धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग शनिवार, 05 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शनिवार 05 जुलाई 2025
05 जुलाई 2025 दिन शनिवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है। आज गीरिजा पूजन का दिन है। आज सोपपदा दशमी, वेदारम्भानध्याय एवं उड़ीसा में पुनः यात्रा का दिन भी है। आज रवियोग, सर्विर्थसिद्धयोग, एवं यायीजययोग, भी है। आज बहुत ही अच्छे-अच्छे योग हैं अतः जिनका कोई कार्य बाकी रह गया हो तो आज ही निपटा लेवे। क्योंकि कल के एकादशी के उपरांत भगवान का शयन चार महीना के लिए हो जाएगा। साथ ही चातुर्मास का व्रत भी प्रारंभ हो जाएगा। फिर आप कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकेंगे आप सभी सनातनियों को “गीरिजा पूजन” बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं एवं अनंत – अनंत बधाइयां।।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
👸🏻 शिवराज शक 352_

🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
☀️ मास – आषाढ़ मास
🌖 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – शनिवार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष दशमी तिथि 06:59 PM तक उपरांत एकादशी
🖍️ तिथि स्वामी – दशमी के देवता हैं यमराज। इस तिथि में यम की पूजा करने से नरक और मृत्यु का भय नहीं रहता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र स्वाति 07:51 PM तक उपरांत विशाखा
🪐 नक्षत्र स्वामी – स्वाति नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु है। स्वाति नक्षत्र का देवता वायु देव (पवन देव) हैं।स्वाति नक्षत्र का संबंध विद्या की देवी सरस्वती से भी माना जाता है.
⚜️ योग – सिद्ध योग 08:35 PM तक, उसके बाद साध्य योग
प्रथम करण : तैतिल – 05:45 ए एम तक
द्वितीय करण : गर – 06:58 पी एम तक
🔥 गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6: 53 से 8:19 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -सुबह – 9:44 से 11:09 तक।राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदय – प्रातः 05:25
🌄 सूर्यास्त – सायं : 19:22
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:08 ए एम से 04:48 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:28 ए एम से 05:28 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:58 ए एम से 12:54 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:22 पी एम से 07:42 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 07:23 पी एम से 08:24 पी एम
💧 अमृत काल : 09:57 ए एम से 11:45 ए एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:06 ए एम, जुलाई 06 से 12:46 ए एम, जुलाई 06
सर्वार्थ सिद्धि योग : 05:28 ए एम से 07:51 पी एम
❄️ रवि योग : 05:28 ए एम से 07:51 पी एम
🚙 यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-किसी ज़रूरतमन्द को काला छाता दान करें।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – रवि योग/ सर्वार्थसिद्धि योग/गुरु उदय पूर्वे/ पुनर्यात्रा/ सूर्य का पुनर्वासु नक्षत्र में प्रवेश वाहन अश्व/ श्रीगुरु हरगोबिन्द जयंती, प्रतिभासम्पन्न कवयित्री तोरु दत्त पुण्य तिथि, लेखक ज्योति खरे जयन्ती, शास्त्रीय गायक हज़रत इनायत खान जन्म दिवस, शेयर व्यापारी राकेश झुनझुनवाला जन्म दिवस, राष्ट्रीय हवाई दिवस, बीरेंद्रनाथ सरकार जन्म दिवस, भारतीय राजनीतिज्ञ रामविलास पासवान जन्म दिवस, राष्ट्रीय वर्कहॉलिक्स दिवस, स्वतंत्रता सेनानी अनुग्रह नारायण सिन्हा स्मृति दिवस, राष्ट्रीय बिकिनी दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – दशमी तिथि को कलम्बी एवं परवल का सेवन वर्जित है। दशमी तिथि धर्मिणी और धनदायक तिथि मानी जाती है। यह दशमी तिथि पूर्णा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह दशमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। दशमी को धन देनेवाली अर्थात धनदायक तिथि माना जाता है। इस दिन आप धन प्राप्ति हेतु उद्योग करते हैं तो सफलता कि उम्मीदें बढ़ जाती हैं। यह दशमी तिथि धर्म प्रदान करने वाली तिथि भी माना जाता है। अर्थात इस दिन धर्म से संबन्धित कोई बड़े अनुष्ठान वगैरह करने-करवाने से सिद्धि अवश्य मिलती है। इस दशमी तिथि में वाहन खरीदना उत्तम माना जाता है। इस दशमी तिथि को सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित कार्यों को आरम्भ करने के लिये भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
🛫 Vastu Tips 🛟
इस दिशा में लगाएं आईना आचार्य श्री गोपी राम के अनुसार घर की दक्षिण, पश्चिम दिशा और आग्नेय, वायव्य एवं नैऋत्य कोण की दिवार पर आईना, यानि कि मिरर नहीं लगाना चाहिए। अगर आपके घर या ऑफिस की इन दिशाओं में मिरर लगा है तो उसे तुरंत वहां से हटा दे क्योंकि यह अशुभ होता है। यदि आप उसे नहीं हटा सकते। क्योंकि कई घरों में आईना दिवार पर टाइलस के बीच में लगा होता है, यानि इस तरह से लगा होता है कि उसे हटाना संभव नहीं है। तो आप उस पर कोई कपड़ा ढक सकते हैं जिससे उसकी आभा किसी भी वस्तु पर न पड़े। इस दिशा में लगा आईना नुकसान ही देता है। इन दिशाओं में आईना लगाने से भय बना रहता है।
🎯 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
सर्दियों में मेथी के लड्डू बनाकर खाना फायदेमंद है I रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी के पिसे दानों में एक ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लें। दोपहर और रात में खाना खाने के बाद आधा-आधा चम्मच लेने से जोड़ मजबूत होंगे और किसी प्रकार का दर्द नहीं होगा।
हल्दी को एक अच्छे दर्द निवारक के रूप में जाना जाता है I
यह एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ऑक्सीडेंट होने कारण जोड़ों के दर्द, सूजन को कम करने में अत्यंत उपयुक्त है I
आधा चम्मच हल्दी का पाउडर शहद के साथ लेना या एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर रोजाना पीना घुटनों के दर्द को कम करने में उपयुक्त है I
अदरक दर्दनिवारक, एंटी इंफ्लेमेटरी , एंटी ऑक्सीडेंट आदि औषधीय गुणों से युक्त होने के साथ ही रक्त संचार को भी तेज करता है I
पानी में अदरक उबालें और ठंडा करके इसमें शहद मिलाएं। और दिन में 3 बार इस चाय को पिएं।
प्रभावित हिस्से की अदरक के तेल से मसाज भी आराम मिलेगा।
🩸 आरोग्य संजीवनी 💊
पेट फूलने पर क्या उपाय करें?
पेट फूलने की समस्या होने पर सबसे अच्छा उपाय है कि आप कुछ देर तक वॉक करें। इससे पेट में फंसी गैस निकल जाएगी और पाचन क्रिया तेज होने से खाना भी पच जाएगा। जिन लोगों को अक्सर ये समस्या रहती है उन्हें एक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। जिसे खाने के बाद 1 चम्मच सेवन करने से पेट फूलने की दिक्कत ही खत्म हो जाएगी।
पेट फूलने पर खाएं ये चूर्ण इस चूर्ण को बनाने के लिए आप करीब 2 चम्मच जीरा, 2 चम्मच अजवाइन, 2 चम्मच सौंफ लें। अब जीरा और अजवाइन को तवे पर हल्का भून लें। इन सारी चीजों को सौंफ के साथ बारीक पीस लें। अब इस चूर्ण में 2 चम्मच काला नमक मिला लें। आप चाहें तो 2 पिंच हींग भी डाल सकते हैं। इस चूर्ण को किसी डब्बे में भरकर रख लें। जब भी खाना खाएं उसके बाद 1 चम्मच इस चूर्ण को गुनगुने पानी से खा लें। आपको पेट फूलने, गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या नहीं होगी।
वजन घटाने में भी मिलेगी मदद इस चूर्ण को खाने से पाचन तंत्र मजबूत होगा। खाना अच्छी तरह पचेगा तो सुबह अच्छी तरह फ्रेश हो पाएंगे। इस चूर्ण का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म में सुधार आता है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है। सबसे अहम चीज कि इस चूर्ण को खाने से कोई नुकसान भी नहीं होता है।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
एक बड़ी पुरानी कथा है कि विश्वामित्र क्षत्रिय घर में पैदा हुए और ब्राह्मण होना चाहते थे। लेकिन कोई कैसे अपनी चेष्टा से ब्राह्मण हो सकता है? उन्होंने बड़ी चेष्टा की, बड़ा तप किया।
वशिष्ठ उन दिनों ब्रह्मज्ञानी थे। और जब तक वशिष्ठ न कह दें कि तुम ब्राह्मण हो गए, तब तक स्वीकृति न थी। बड़ी तपश्चर्या की, बड़ी कोशिश की। लेकिन वशिष्ठ ने न कहा, न कहा।
यह कथा कोई वर्ण—व्यवस्था की कथा नहीं है। यह चेष्टा और प्रसाद की कथा है। लोगों ने यही समझा है कि वर्ण—व्यवस्था की कथा है कि क्षत्रिय कैसे ब्राह्मण हो सकता है! क्योंकि वर्ण तो जन्म से है।
नहीं, इस कथा से वर्ण का कोई संबंध नहीं है। कथा चेष्टा और प्रसाद की है। कोई चेष्टा से कैसे ब्राह्मण हो सकता है? परमात्मा के प्रसाद से होता है। और विश्वामित्र तो क्षत्रिय थे। क्षत्रिय तो चेष्टा से जीता है। वही तो फर्क है।
राजस व्यक्ति चेष्टा से जीता है। सात्विक व्यक्ति प्रसाद से जीता है। आलसी व्यक्ति न तो चेष्टा से जीता है, न प्रसाद से जीता है, वह तो मुरदे की तरह पड़ा रहता है। ऐसे ही घसिटता है, जीता ही नहीं।
क्षत्रिय ने बड़ी चेष्टा की। महान तप किया। वर्षों बीत गए। लेकिन वशिष्ठ के मुंह से न निकली यह बात कि विश्वामित्र ब्राह्मण हैं। क्षत्रिय तो क्षत्रिय। और वशिष्ठ के मुंह से न निकली, कारण भी यही था कि अभी भी क्षत्रिय मौजूद था, अभी भी चेष्टा मौजूद थी। अहंकार मौजूद था कि मैं ब्राह्मण होकर रहूंगा! क्योंकि अगर ब्राह्मण जो कर सकता है, सब मैं कर रहा हूं। ब्राह्मण को जो शुद्धि चाहिए, सब मुझ में हो गई है। मंदिर पूरा तैयार है।
लेकिन मंदिर के पूरे तैयार होने से कोई परमात्मा की प्रतिष्ठा थोड़े ही हो जाती है। मंदिर बिलकुल तैयार है। सब ठीक है। लेकिन मंदिर में मूर्ति नहीं है। मूर्ति तुम न ला सकोगे। तुम तो मंदिर तैयार कर सकते हो। प्रार्थना कर सकते हो कि आओ, उतरी। आह्वान कर सकते हो। उतर आए परमात्मा, उतर आए। न उतरे, तुम क्या करोगे!
हमेशा उतर आता है, जब तुम खाली होते हो, जब मंदिर तैयार होता है। लेकिन थोड़ी अड़चन थी, विश्वामित्र खाली न थे, अहंकार से भरे थे, चेष्टा से भरे थे।
वर्षों बीत गए, बुढ़ापा करीब आने लगा। और विश्वामित्र……। एक दिन शिष्यों ने कहा कि हम फिर गए थे पूछने। और वशिष्ठ को पूछा; उन्होंने कहा कि विश्वामित्र और ब्राह्मण? कभी नहीं। क्षत्रिय है और क्षत्रिय ही है।
क्रोध आ गया; उठा ली तलवार। क्षत्रिय ही थे, भूल गए वे तप, तपश्चर्या, सब तंत्र—मंत्र। सब बंद। खींच ली तलवार, एक क्षण में वर्षों की तपश्चर्या खो गई। वर्षों का ब्राह्मण का जो रूप था, खो गया।
रूप का कोई मूल्य नहीं है, अंतरात्मा चाहिए। अंतसात्मा क्षत्रिय की थी, चेष्टा, संकल्प। ब्राह्मण है समर्पण। क्षत्रिय है संकल्प, विल पावर। खींच ली तलवार, भागे।
पूरे चांद की रात थी। वशिष्ठ अपने झोपड़े के बाहर अपने शिष्यों से कुछ ब्रह्मचर्चा करते थे। मौका ठीक नहीं था, इस समय बीच में कूद पड़ना उचित न था। बहुत लोग थे। तो विश्वामित्र छिप गए एक झाड़ी के पीछे कि जब लोग विदा हो जाएंगे और वशिष्ठ अकेले रह जाएंगे, तो आज इसको खतम ही कर देना है। मैं और ब्राह्मण नहीं?
झाड़ी के पीछे छिपे बैठे सुनते रहे। चर्चा चलती थी, किसी शिष्य ने वशिष्ठ को पूछा कि आप विश्वामित्र को कब ब्राह्मण कहेंगे? उसकी पीड़ा को समझें! उसकी तपश्चर्या को देखें!
वशिष्ठ ने कहा, सब पूरा हो गया है। किसी भी क्षण कहने को मैं राजी हूं अब। जरा—सी कमी रह गई है। अहंकार शुद्ध हो गया है, लेकिन मौजूद है अभी। मैं ब्राह्मण कहने को तैयार हूं किसी भी क्षण। जरा—सी कमी है; एक बारीक रेखा अहंकार की रह गई है,। बस। जिस क्षण पूरी हो जाए। विश्वामित्र करीब—करीब ब्राह्मण हैं। तुम से ज्यादा ब्राह्मण हैं।
वे जन्मजात ब्राह्मण थे, जो पूछ रहे थे। कहा, तुमसे ज्यादा ब्राह्मण हैं। लेकिन अगर इसी तरह का ब्राह्मण उनको बनना हो, तो मैं कहने को राजी हूं, इसमें क्या अड़चन है! मगर विश्वामित्र से बड़ी आशा है। बड़ी संभावना छिपी है उस आदमी के भीतर। और इसलिए मैं रोक रहा हूं रोक रहा हूं, रोक रहा हूं। मैं उसी दिन कहूंगा, जिस दिन बात बिलकुल पूरी हो जाए। उसके पहले कहने से रुकावट पड़ेगी।
सुना विश्वामित्र ने छिपे हुए झाड़ी में। फेंक दी तलवार, भागे। वशिष्ठ के चरणों पर गिर पड़े। वशिष्ठ ने कहा, ब्राह्मण, उठो!
ब्राह्मण हो गए, एक क्षण में। हाथ में तलवार थी, क्षत्रिय था, राजस था। एक क्षण में तलवार गिरी, संकल्प गिरा, समर्पण हुआ, पैर छू लिए, विनम्र हो गए। ब्राह्मण हो गए। ब्रह्म उतर आया। ब्राह्मण का अर्थ है, जिसमें ब्रह्म उतर आया।
कृष्ण कहते हैं, पहली चीज ब्राह्मण परमात्मा ने बनाई। फिर ब्राह्मण ने जो कहा, ब्रह्म को जानकर जो कहा, उससे वेद निर्मित हुए। वे परमात्मा से जरा दूर हैं; जरा—सी दूरी है। ब्राह्मण बीच में खड़ा है, ब्रह्मज्ञानी ‘
ब्रह्मज्ञानी परमात्मा के निकटतम है। फिर ब्रह्मज्ञानी ने जो कहा। वह भी परमात्मा ही बोल रहा है, क्योंकि अब ब्रह्मज्ञानी है नहीं, अब तो ब्रह्म ही है, वही बोल रहा है। लेकिन एक सीढ़ी का फासला है। बीच में गुरु खड़ा है, ब्रह्मज्ञानी खड़ा है, ब्राह्मण खड़ा है।
ब्राह्मण ने जो बोला, वे वेद। और वेद को मानकर जो किया जा सकता है, वह यज्ञादि।
और एक कदम का फासला हो गया। वेद को मानकर जो कृत्य किए जा सकते हैं, कर्म—काड, वह यज्ञ इत्यादि। परमात्मा, ब्राह्मण, वेद, यज्ञ।
जो तमस प्रकृति का व्यक्ति है, वह यज्ञ आदि को चुनेगा। जो रजस प्रकृति का व्यक्ति है, वह वेद आदि को चुनेगा। जो सत्व प्रकृति का व्यक्ति है, वह गुरु, ब्राह्मण, सदगुरु को चुनेगा
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✍🏼 तिथि विशेष – दशमी तिथि को कलम्बी एवं परवल का सेवन वर्जित है। दशमी तिथि धर्मिणी और धनदायक तिथि मानी जाती है। यह दशमी तिथि पूर्णा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह दशमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। दशमी को धन देनेवाली अर्थात धनदायक तिथि माना जाता है। इस दिन आप धन प्राप्ति हेतु उद्योग करते हैं तो सफलता कि उम्मीदें बढ़ जाती हैं। यह दशमी तिथि धर्म प्रदान करने वाली तिथि भी माना जाता है। अर्थात इस दिन धर्म से संबन्धित कोई बड़े अनुष्ठान वगैरह करने-करवाने से सिद्धि अवश्य मिलती है। इस दशमी तिथि में वाहन खरीदना उत्तम माना जाता है। इस दशमी तिथि को सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित कार्यों को आरम्भ करने के लिये भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

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