महिलाओं के हो रहे नसबंदी ऑपरेशन : अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों की उदासीनता घोर लापरवाही महिला नसबंदी ऑपरेशन में भारी
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। महिलाओं के हो रहे नसबंदी ऑपरेशन हुए इसके बाद उनके परिजन ही उन्हें संभालते हैं। जिला स्वास्थ्य महकमे अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों की उदासीनता घोर लापरवाही महिला नसबंदी ऑपरेशन में भारी अव्यवस्थाएं उजागर हो रही है।
जिला अस्पताल सहित जिले के कस्बों तहसीलों के अमूमन सभी सरकारी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को स्टेचर पर लेटाकर थिएटर से बाहर लाते हैं उनके परिजन। अक्सर नसबंदी शिविर में महिलाओं के परिजन ही अटेंडर, ।वार्ड तक लाने स्ट्रेचर भी उठाते हैं
जिला अस्पताल में महिला नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 45 महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन किए गए। शिविर में ऑपरेशन के पहले महिलाओं की जांच विशेषज्ञ डॉक्टरों ने की। इसके बाद 45 महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन किए गए। शिविर में अस्पताल द्वारा सुविधाएं नहीं मिलने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऑपरेशन के लिए आने वाली महिलाओं द्वारा न तो सोशल डिस्टेंस का पालन किया जाता है और न हो कोविड गाइडलाइन का पालन किया जाता है। जिला अस्पताल सहित जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन के लिए आई महिलाओं और उनके अटेंडरों ने मास्क भी नहीं लगाया था। सिविल सर्जन डॉक्टर एके शर्मा आरएमओ डॉ विनोद कुमार परमार ने बताया कि नसबन्दी ऑपरेशन के पहले नसबंदी कराने वाली महिलाओं की जांच की गई। इसके बाद उनका इलाज भी किया गया। उन्होंने लोगों से कहा कि परिवार की अच्छी आर्थिक स्थिति के लिए सभी लोग परिवार नियोजन को अपनाएं। साथ ही जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान दे। ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं को शासन की ओर से 1400 रुपए प्रोत्साहन राशि और मुफ्त दवाईयां दी जाती है जो ऑपरेशन के बाद राशि उनके खाते में डाल दी जाती है।
नसबंदी शिविर में कुछ महिलाओं के साथ एक ही परिजन आता तो दूसरों की लेनी पड़ती है मदद…..
जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन कराने के लिए आने वाली महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अस्पताल में कर्मचारियों की कमी के चलते मरीजों को परेशानी होती है। ऑपरेशन कराने के लिए आने वाली महिलाओं के साथ एक-दो लोग ही आते हैं। ऐसे में नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को ऑपरेशन थिएटर से बाहर लाने में परिजनों को दूसरी महिलाओं के साथ आए लोगों की सहायता लेना पड़ती है। ऐसे में लोगों को महिलाओं को महिला वार्ड में ले जाने में भारी परेशानी होती है। मरीजों के परिजनों को महिलाओं को स्वयं स्टे चर पर डालकर वार्ड में ले जाना पड़ता है। ऐसे में उन्हें भारी दिक्कत होती है।