्कन्दपंचमी भी कहा जाता है। आज रवि योग भी है।
महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
☄️ दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।
सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
👸🏻 शिवराज शक 352 प्रारम्भ
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126_
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
☀️ मास – आषाढ़ मास
🌒 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – सोमवार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 09:24 AM तक उपरांत षष्ठी
📝 तिथी स्वामी – पंचमी के देवता हैं नागराज। इस तिथि में नागदेवता की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्ति होती है। यह लक्ष्मीप्रदा तिथि हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र मघा 07:20 AM तक उपरांत पूर्व फाल्गुनी
🪐 नक्षत्र स्वामी – मघा नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। यह नक्षत्र सिंह राशि में आता है और इसके देवता पितर हैं, जो पूर्वजों की आत्माएं हैं.
🔱 योग – सिद्धि योग 05:20 PM तक, उसके बाद व्यातीपात योग
⚡ प्रथम करण : बालव – 09:23 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : कौलव – 09:46 पी एम तक तैतिल
🔥 सोमवार का शुभ गुलिक कालः-शुभ गुलिक काल 01:42:00 P.M से 02:59:00 P.M बजे तक
⚜️ दिशाशूलः- आज के दिन पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए यदि यात्रा करना ज्यादा आवश्यक हो तो घर से दर्पण देखकर या दूध पीकर जायें।
🤖 राहुकालः- आज का राहु काल 08:26:00 A.M से 09:39:00 A.M बजे तक
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:13:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:47:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:06 ए एम से 04:46 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:26 ए एम से 05:26 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:57 ए एम से 12:53 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:44 पी एम से 03:40 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:22 पी एम से 07:42 पी एम
🎆 सायाह्न सन्ध्या : 07:23 पी एम से 08:23 पी एम
💧 अमृत काल : 02:05 ए एम, जुलाई 01 से 03:47 ए एम, जुलाई 01
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:05 ए एम, जुलाई 01 से 12:45 ए एम, जुलाई 01
❄️ रवि योग : 07:20 ए एम से 05:27 ए एम, जुलाई 01
🚓 यात्रा शकुन-मीठा दूध पीकर यात्रा करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ सौं सौमाय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-शिव मंदिर में शंख अर्पित करें।
🪵 *वनस्पति तंत्र उपाय-पलाश के वृक्ष में जल चढ़ाएं। ⚛️ पर्व एवं त्यौहार – रवि योग/ मूल समाप्त/ महाराजा गुलाब सिंह स्मृति दिवस, बलिजेपल्ली लक्ष्मीकांत कवि पुण्य तिथि, साहिब सिंह वर्मा पुण्य तिथि, अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस, विश्व सोशल मीडिया दिवस, राष्ट्रीय उल्का निगरानी दिवस, सोशल मीडिया दिवस, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक दादाभाई नौरोजी स्मृति दिवस, हूल क्रान्ति दिवस, संसदवाद का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, भारतीय साहित्यकार नागार्जुन जन्म दिवस, प्रसिद्ध संगीतकर कल्याणजी जन्म दिवस ⚜️ पञ्चमी तिथि में शिव जी का पूजन सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। आज पञ्चमी तिथि में नाग देवता का पूजन करके उन्हें बहती नदी में प्रवाहित करने से भय और कष्ट आदि की सहज ही निवृत्ति हो जाती है। ऐसा करने से यहाँ तक की कालसर्प दोष तक की शान्ति हो जाती है। अगर भूतकाल में किसी की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो तो उसके नाम से सर्प पूजन से उसकी भी मुक्ति तक हो जाती है।। 🗼 *_Vastu tips* 🗽
मनुष्य के शरीर के दाएं बाजू पर छिपकली का गिरना किसी संकट का सूचक होता है.इससे मनुष्य को धन की हानि हो सकती है. वहीं यदि मनुष्य के नासिका यानी नाक पर छिपकली गिरती है तो इससे मनुष्य को रोग,व्याधि और शारिरिक कष्ट होता है. जो धन नाश का कारण भी बनता है.
सिर्फ कूदने या गिरने का होता है फल हालांकि ये सिर्फ छिपकली के मानव शरीर पर गिरने या कूदने से होता है. यदि कोई व्यक्ति सोया है और तब छिपकली रेंगते या दौड़ते हुए मनुष्य के बाजू पर चढ़ती है तो इसका कोई शुभ अशुभ फल नहीं होता है.
🔰 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
जरूरत से ज्यादा तनाव जो लोग जरूरत से ज्यादा तनाव लेते हैं, उन्हें अक्सर माइग्रेन की समस्या का सामना करना पड़ता है। आपको तनाव को मैनेज करना सीखना होगा। इसके लिए आप हर रोज मेडिटेट कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक मेडिटेशन की मदद से माइग्रेन की समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
नींद की कमी क्या आप भी रोज-रोज 6 से 7 घंटे की नींद नहीं ले पाते हैं? अगर आपकी नींद पूरी नहीं हो पा रही है, तो इस वजह से भी माइग्रेन की समस्या ट्रिगर हो सकती है। इसके अलावा लाउड म्यूजिक माइग्रेन की समस्या का कारण बन सकता है। अगर आप माइग्रेन के दर्द से बचना चाहते हैं, तो आपको साउंड स्लीप लेनी चाहिए और लाउड म्यूजिक नहीं सुनना चाहिए।
💉 आरोग्य संजीवनी 🩸
अग्निमुख चूर्ण का प्रयोग अग्नि वर्धक औषधि के रूप में किया जाता है।
यह चूर्ण अत्यंत स्वादिष्ट और दीपन-पाचन है। इसके प्रयोग से खट्टी डकारें आना और जी मिचलाना ठीक होता है।
अग्निमुख चूर्ण का उपयोग अजीर्ण की चिकित्सा के लिए भी लाभकारी है।
अग्निमुख चूर्ण मंदाग्नि में अच्छा काम करता है। भूख लगाता है और पेट की वायु का नाश करता है।
इसका प्रयोग वात और कफ प्रधान विकार में हितकारी है।
यह चूर्ण पित्त को बढ़ाता है और शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है।
यह चूर्ण अरूचि और उदरशूल विकारों को नष्ट करता है।
भोजन को अच्छी तरह पचाकर क्षुधा की वृद्धि करता है और उत्तम रुचिवर्धक है।
उदर वायु (गैस) को शीघ्र शमन करता है।
इसके अलावा यह प्लीहा रोग, बादी बवासीर (अर्श रोग), पेट दर्द और गुल्म रोग आदि में भी लाभदायक होता है।
📖 गुरु भक्ति योग_ 🕯️
क्या है ययाति की पूरी कहानी?
ययाति की कथा — एक दृष्टांत भोग, वैराग्य और आत्मबोध का (मेरे व्यक्तिगत दृष्टिकोण से)
ययाति की कहानी केवल एक राजा की नहीं, बल्कि हर मनुष्य की भी है जो जीवन में इच्छाओं के पीछे भागता है — और अंत में थककर आत्मसाक्षात्कार की ओर मुड़ता है।
🌿 संक्षिप्त कथा:
राजा ययाति चंद्र वंश के राजा थे। उन्होंने शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी से विवाह किया था। बाद में, देवयानी की दासी शर्मिष्ठा से भी ययाति का संबंध हुआ, जिससे उन्हें संतानें हुईं। देवयानी को जब यह ज्ञात हुआ, तो उसने अपने पिता शुक्राचार्य से शिकायत की।
शुक्राचार्य ने ययाति को वृद्ध होने का श्राप दिया।
जब ययाति ने क्षमा मांगी, तो शुक्राचार्य ने यह शर्त रखी कि यदि कोई उनका पुत्र अपनी युवावस्था उन्हें दे दे, तो वह उस आयु का उपयोग कर सकता है।
ययाति ने अपने पुत्रों से कहा — लेकिन सिर्फ पुत्र पुरु ने यह त्याग किया। ययाति ने कई वर्षों तक भोग-विलास किया, लेकिन अंततः थककर उन्हें बोध हुआ:
“कामना को भोगने से कभी तृप्ति नहीं होती, वह तो और भी बढ़ती है। जैसे घी डालने से अग्नि और भड़कती है।
फिर उन्होंने पुरु को उसका यौवन लौटा दिया और स्वयं वन में तपस्या करने चले गए।
🔱 मेरा दृष्टिकोण:
यह कथा इच्छा, त्याग, और आत्मज्ञान का गहरा प्रतीक है। ययाति हम सब के भीतर है — हम भी भोग की राह पर चलते हैं, सोचते हैं कि थोड़ी और कामना पूरी हो जाए तो तृप्ति मिलेगी। लेकिन असल में वह और बढ़ती जाती है।
ययाति का आत्मबोध यह सिखाता है कि सच्चा सुख बाहर नहीं, भीतर है।
✨ कथा के कुछ बिंदु जो मुझे विशेष लगते हैं:
पुरु का त्याग: पितृभक्ति और सेवा का आदर्श।
ययाति की भोग यात्रा: मनुष्य की अनंत इच्छाओं का प्रतीक।
आखिरी आत्मबोध: कि मोक्ष या शांति भोग से नहीं, भीतर की समझ से मिलती है।
ययाति की कथा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी।
हम भले ही भोग करें, पर अंततः वैराग्य और आत्मज्ञान की ओर लौटना ही जीवन की सच्ची दिशा है।
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⚜️ पञ्चमी तिथि में शिव जी का पूजन सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। आज पञ्चमी तिथि में नाग देवता का पूजन करके उन्हें बहती नदी में प्रवाहित करने से भय और कष्ट आदि की सहज ही निवृत्ति हो जाती है। ऐसा करने से यहाँ तक की कालसर्प दोष तक की शान्ति हो जाती है। अगर भूतकाल में किसी की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो तो उसके नाम से सर्प पूजन से उसकी भी मुक्ति तक हो जाती है।।

