Today Panchang आज का पंचांग गुरुवार, 13 मार्च 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
गुरुवार 13 मार्च 2025
13 मार्च 2025 दिन गुरुवार को फागुन में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। परंतु व्रत की पूर्णिमा आज ही है आज भद्र है रात्रि 10:37 पीएम तक और कल अर्थात 14 मार्च को पूर्णिमा रात्रि को मिलेगी नहीं। आज रात्रि होलिका दहन में ढूंढा राक्षसी का दहन किया जाएगा। आज होलिका दहन से पूर्व ढूंढा राक्षसी का पूजन करके “ॐ होलिकायै नमः” इस मंत्र से होलिका पूजन करके ध्यान किया जाएगा। आज हुताशनी जन्म की पूर्णिमा भी है। आप सभी सनातनियों को “होलिका दहन” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
☄️ दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2024 विक्रम संवत : 2081 पिंगल संवत्सर विक्रम : 1946 क्रोधी
🌐 संवत्सर नाम पिंगल
🔯 शक सम्वत : 1946 (पिंगल संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5125
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर बसंत ऋतु
🌤️ मास – फाल्गुन मास
🌕 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📅 तिथि : गुरुवार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि 10:36 AM तक उपरांत पूर्णिमा
🖍️ तिथि स्वामी :- चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है । चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी 06:19 AM तक उपरांत उत्तर फाल्गुनी
🪐 नक्षत्र स्वामी – पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी शुक्र देव हैं.तथा राशि स्वामी सूर्य देव हैं।
⚜️ योग – धृति योग 01:02 PM तक, उसके बाद शूल योग
⚡ प्रथम करण : वणिज – 10:35 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : विष्टि – 11:26 पी एम तक बव
🔥 गुलिक कालः- गुरुवार का (शुभ गुलिक) 09:45:00 से 11:10:00 तक
⚜️ दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल – दिन – 2:00 से 3:25 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:07:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:53:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:56 ए एम से 05:45 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 05:21 ए एम से 06:33 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:07 पी एम से 12:55 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:18 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:26 पी एम से 06:50 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 06:28 पी एम से 07:41 पी एम
💧 अमृत काल : 11:19 पी एम से 01:04 ए एम, मार्च 14
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:06 ए एम, मार्च 14 से 12:54 ए एम, मार्च 14
🚓 यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
💁🏻 आज का उपाय-होलिका में हल्दी लगाकर श्रीफल अर्पित करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – भद्रा/व्रत पूर्णिमा/ होलिका दहन रात्रि 11:28 पश्चात/ होलिका-दहन/ हुताशनि पूर्णिमा/ पारसी आसान मासारंभ/ पूर्णिमा प्रारंभ सुबह 10.35/ गज दिवस/ राष्ट्रीय परोपकार दिवस, राष्ट्रीय आभूषण दिवस, राष्ट्रीय त्वचा विशेषज्ञ दिवस, विश्व रोटरैक्ट दिवस, गज दिवस, राजनैतिक नेता बुर्गुला रामकृष्ण राव जन्म दिवस, हिंदी के प्रसिद्ध कवि आत्मा रंजन जन्म दिवस, राष्ट्रीय गुड सेमेरिटन दिवस, राष्ट्रीय आभूषण दिवस, राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – पूर्णिमा को घी एवं प्रतिपदा को कुष्मांड खाना एवं दान करना दोनों वर्जित बताया गया है। पूर्णिमा तिथि एक सौम्य और पुष्टिदा तिथि मानी जाती है। इसके देवता चन्द्रमा हैं तथा यह पूर्णा नाम से विख्यात है। यह शुक्ल पक्ष में ही होती है और पूर्ण शुभ फलदायी मानी गयी है।
🏜️ Vastu tips ⛲
वास्तु शास्त्र में कई ऐसे नियम बताए गए हैं जिनका पालन करके आप धनवान बन सकते हैं। आचार्य इंदु प्रकाश ने हमें बताया कि कैसे आप एरोवाना मछली घर में रखकर सुख, समृद्धि पा सकते हैं और धनवान बन सकते हैं। कहते हैं मछलियों का होना घर में धन और सुख-समृद्धि लेकर आता है। मछलियों की उछल कूद से मन को शांति मिलती है और उनके घर में होने से नेगेटिविटी खत्म होती है। वास्तु शास्त्र में कल हमने आपको बताया था घर में सुनहरी मछली रखने के बारे में और आज हम बात करेंगे एरोवाना मछली के बारे में। क्या एरोवाना मछली को घर में रखने से फायदा होता है? सुनहरी मछली के साथ-साथ एरोवाना मछली को भी वास्तु शास्त्र में बहुत अच्छा माना गया है।
सुख-समृद्धि का प्रतीक है एरोवाना मछली
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में एरोवाना मछली को रखना शुभ माना जाता है। ये मछली अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, धन और शक्ति का प्रतीक है। यह बुरी शक्तियों को दूर करती है।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
नीम के नुकसान— द्रव्यगुण विज्ञान ग्रन्थ एवं भेषजयसार मणिमाला ग्रन्थ के अनुसार नवसंवत्सर के अलावा नीम की पत्तियां तोड़कर खाने से जोड़ों में दर्द, सूजन, आमवात, ग्रंथशोथ, थायराइड जैसी समस्याओं की शुरुआत होने लगती है।
पित्तदोषों की वृद्धि या पित्त का असन्तुलित होने का कारण भी वेसमय नीम खाना ही है।
किस समय या मौसम में क्या खाएं , क्या न खाएं ऐसा बहुत सा ज्ञान आयुर्वेद शास्त्रों में लिखा है।
आयुर्वेद के बहुत से प्राचीन वेद्याचार्य स्वास्थ्य सूक्तियां, दोहे आदि भी लिख गए है। आयुर्वेद की दोहावली के अनुसार पुराने लोग चलकर 100 वर्ष तक जीवित रहते थे।
सूर्य प्रसन्नता, कृपा पाने के लिए नीम वृक्ष की पूजा का विधान भविष्यपुराण में मिलता है। नीम सूर्य का आराध्य वृक्ष है।
मथुरा से 40 किलोमीटर दूर कोकिलावन में शनिदेव और भगवान श्रीकृष्ण ने नीम वृक्ष के नीचे ही बैठकर सूर्य की आराधना की थी। यहां शनि भगवान की स्वयम्भू प्रतिमा भी है। शनिचरी अमावस्या को यहां दुनिया का लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं।
🍵 आरोग्य संजीवनी 🍶
पेट में गैस और कब्ज़ की समस्या के लिए त्रिफला पाउडर एक प्रभावी आयुर्वेदिक समाधान है। यह आंवला, बेहड़ा, और हरितकी से बना होता है, जो पाचन को सुधारने, गैस और सूजन को कम करने, और कब्ज़ से राहत देने में मदद करता है।
त्रिफला पाउडर के फायदे:
पाचन में सुधार – गैस, सूजन और अपच को दूर करता है।
कब्ज़ में राहत – रेचक गुण से कब्ज़ दूर करता है।
गैस और सूजन से छुटकारा – पेट हल्का और आरामदायक बनाता है।
Detoxification – शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकालता है।
उपयोग विधि:
पानी के साथ: एक गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच त्रिफला पाउडर मिलाकर सुबह लें।
शहद और नींबू के साथ: स्वाद बढ़ाने के लिए शहद और नींबू के साथ मिलाकर लें।
रात में: सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला पाउडर पानी या दूध में मिलाकर लें।
निष्कर्ष: त्रिफला पाउडर एक प्राकृतिक उपाय है जो गैस, कब्ज़ और पाचन समस्याओं को दूर करता है और पेट को स्वस्थ बनाए रखता है।
🪔 गुरु भक्ति योग 🕯️
पूजा में पान सुपाड़ी लोंग इलायची कपूर …पूजा में पान का अत्यधिक महत्व :- सूक्ष्म तत्व ज्ञानियों का कथन है कि पान के हरे रंग से उठने वाली सूक्ष्म गंद की तरंग लहरिया ब्रह्मलोक की तरंग लहरियों के समान है!
यह गंध तरंगे वायु के घर्षण से उत्पन्न होकर वायु पर ही आरूढ़ होकर सूर्य की ऊष्मा से ऊपर उठती हुई अपने अंशी ब्रह्मलोक के वायुमंडल से मिलने के लिए प्रयास करती हैं!
पान में जल तत्व भी होता हैं इसका भी सूक्ष्म रूप रंग की गंध तरंगों के साथ मिला होता है!
सभी देव शक्तियों का शिव ब्रह्मलोक आदि से सूक्ष्म संबंध रहता है!
पूजा में मंत्रों द्वारा देवों के लिए सुपारी लॉन्ग इलायची कपूर सहित पान अर्पित किया जाता है!
मंत्रों की ध्वनि तरंगों से आकर्षित कर वे देवगन अपने से भी कहीं उच्च शिवलोक ब्रह्म आदि के लोगों तक पान के सूक्ष्म तत्वों को पहुंचाते हैं!
इस क्रिया से पूजक का मनोमय कोष शुद्ध होता है देव पूजा मैं सदा ही पूरा पान अर्पित करना चाहिए पान के टुकड़े करने से पूजा खंडित हो जाती है
पान की बेल को नागबली या नागवेल भी कहते हैं पान का पत्ता थोड़ा सिकुड़ने पर नाग के फन की तरह हो जाता है!
आगे का छोर नाग की जीव के समान प्रतीत होता है नाग और पान में अत्यधिक ऊर्जा होती है!
हम पूजा के समय डर के कारण नाग की पूजा नहीं कर सकते इसलिए नाग का प्रतीक पान का उपयोग पूजा में हमारी आंतरिक ऊर्जा शक्ति में वृद्धि करता है
पान की बेल नाग की तरह लहराती हुई पान के भीटो मैं लगाई लकड़ियों के सहारे ऊपर चढ़ती जाती है पान की बेल की नाग की तरह लहर के कारण ऊपर बताई गई विधि से नाग की तरह लहराती हुई ही दिव्य लोक तक जाती है!
पूजा में पान प्रयोग नागलोक भूलोक और ब्रह्म लोगों को जोड़ने की कड़ी है यह सभी लोक समृद्धि ऐश्वर्य दाता है!
प्रतिदिन पान पर कपूर जलाने से मन शांत होता है प्रत्येक शनिवार मिट्टी के दीपक खुशबूदार तेल के जलाकर पान के पत्ते पर रखे तो शनि राहु की विशेष कृपा प्राप्त होती है!
पान का औषधीय महत्व :- यह स्वाद में कुछ चरापरा हृदय को हितकारी रुचि कारक वात कफ नाशक भूख बढ़ाने वाला एवं पाचक होता है बिना सुपारी के पान नहीं खाना चाहिए आश्रय संहिता के अनुसार :-
अनिधाय मुखे पर्ण यः पूगं खादते नरः ।
मतिभ्रंशो दरिद्रीस्या – दन्ते न स्मरते हरिम् ।।
अर्थात जो व्यक्ति सुपारी के बिना पान खाता है उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है जिससे वह गरीब हो जाता है और बुद्धि बिगड़ जाने के कारण अपने अंत समय में भगवान का स्मरण भी नहीं कर पाता तथा –
ताम्बूलं विधवास्त्रीणां यतीनां ब्रहमचारिणाम् ।
तपस्विनाञ्च विप्रेन्द्र गोमांह – सहशं ध्रुवम्।।
(ब्रह्म वैवर्त पुराण)
अर्थात यदि विधवा स्त्री यति ब्रह्मचारी और तपस्वी लोग पान खाते हैं तो निश्चय ही उन्हें गौमांस भक्षण के समान पाप लगता है
पूजा में सुपारी :- सुपारी का वृक्ष ताड़ नारियल की तरह ऊंचा और बांस की तरह पतला होता है।
पेड़ के पकने पर सुपारी को तोड़कर उबलते हैं इसके पश्चात उसे सुखाया जाता है जिसमें खूब कड़ी हो जाती है।
आकार प्रकार के अनुसार इसकी कई जातियां होती हैं खाने में स्वादिष्ट बनाने के लिए सुपारी उत्पादक सुपारी को जामुन लाल चंदन और पीपल आदि की छाल के साथ उबालकर सुखा लेते हैं।
पूजा में उपयोग :- सभी देव पूजाओं मैं सुपारी का उपयोग अनिवार्यतः किया जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से सुपारी में पृथ्वी तत्व की मात्रा प्रमुख और प्रधान तथा कुछ मात्रा जल तत्व की होती है।
मंत्र की सूक्ष्मा ध्वनि तरंगों से आकर्षित देवता पूजक के द्वारा अर्पित सुपारी के सूक्ष्म तत्वों को ग्रहण करके यजमान की मनोभिलाषा पूर्ण करते रहते हैं।
औषधीय महत्व :- सुपारी स्वाद में कुछ कसैली कुछ मात्रा में क्षुधावर्धक रोचक कफ पित्त तथा मुख की विरसता को दूर करती है।
शुद्ध सुपारी का भी अधिक उपयोग करने से कैंसर होने की अधिक संभावना रहती है सुपारी से निर्मित चिरायु सुपारी पाक नियमित उपयोग कन्या महिलाओं के लिए विशेष उपयोगी है
अमृतम् फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित स्त्रियों के लिए अद्भुत औषधि नारिसौन्दर्य माल्ट में सुपारी पाक का विधिवत विधि से मिश्रण किया गया है, जो पीसीओडी, सोमरोग नाशक है।
नारियल :- नारियल शिव दुर्गा गणेश और कृष्ण को बहुत प्रिय है नारियल में इन देवताओं की सूक्ष्म लहरियों को आकर्षित करने और आवश्यकता अनुसार उन्हें प्रक्षेपित करने की भी क्षमता होती है इसलिए देव पूजन में नारियल का इतना महत्व है।
नारियल का फल सब फलों से अधिक सात्विकता प्रदान करता है नारियल में अनिष्ट काली शक्तियों को भी नष्ट करने की क्षमता होती है इसलिए किसी व्यक्ति के कष्ट दूर करने के लिए अनेक जगह नारियल से नजर उतारने का प्रचलन है।
🥥 नारियल ब्रह्मांड का प्रतीक है
पूजा घर मे या कलश पर नारियल रखने की स्थिति :- पूजा घर में पूजा की थाली में अथवा कलश पर नारियल हमेशा खड़ा रखें अर्थात नारियल की चोटी ऊपर हो यहां बहुत सामान्य बात है कि चोटी का स्थान सर्वोपरि ही होता है।
नारियल और मंदिर का आकार सोचे दोनों में बहुत समानता है मिस्र के पिरामिड त्रिशंकु होते हैं विचारणीय बात यह है कि मिस्र के पिरामिड और मंदिरों त्रिशंकु आकार नारियल के आधार पर ही बनाया गया है। इसका सीधा सा अर्थ है कि त्रिशंकु आकार में आकाशीय उपग्रहों को शांत करने की क्षमता होती है इसलिए हमारे ऋषियों ने देव शक्तियों को आकर्षित करने और दुष्ट शक्तियों को विकर्षित करने की शक्ति का अनुसंधान करके देव पूजन में नारियल का उपयोग प्रारंभ किया।
पूजा में चन्दन :- चंदन के सामान्य गुणों से प्रायः सभी लोग परिचित हैं। रंग के आधार पर चंदन के मुख्य तीन भेद हैं। श्वेत चंदन रक्त या लाल चंदन और पीत चंदन कुछेक अंतरों से सभी के गुण लगभग समान है।
भावप्रकाश में श्रेष्ठ चंदन के लक्षण इस प्रकार बताए गए हैं
स्वादे तिक्तं कषे पीतं छेदे रक्त तनौ सितम् ।
ग्रन्थिकोटर संयुक्तं चन्दनं श्रेष्ठ मुच्यते ।।।_
अर्थात स्वाद में कड़वा घिसने में पीला तोड़ने में लाल देखने में सफेद तथा सुंदर गंध युक्त चंदन श्रेष्ठ होता है।
विश्व में अनेक देशों में चंदन वृक्ष पाए जाते हैं किंतु भारतीय चंदन का तेल विश्व में सर्वोत्तम होता है इसी लालच में देशद्रोही लोग चंदन की तस्करी करते हैं।
आध्यात्मिक महत्व :- हमारे देश की परंपरा रही है कि देव पूजा मे दान में और अतिथि सेवा में उत्तम वस्तुओ का ही उपयोग किया जाता है इसलिए इतनी उत्तम वस्तु चंदन का उपयोग देव पूजन में उपयोग करने की हमारी प्राचीन परंपरा है।
देवताओं को लगाने के लिए चंदन एक हाथ से नहीं घिसना दोनों हाथों से चंदन घिसने से सुषुम्रा नाड़ी क्रियाशील हो उठती है जिससे पूजा की आध्यात्मिकता पोस्ट होती है।
दूसरा तथ्य यह है कि दोनों हाथों से चंदन घिसना द्वैत के प्रति सकाम भावना का प्रतीक है अर्थात् जब द्वेत से कोई कामना होती है तब दोनों हाथों से घिसा चंदन ही अर्पित करना चाहिए।
दाया हाथ शिवा का और बाया हाथ शिव का प्रतीक माना जाता है।
राहु काल में प्रतिदिन भगवान शिव को केसर चंदन इत्र अथवा केसर इत्र युक्त अमृतम् काया की ऑयल लगाने से पिछले पापो कुकर्मो का क्षय होता हैं।
राहु केतु एवं शनि की कृपा तथा पितृदोष कालसर्प दोष की शांति होती है
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⚜️ हमारे वैदिक सनातन धर्म में हर मास की पूर्णिमा को कोई-न-कोई व्रत-त्यौहार होता ही है। जिनकी कुण्डली में चन्द्रमा की दशा चल रही हो उसे पूर्णिमा के दिन उपवास रखना अर्थात व्रत करना चाहिये। जिनके बच्चे कफ रोगी हों अर्थात सर्दी, जुकाम, खाँसी और निमोनियाँ समय-समय पर होती रहती हो उनकी माँ को वर्षपर्यन्त पूर्णिमा का व्रत करना और चन्द्रोदय के बाद चंद्रार्घ्य देकर व्रत तोड़ना चाहिये।।
पूर्णिमा माता लक्ष्मी को विशेष प्रिय होती है। इसलिये आज के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से मनोवान्छित कामनाओं की सिद्धि होती है। पूर्णिमा को शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बिल्वपत्र, शमीपत्र, फुल तथा फलादि चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। पूर्णिमा को शिव पूजन में सफ़ेद चन्दन में केशर घिसकर शिवलिंग पर चढ़ाने से घर के पारिवारिक एवं आन्तरिक कलह और अशान्ति दूर होती है।।