मध्य प्रदेश

दो बच्चो में नदी में डूबने से मौत का मामला, जनशिक्षक निलंबित, प्राचार्य को नोटिस

स्कूल जाते थे, मध्यान्ह भोजन करते थे लेकिन स्कूल में नही थे नाम दर्ज
रिपोर्टर : राजकुमार रघुवंशी
मुरैना । एमपी के स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही जानलेवा साबित हुई। इसका प्रमाण मुरैना में सामने आया। मुरैना में दो बच्चे की नदी में डूबने मौत हो गई। जिस स्कूल में ये बच्चे पढ़ने जाते थे। वहा शौचालय नहीं था। बच्चे मध्यान्ह भोजन करते थे। सबसे हैरत करने वाली बात तो जांच में यह निकली कि मृतक बच्चो के नाम मध्यान्ह भोजन और स्कूल में दर्ज ही नही थे। फिलहाल जांच के बाद एक जनशिक्षक को सस्पेंड करते हुए प्रधानाचार्य को नोटिस जारी किया गया है।
प्राथमिक स्कूल का मामला
मुरैना के शासकीय प्राथमिक विद्यालय लेडी का पुरा मौजा परसोटा में पढने गए दो चचेरे भाइयों की मौत के मामले में कल बुधवार को जांच करने जिला शिक्षा अधिकारी ए के पाठक के नेतृत्व में टीम पहुंची। वहां प्रथम दृष्टया लापरवाही पाए जाने पर जनशिक्षक मनोज शाक्य को निलंबित किया और प्रधानाध्यापक करनसिंह कुशवाह को नोटिस देकर जवाब मांगा है।
दो दिन पहले बच्चो की हुई थी मौत
जानकारी के अनुसार अजीत पुत्र सुरेन्द्र कुशवाह उम्र साढ़े पांच साल, अनिल पुत्र मुंशी कुशवाह उम्र सात साल दो माह मंगलवार को सुबह 11 बजे शासकीय प्राथमिक स्कूल लेडी का पुरा पढने गए थे। वहां से स्कूल में महिला शिक्षक से शौच की कहकर गए थे और सोन नदी में डूबकर उनकी मौत हो गई। डीइओ ने जांच उपरांत पाया कि शासन के निर्देशानुसार अजीत कुशवाह का प्रवेश मिनी आंगनबाडी लेडीपुरा तथा अनिल कुशवाह का प्रवेश शासकीय विद्यालय में होना चाहिए था। ऐसा नहीं होने पर जनशिक्षक मनोज शाक्य के द्वारा कार्य के प्रति उदासीनता एवं लापरवाही किया जाना प्रथमदृष्टया परिलक्षित होता है। इसलिए उनको निलंबित किया गया है।
स्कूल चलो अभियान की खुली पोल
हर वर्ष सत्र शुरू होने से पूर्व स्कूल चलें हम अभियान प्रशासन, शिक्षा विभाग द्वारा चलाया जाता है। इसको लेकर बड़े स्तर पर प्रचार- प्रसार भी किया जाता है, उस पर बड़ी राशि भी खर्च होती है लेकिन लेडी पुरा में बच्चे स्कूल जा रहे हैं और उनको स्कूल में प्रवेश न होना, अभियान की पोल खोल रहा है।
स्कूल में शौचालय होते तो नहीं जाती बच्चों की जान
शासकीय प्राथमिक विद्यालय लेडी पुरा में अगर शौचालय होता तो बच्चों की जान नहीं जाती। जो शौचालय बने हैं, वह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। इसलिए शौच के लिए बच्चे स्कूल से बाहर गए और सोन नदी (नाले) में डूबकर जान से हाथ धो बैठे। आखिर बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन ? यह गहन जांच का विषय है।
महिला शिक्षक को बचाया ?
बच्चे स्कूल में महिला शिक्षक से बोलकर गए थे, उसके बाद भी महिला शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बताया गया है कि महिला शिक्षक पहाडगढ़ विकासखंड के एक अधिकारी की रिश्तेदार है। इसलिए उसको बचाया जा रहा है।
इस संबंध में डीईओ एके पाठक का कहना है कि बच्चे स्कूल जा रहे थे, उसके बाद भी उनका नाम प्रवेश पंजी में दर्ज नहीं था, इसके लिए प्रथम दृष्टया लापरवाही जन शिक्षक की सामने आई, उसको सस्पेंड किया गया है। हैडमास्टर को नोटिस दिया है। महिला शिक्षक की भूमिका भी जांच कराएंगे।
ये सवाल अब भी खड़े है
© स्कूल में जब दोनों बच्चों के नाम दर्ज नहीं थे तो फिर वे वहां पर क्या करने गए थे ?
© बच्चों के नाम स्कूल में दर्ज क्यों नहीं कराए गए थे ? जबकि यह जिम्मेदारी स्कूल के शिक्षकों की होती है।
© स्कूल में क्या शौचालय नहीं था ? जो बच्चों को इतनी दूर नदी के किनारे शौच के लिए जाना पड़ा।
© बच्चे केवल एक दिन ही मध्यान्ह भोजन के लिए नहीं आए थे, वह लगभग हर दिन स्कूल जाया करते थे, ऐसे में शिक्षकों ने उन्हें स्कूल से बाहर कैसे जाने दिया ? क्या स्कूल प्रबंधन की बच्चों के प्रति कोई जवाबदारी नहीं है?

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